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Thursday, April 24, 2025
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Varuthini Ekadashi 2025 : वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग लगाते समय न करें ये गलतियां, जानें सही नियम


Varuthini Ekadashi 2025 : वरुथिनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत पावन और शुभ माना जाता है।. इस दिन व्रत, उपवास और नियमपूर्वक पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन कई बार भक्ति भाव में कुछ गलतियां हो जाती हैं, जो पूजा का फल कम कर सकती हैं. आइए जानते हैं कि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग लगाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

वरुथिनी एकादशी 2025 कब है? Varuthini Ekadashi 2025 Date

पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 23 अप्रैल, 2025 को शाम 04:43 बजे शुरू होगी और 24 अप्रैल, 2025 को दोपहर 02:32 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा. वहीं व्रत का पारण 25 अप्रैल को किया जाएगा. व्रत पारण का समय 25 अप्रैल को सुबह 5:46 बजे से लेकर सुबह 8:23 बजे तक रहेगा.

वरुथिनी एकादशी पर भोग लगाने के सही नियम

  • बासी भोजन

भगवान को हमेशा ताजा और शुद्ध भोजन ही अर्पित करना चाहिए. बासी या जूठा भोजन चढ़ाना अशुभ माना जाता है.

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एकादशी के व्रत में नमक का सेवन वर्जित है, इसलिए भगवान के भोग में भी नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं किया जाता है, इसलिए भगवान के भोग में भी चावल से बनी चीजें शामिल न करें.

  • तुलसी के बिना भोग

भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है. इसलिए, भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य शामिल करें. तुलसी के बिना भोग अधूरा माना जाता है.

  • अशुद्ध मन और अपवित्रता

भोग लगाते समय मन शांत और शुद्ध होना चाहिए. अपवित्र अवस्था में भोग नहीं लगाना चाहिए. स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही भगवान को भोग लगाना चाहिए.

भोग शांति और प्रेम से लगाना चाहिए. जल्दबाजी में या लापरवाही से लगाया गया भोग भगवान स्वीकार नहीं करते हैं.

  • दूसरे का दिया भोग

खुद बनाकर या शुद्ध मन से लाए गए भोग को ही अर्पित करें. किसी और का दिया हुआ या पहले से इस्तेमाल किया हुआ भोग न चढ़ाएं।

वरुथिनी एकादशी का महत्व | Varuthini Ekadashi Significance

भक्तों के लिए वरुथिनी एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका व्रत करने से भक्तों को अनेक प्रकार के आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं. वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से जन्मों-जन्मों के किए हुए पाप भी धुल जाते हैं इस एकादशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना जाता है.

यह व्रत व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है और उसे भगवान विष्णु के परमधाम में स्थान प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी का व्रत सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है. इसे करने से जीवन में सुख, शांति, धन और यश की प्राप्ति होती है. यह एकादशी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का दिन है. इस दिन उनकी पूजा-अर्चना और व्रत करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.





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