
ट्रंप से सवाल करना नहीं होगा आसान, व्हाइट हाउस ने बदले नियम.
व्हाइट हाउस ने मंगलवार को मीडिया के नियम बदलकर एक नई मीडिया नीति का ऐलान किया है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक पहुंचने में अब और मुश्किलें होंगी. यह नीति खासकर उन समाचार एजेंसियों को प्रभावित करेगी जो दुनियाभर के मीडिया संगठनों को समाचार सेवाएं देती हैं, जैसे कि एसोसिएटेड प्रेस (AP). जानकारों का कहना है कि यह प्रशासन की ओर से प्रेस कवरेज को नियंत्रित करने की एक और कोशिश है, जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है.
नई नीति के तहत अब व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट यह तय करेंगी कि राष्ट्रपति ट्रंप से कौन-कौन सवाल पूछ सकता है. यह नियम व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस, प्रेस ब्रीफिंग रूम और यहां तक कि राष्ट्रपति के विशेष विमान ‘एयर फोर्स वन’ पर भी लागू होगा. सूत्रों के मुताबिक, यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि प्रशासन के दृष्टिकोण को विकृत न किया जा सके और केवल जिम्मेदार पत्रकारों को ही सवाल पूछने की अनुमति दी जाए.
फैसले से मीडिया में नाराजगी
मीडिया जगत में इस फैसले को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है. एसोसिएटेड प्रेस और अन्य प्रमुख समाचार एजेंसियों का मानना है कि यह नीति पत्रकारिता की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप प्रशासन पर प्रेस की आजादी में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा हो. इससे पहले एक मामले में अदालत ने यह माना था कि व्हाइट हाउस ने एपी की अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन किया था, जब उसने एपी को सिर्फ इसलिए बैन कर दिया था क्योंकि उसने ‘गल्फ ऑफ मैक्सिको’ के नाम को बदलने से इनकार कर दिया था.
मीडिया पर कितना प्रभाव पड़ेगा
कई मीडिया संस्थानों का मानना है कि यह नीति वैश्विक स्तर पर समाचार कवरेज को प्रभावित करेगी, क्योंकि एजेंसियां दुनिया भर में करोड़ों पाठकों को खबरें उपलब्ध कराती हैं. जब इनकी पहुंच पर रोक लगेगी, तो लोगों तक निष्पक्ष और सटीक जानकारी पहुंचने में बाधा आएगी. यह न केवल अमेरिका के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रभाव डालेगा. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या व्हाइट हाउस इस नीति पर कायम रहता है या फिर कानूनी और लोकतांत्रिक दबाव के चलते इसमें बदलाव करता है.