
प्रेग्नेंसीImage Credit source: Pixabay
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर महिलाओं को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं. इस दौरान महिलाएं भी हर तरह के पोषक तत्वों का ध्यान रखती हैं, लेकिन विटामिन डी को भूल जाती हैं. सामान्य रूप से विटामिन डी हमें धूप से मिलता है, लेकिन इसके कोई और सोर्स भी हैं. कई खाद्य पदार्थों में भी विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है. गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी से जच्चा और बच्चा दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
विटामिन डी कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण के लिए जरूरी है. इसके साथ ही यह चयापचय के लिए भी जरूरी है. शरीर में विटामिन डी की कमी से हड्डियों में दर्द होना. मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ना जैसी गंभीर स्थितियांहो सकती हैं. गर्भावस्था में तो विटामिन डी की जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती है. गर्भावस्था में मां और बच्चे के विकास के लिए विटामिन डी बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसकी कमी से जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है. बच्चे की हड्डियां भी कमजोर हो सकती है.
क्यों जरूरी है विटामिन डी
विटामिन डी बच्चे की हड्डियों और दांतों के विकास में महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ ही यह शिशु की मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के लिए भी जरूरी है. शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी विटामिन डी बढ़ाता है. विटामिन डी की कमी से शिशु में रिकेट्स नाम की बीमारी हो सकती है. यह बीमारी ह़ड्डियों को कमजोर और नरम बनाती है. इसके अलावा विटामिन डी प्रसव को आसान बनाने में मदद करता है और उसकी जटिलताओं को कम करता है. इसकी कमी से समय से पहले भी प्रसव हो सकता है. विटामिन डी की कमी से मां को ऑस्टियोपोरोसिस और डायबिटीज जैसी बीमारी भी हो सकती है.
कैसे मिलता है विटामिन डी
विटामिन डी का सामान्य सोर्स धूप है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को रोजाना सुबह 11 बजे के लगभग 10 से 15 मिनट के लिए धूप में जरूर बैठना चाहिए. इसके अलावा दूध, पनीर, दही, मशरूम, सोया मिल्क, संतरे का जूस, अंडा, मछली और सोया सूप में भरपूर विटामिन डी होता है. इसके साथ डॉकट्र की सलाह से विटामिन डी के सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं.