
तेजस्वी यादव आज दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मिले
राहुल गांधी को आज यानी मंगलवार को तीन बजे दोपहर में अहमदाबाद में होना था. लेकिन तेजस्वी के पहुंचने की बात को जानकर राहुल रुक गए और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पहुंच गए. तेजस्वी से मिलने को लेकर राहुल और खरगे इंतजार में थे लेकिन तेजस्वी जिस मंशा से आए थे वो पूरी नहीं हो पाई. आरजेडी-और कांग्रेस के बड़े नेता मीडिया में सच बोलने से बच रहे हैं लेकिन कांग्रेस आरजेडी के साथ अब अपने इंट्रेस्ट को तिलांजलि देकर राजनीति करने के मूड में नहीं है ये आज की मीटिंग से तय हो गया है.
राहुल गांधी आक्रामक राजनीति करना चाह रहे हैं. वो तेलंगाना के बाद कर्नाटक में भी ओबीसी पॉलिटिक्स की धार मजबूत करने का दबाव बना रहे हैं. इसलिए आने वाले समय में लिंगायत और वोक्कालिगा की राजनीति को साइड रख वो ओबीसी राजनीति की धार तेज करने पर आमादा है. ज़ाहिर है डी के शिवकुमार के लिए ये अच्छी खबर नहीं है. सिद्धारमैया सीएम की कुर्सी पर डटे रह सकते हैं और ऐसी ही राजनीति कर राहुल बिहार, यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की जड़े मजबूत करना चाह रहे हैं.
यही वजह है कि राहुल गांधी ने अहमदाबाद की मीटिंग में कांग्रेस से ओबीसी मतदाताओं को जोड़ने पर जोर दिया . राहुल ने कहा कि सत्ता की चौखट तक पहुंचने के लिए ओबीसी राजनीति पर जोर देना ही कांग्रेस के पास एकमात्र विकल्प रह गया है. जाहिर है यही वजह है कि राहुल बिहार पहुंचकर तेजस्वी और लालू से मिले लेकिन तेजस्वी के जातीय जनगणना के फॉर्मूले को फर्जी बता दिया.
मीटिंग में कांग्रेस ने साफ संदेश देने की कोशिश की
कांग्रेस की एआईसीसी की मीटिंग में पप्पू यादव अगली पंक्ति में बैठे थे. पप्पू यादव को तवज्जो देकर कांग्रेस ओबीसी चेहरे को आगे करने का पैगाम बिहार के लोगों को दे रही थी. बिहार में पूरी टीम बदल गई है. कांग्रेस कन्हैया और पप्पू को आगे कर मजबूत दिखना चाह रही है. राहुल ये चाहते हैं कि कन्हैया और पप्पू यादव को लेकर आरजेडी चलने को तैयार रहे. कांग्रेस अपनी शर्तों पर राजनीति करना चाह रही है. इसलिए प्रदेश अध्यक्ष दलित को बनाकर कांग्रेस एक के बाद दूसरा पासा फेंक रही है.
कांग्रेस को यकीन हो चला है कि मुसलमान पूरे भारत में कांग्रेस पर बढ़चढ़ कर भरोसा कर रहा है. इसलिए दलित और मुसलमान को साथ जोड़कर कांग्रेस ओबीसी की ओर देखना शुरू कर चुकी है. कांग्रेस को रिस्पेक्टबल सीटें चाहिए और कांग्रेस अपनी मनचाही सीटों के अलावा अपने पसंद के नेताओं को मैदान में उतारना चाहती है. ज़ाहिर है यही बात आरजेडी को पसंद नहीं है. इसलिए तेजस्वी खाली हाथ दिल्ली से लौटने को मजबूर हुए हैं.
हिंदुत्व की काट में मंडल की धार तेज करने की कोशिश में है कांग्रेस?
कांग्रेस मान चुकी है कि हिंदुत्व की काट में जाति की राजनीति नहीं की गई तो खेल साल 2029 में भी बनने वाला नहीं है. बीजेपी हिंदुत्व की आड़ में नॉर्थ इंडिया में मजबूत हो रही है. इसलिए मंडल की पॉलिटिक्स तेज कर क्षेत्रीय दलों को पीछे छोड़ना होगा तभी बीजेपी बिहार सहित यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इंप्रूव कर सकेगी. राहुल गांधी क्षेत्रीय दलों को दुश्मन समझने लगे हैं. बीजेपी को हराने के लिए क्षेत्रीय दलों को कमजोर करना उन्हें एकमात्र विकल्प दिखाई पड़ रहा है. इसलिए राहुल अब अपने पत्ते खुलकर खेल रहे हैं. दिल्ली में केजरीवाल को हराकर कांग्रेस बहुत खुश है. कांग्रेस को लगता है कि दिल्ली में केजरीवाल की हार गुजरात में कांग्रेस के लिए वरदान बनेगा और गुजरात में केजरीवाल वो नहीं कर पाएंगे जो पिछले चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस के साथ किया था.
तेजस्वी यादव पर दबाव इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि तेजस्वी का स्टेक विधानसभा चुनाव में कहीं ज्यादा है. तेजस्वी को सीएम बनना है. इसलिए कांग्रेस को नाराज कर सीएम बनना आसान नहीं होगा. कांग्रेस सीमांचल और अन्य सीटों पर व्यापक पैमाने पर वोट काट सकती है. इसलिए कांग्रेस तेजस्वी के साथ बार्गेन करने में पीछे नहीं हटना चाहती है. कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा मनचाही सीटें जीतकर बिहार में मजबूत होना चाह रही है. इसलिए कांग्रेस का फोकस मुसलमान,दलित के बाद ओबीसी पर है.
अब क्या करेगी आरजेडी?
आरजेडी प्रदेश में स्थितियों का आकलन करने में जुट गई है. आरजेडी कांग्रेस को अपनी मजबूती के लिए ज्यादा मजबूत होने नहीं देना चाहती है. कांग्रेस अगर मजबूत हुई तो आरजेडी का माई समीकरण दरकना तय है. यही वजह है कि तेजस्वी रविदास समाज को साधने के लिए यूपी से सटे इलाके में बीएसपी से समझौता करने का विकल्प खोले हुए है. आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक आरजेडी की नजर छोटे-छोटे दलों पर भी है जिनमें जेएमएम, पारस गुट , बीएसपी और वीआईपी पार्टी शामिल है. आरजेडी जानती है कांग्रेस को पनपने का मौका दिया गया तो नुकसान आरजेडी का ही होगा. वहीं कांग्रेस को लग रहा है कि मुस्लिम का रुख और रविदास समाज का विश्वास कांग्रेस को मजबूत आधार प्रदान किए हुए है. इसलिए आरजेडी कांग्रेस से गठबंधन करने को विवश है ये तय है.
कांग्रेस आरजेडी से मैक्सिमम बात मनवा लेना चाहती है
कांग्रेस ने प्रदेश संगठन में भारी बदलाव कर अपने रुख का परिचय दे दिया है. कन्हैया और पप्पू यादव को एआईसीसी में आगे कर कांग्रेस ने आरजेडी को अपनी मंशा जता दी है. बॉल आरजेडी के कोर्ट में है. कांग्रेस को भरोसा मुसलमान वोटों के अलावा कन्हैया के भाषण और पप्पू यादव की आक्रामकता पर है. ज़ाहिर है आरजेडी के लिए ये समय आसान नहीं है. आरजेडी हर हाल में 143 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है. ऐसे में कांग्रेस और लेफ्ट सहित वीआईपी, जेएमएम और पारस गुट को साथ लेकर चलना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. जाहिर है तेजस्वी मीटिंग के बाद लालू प्रसाद से सलाह मशविरा कर 17 की मीटिंग में शिरकत करेंगे. लेकिन तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार बनाने से पहले कांग्रेस आरजेडी से मैक्सिमम बात मनवा लेना चाहती है.