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Friday, April 25, 2025
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Type 5 Diabetes : क्या होती है टाइप- 5 डायबिटीज, किनको इस बीमारी का खतरा


Type 5 Diabetes : क्या होती है टाइप- 5 डायबिटीज, किनको इस बीमारी का खतरा

डायबिटीज की जांच

टाइप 5 डायबिटीज.. ये सुनकर लग रहा होगा कि ये कौन सी डायबिटीज है. क्योंकि अभी तक टाइप- 1 और टाइप 2 का ही ज्यादा नाम सुना था. लेकिन हाल ही में हुई इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने टाइप- 5 डायबिटीज के बारे में जानकारी दी है. ये बीमारी अफ्रीका में होती थी. लेकिन अब अन्य कई देशों में इसके कुछ मामले रिपोर्ट किए गए हैं.

टाइप -5 डायबिटीज वो बीमरी है जो कुपोषण के कारण होती है. खानपान में पोषक तत्वों का न होना इस बीमारी का कारण बनता है. व्यक्ति के जीन में म्यूटेशन हो गया है और वह व्यक्ति अगर कुपोषण का शिकार भी है तो उसको टाइप- 5 डायबिटीज हो सकती है. इस बीमारी में व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का प्रोडक्शन ही कम होने लगता है. जो लोग अंडरवेट यानी जिनका वजन मानक से कम होता है उनमें इस बीमारी का रिस्क होता है.

पुरानी बीमारी है टाइप- 5 डायबिटीज

सबसे पहले इस बीमारी की पहचान अफ्रीका के जमैका में हुई थी. इसके बाद अफ्रीका के अन्य इलाकों में इससे मामले आए थे. 1985 में इस बीमारी को टाइप- 5 डायबिटीज की एक अलग श्रेणी में रखा गया था और इसको टाइप – जे डायबिटीज का नाम दिया गया था. लेकिन साल 2000 तक इस बीमरी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी थी और इसको लेकर कोई रिसर्च भी नहीं थी. तब इसके मामलों की रिपोर्टिंग भी कम हो गई थी और केस भी कम हो गए थे.

तब इस बीमारी को दी गई टाइप- जे डायबिटीज की मान्यता ले ली गई थी. लेकिन अब इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने इसको टाइप- 5 डायबिटीज का नाम दिया है. फिर से इस बीमारी के मामले बढ़ने के कारण ऐसा किया गया है. अब इस बीमारी को लेकर यह साफ हो गया है कि कुपोषित लोगों में इसका रिस्क ज्यादा है. अगर किसी के शरीर में जीन्स म्यूटेट हो रहे हैं तो वह इसका शिकार हो सकता है.

मरीजों की पहचान में होगी आसानी

अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर मेरीडिथ हॉकिंस, कहती हैं कि अब इस बीमारी के मरीजों की पहचान में आसानी होगी. डॉक्टरों को अब यह ठीक से समझ आएगा कि टाइप-5 डायबिटीज के मरीजों का इलाज कैसे किया जाए. अब इस बीमारी के मामले आ रहे हैं तो इसपर ध्यान देने की जरूरत है. पहले कोई नाम न होने के कारण मरीजों की पहचान नहीं हो पाती थी. अब इस बीमारी को अच्छे से समझने और इसके इलाज पर काम किया जाएगा. इसके लिए आईडीएफ ने एक टीम बनाई है.





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