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Wednesday, April 23, 2025
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कैडर से बूथ तक और आगरा से हुंकार… 2027 के लिए अखिलेश यादव का यही है फुलप्रूफ प्लान?


कैडर से बूथ तक और आगरा से हुंकार... 2027 के लिए अखिलेश यादव का यही है फुलप्रूफ प्लान?

समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव.

उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव हर सियासी दांव चल रहे हैं. 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही सियासी तानाबाना बुना जा रहा है. बीजेपी से मुकाबला करने के लिए अखिलेश ने समाजवादियों के साथ आंबेडकरवादियों की सियासी केमिस्ट्री के साथ वैचारिक स्तर पर कैडर तैयार के लिए रणनीति बनाई है. सपा ने जिले से लेकर गांव-गांव और घर-घर जमीनी स्तर पर अभियान चलाने का फुलप्रूफ प्लान बनाया है. ताकि सूबे की सत्ता में वापसी हो सके.

2024 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक वाली पीडीए पॉलिटिक्स के आगे बीजेपी की सवर्ण-पिछड़ा-दलित वाली सोशल इंजीनयरिंग पूरी फेल हो गई थी. पीडीए पर सवार सपा ने बीजेपी का सारा सियासी गेम ही बिगाड़ कर रख दिया था और यूपी की 80 में से 37 सीटें जीतकर अखिलेश ने इतिहास रच दिया था. सपा के पीडीए फॉर्मूले को काउंटर करने के लिए बीजेपी के साथ संघ भी एक्टिव है तो अखिलेश यादव ने वैचारिक फ्रंट पर अपना कैडर तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.

सपा तैयार करेगी जमीनी कैडर

बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उसका कैडर है, जो पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के साथ-साथ बूथ जीतने की कवायद करता है. बीजेपी की तरह ही सपा ने भी जमीनी स्तर पर अपने कैडर को खड़े करने की स्ट्रेटजी बनाई है. सपा पिछड़ा-दलित के साथ अल्पसंख्यक वोटों के मजबूत समीकरण पर काम कर रही है. दलित व ओबीसी को जोड़ने के साथ-साथ वैचारिक फ्रंट पर संघ परिवार के खिलाफ अभियान चलाने का फैसला किया है.

सपा के प्रदेश महासचिव और विधायक अताउर्रहमान ने टीवी-9 से बातचीत करते हुए कहा कि पार्टी ने स्ट्रेटजी बनाई है कि समाजवादी विचारों को गांव-गांव व घर-घर तक पहुंचना है. अखिलेश यादव के दिशा-निर्देश पर सपा समर्पित टीमें बनाने का फैसला किया गया है. ये टीमें ब्लॉक, तहसील व जिला स्तर पर जाकर काम करेंगी. आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सपा ने एक बूथ पर पांच सक्रिय यूथ तैनात करने की योजना बनाई है. इसके लिए हर जिले में अभियान चलाया जाएगा. प्रदेश के सभी जिला व शहर कमेटियों को ये निर्देश दे दिए गए हैं. बता दें कि हर बूथ में पहले से 10 सदस्यों की टीम है, जिसमें ये 5 अतिरिक्त युवाओं की टीम जोड़ी जाएगी.

सपा बूथ पर खुद को करेगी मजबूत

अताउर्रहमान ने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निर्देश दिए हैं कि सभी जिला और शहर अध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्र में बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने पर ही ध्यान दें. हर बूथ पर न्यूनतम पांच युवाओं को पार्टी की लोहियावादी विचारधारा से लैस किया जाए. उन्हें मतदाता सूची की बारीकियों से अवगत कराया जाए. मतदाता सूची में नाम गलत ढंग से जोड़े या काटे जाने पर ये युवा तत्काल शहर व जिला कमेटियों को इसकी जानकारी दें. इस तरह तत्काल प्रदेश नेतृत्व के साथ भी उस जानकारी को साझा किया जाए.

सपा महासचिव ने बताया है कि गोपनीय जांच में जिन बूथों पर अच्छा काम मिलेगा, उन पर काम करने वाले युवाओं से अखिलेश यादव समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ प्रमुख नेता सीधे बातचीत भी करेंगे. भविष्य में इन युवाओं को ही पार्टी संगठन में आगे बढ़ाया जाएगा. पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि जिला व शहर कमेटी के पदाधिकारी उसी स्थिति में अपने पद पर बने रहेंगे, जब वो बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे. सपा का पूरा फोकस पीडीए फॉर्मूले पर है, जिस पर हमारी पार्टी पूरी तरह से काम कर रही है.

लोहिया के विचारों के सहारे सपा

सपा नेतृत्व समाजवादी विचारक राममनोहर लोहिया के उदार हिंदुत्व के रास्ते को ठीक मानता है तो संघ परिवार के विचार कट्टर हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसलिए समाजवादियों को उनके विचारों का खुलकर विरोध करने के लिए उतरना होगा. सपा ने तय किया है कि धर्म और हिंदुत्व पर लोहिया के जो विचार हैं, उन्हें पंपलेट से जन-जन तक पहुंचाया जाएगा. साथ ही यह भी बताया जाएगा कि उदार और कट्टर हिंदुत्व में क्या अंतर है. कट्टर हिंदुत्व की धारा क्यों देश और समाज के लिए घातक है. सपा ने तय किया है कि मनुस्मृति के खिलाफ भी समाजवादी पक्ष को जनता के बीच रखा जाएगा, जिससे दलित और पिछड़े वर्ग पर सियासी पकड़ बनी रहे.

दलित वोटबैंक पर सपा का फोकस

सपा का पूरा फोकस दलित वोटबैंक जोड़ने पर है, जिसके लिए बसपा के बैकग्राउंड वाले नेताओं को अपने साथ मिला रहे हैं. इसके अलावा ‘आंबेडकर जयंती’ के मौके पर सपा ने स्वाभिमान-स्वमान समारोह का आयोजन कर रही. इस तरह सपा संविधान और आरक्षण बचाने के नैरेटिव को सेट करने की स्ट्रेटजी पर काम कर रही है. सपा दलित वोटबैंक को जोड़ने के लिए रामजीलाल सुमन का दांव खेल रही है. सपा के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन के खिलाफ उठ रही आवाज और करणी सेना के आंदोलन के बीच सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव 19 अप्रैल को आगरा पहुंचेंगे.

अखिलेश यादव आगरा में रामजीलाल सुमन से मिलेंगे उनके घर जाएंगे. माना जा रहा है कि पूरी स्थिति की जानकारी लेंगे. आगरा में हाल ही में रामजीलाल सुमन के खिलाफ करणी सेना के स्वाभिमान सम्मेलन के बाद पैदा हुई स्थिति पर अपनी रणनीति का ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि आगरा को दलित सियासत का बड़ा केंद्र माना जाता रहा है. डा. आंबेडकर से लेकर कांशीराम तक की सियासी प्रयोगशाला की जमीन आगरा रही है.

आगरा से अखिलेश फूंकेंगे बिगुल

दलित राजनीति की शुरुआत ज्यादातर सियासी दल आगरा से करते रहे हैं, जिस तरह से अखिलेश यादव लगातार इस मुद्दे पर रामजीलाल सुमन के साथ खड़े हैं और दलितों के साथ होने की बात कर रहे हैं, दलितों के खिलाफ बोलने वालों को नसीहत दे रहे हैं, उससे तो लगता है कि 19 तारीख को अखिलेश यादव कोई बड़ा ऐलान आगरा से कर सकते हैं. अखिलेश यादव के आगरा आने से पहले ही आंबेडकर जयंती पर तो सांसद रामजीलाल सुमन ने करणी सेना को चेतावनी ही दे दी हैं. कहा कि मैदान तैयार हैं, दो-दो हाथ हो जाएं.

सपा रामजीलाल सुमन के बहाने दलित बनाम ठाकुर की सियासी रंग देने में जुटी है. राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि रामजीलाल सुमन के ये तेवर हाईकमान के निर्देश के बाद ही सामने आ रहे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव 19 तारीख को आगरा से दलित राजनीति को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि आगरा में करणी सेना स्वाभिमान सम्मेलन में जिस तरह तलवार है और डंडे चाकू लहराए घर उसपर कार्रवाई ना करके योगी सरकार ने बढ़ावा दिया है. सरकार के इशारे पर यह सब हुआ है.

सपा कह रही है कि रामजीलाल सुमन का विरोध करने वाले बीजेपी की मानसिकता के लोग हैं. ये बीजेपी की सेना है. यह वैचारिक संघर्ष की लड़ाई है. एक तरफ सामंती लोग हैं जो अपनी मनोवृत्ति से समझौता नहीं करना चाहते हैं तो दूसरी तरफ वो लोग हैं सामाजिक न्याय के पक्षधर हैं, जिनका हक मारा गया. इस तरह से अखिलेश यादव ने 2027 के लिए सियासी हुंकार भर दी है और नई रणनीति के तहत जुट हुए हैं.





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