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Thursday, April 24, 2025
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2030 तक हर गाड़ी में डबल हो जाएगी सेमीकंडक्टर की कॉस्ट, आपको हिलाकर रख देगा नीति आयोग का गणित


सेमीकंडक्टर मार्केट में आने वाला समय भारत का होने वाला है क्योंकि यह काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. भारत की शीर्ष नीति निर्धारक संस्था नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि देश की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री यानी ऑटोमोटिव कंपोनेंट सेक्टर 2030 तक 145 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के ऑटो पार्ट्स का एक्सपोर्ट तीन गुना बढ़कर 60 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. जो अभी के समय में 20 अरब डॉलर है. सेमीकंडक्टर का मतलब वो चिप जो मोबाइल, कंप्यूटर और गाड़ियों जैसे इलेक्ट्रिक समान में लगती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सेमीकंडक्टर बाजार हर साल 15 फीसदी की दर से बढ़ेगा. यानी दोगुना दर से बढ़ेगा.

ऑटो इंडस्ट्री की मौजूदा स्थिति

2023 में दुनियाभर में लगभग 94 मिलियन यानी 9.4 करोड़ वाहन बनाए गए. वहीं, ग्लोबल ऑटो पार्ट्स का मार्केट करीब 2 ट्रिलियन डॉलर का था, जिसमें 700 अरब डॉलर का निर्यात भी शामिल था. भारत इस वक्त दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता बन चुका है, चीन, अमेरिका और जापान के बाद. सालाना करीब 60 लाख गाड़ियों का प्रोडक्शन देश में होता है. इसमें खासतौर से छोटी कारें और यूटिलिटी व्हीकल्स के मामले में भारत ने अच्छी पकड़ बनाई है.

भारत में दर क्यों बढ़ेगी ?

भारत में सेमीकंडक्टर मार्केट दुनिया के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रहा है. इससे साल 2030 तक करीब 13 बिलियन डॉलर की कमाई हो सकती है. अभी भारत में दुनिया की सिर्फ 0.1 फीसदी सेमीकंडक्टर चिप बनती है. सेमीकंडक्टर बनाने के लिए जो मशीनें लगती हैं, उन पर भारत करीब 1 प्रतिशत तक खर्च करता है. लेकिन दुनिया में सेमीकंडक्टर की जितनी मांग है, उसका 6.5 प्रतिशत भारत में है. भले ही अभी भारत में चिप कम बनती है, लेकिन आने वाले समय में यह बहुत बड़ा बाजार बनने वाला है.

टैरिफ बना चीन के लिए ‘काल’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई कंपनियां चीन से अपना कारोबार हटा रही हैं. इसके कारण टैरिफ को लेकर काफी अनिश्चितता है. कुछ कंपनियां चाइन प्लस वन रणनीति के तहत चीन से बाहर भी अपना काम कर रही हैं . मतलब वो चीन के साथ-साथ किसी और देश में भी अपना काम कर रही हैं.





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