
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (फाइल)
वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ कई राज्यों में जमकर प्रदर्शन किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल में वक्फ के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी और कुछ लोगों की मौत हो गई. राज्य से सटे असम इस घटना के बाद अलर्ट हो गया है. प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ राज्य में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करने दिया जाएगा, साथ ही सुझाव दिया कि आंदोलनकारी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखें.
इस महीने की शुरुआत में वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद कई लोगों और संगठनों ने विवादास्पद कानून को चुनौती दी है, जिसका मकसद वक्फ संपत्तियों के कामकाज में सुधार करना, जटिलताओं को दूर करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रबंधन शुरू करना है.
दोनों पक्ष के लोग उतरेंगे तो टकराव होगाः सरमा
मुख्यमंत्री सरमा ने असम के नलबाड़ी में आज मंगलवार को कहा, “वक्फ से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में है. अगर किसी को कुछ कहना है, तो कृपया इसे शीर्ष अदालत के समक्ष रखें क्योंकि वहां पर ही उचित चर्चा हो सकती है. अगर कोई असम में वक्फ अधिनियम के खिलाफ सड़कों पर उतरता है, तो कई लोग कानून के समर्थन में भी सड़कों पर उतरेंगे. इससे इनके बीच टकराव होगा, जो हम कतई नहीं चाहते हैं.”
उन्होंने ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) को याद दिलाया कि अगर यूनियन कानून का विरोध करता है, तो राज्य में ऐसे लोग भी हैं जो इसका समर्थन करते हैं. सरमा ने कहा, “हमें किसी संघर्ष की जरूरत नहीं है. असम की तरक्की के लिए भाईचारा बने रहना चाहिए. इसलिए हमें अच्छे और बुरे में फर्क करना भी आना चाहिए. अगर कोई वक्फ अधिनियम का विरोध करता है, तो मुझे कुछ नहीं कहना है और मैं उसे बस सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव देता हूं.”
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “जो लोग एक्ट का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. हम कल एक्ट के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट गए थे. उन्होंने कहा, “लेकिन हम सड़कों पर कुछ भी होने नहीं देंगे.”
असम के कछार में BNS के तहत निषेधाज्ञा लागू
असम के कछार जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ रविवार को आयोजित एक रैली के दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जबकि कानून लागू करने वालों ने उन्हें लाठियों से भगा दिया.
झड़प की इस घटना के बाद, कछार जिला प्रशासन ने पूरे जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी. वक्फ अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि कलेक्टर के पद से ऊपर का कोई अधिकारी वक्फ के रूप में दावा की गई सरकारी संपत्तियों की जांच करेगा.
विवाद की स्थिति में, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का फैसला ही अंतिम होगा कि संपत्ति वक्फ की है या सरकार की. यह पहले की व्यवस्था की जगह लेगा, जहां ऐसे फैसले वक्फ न्यायाधिकरणों द्वारा किए जाते थे. कानून ने समावेशिता के लिए केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की भी अनुमति दी.