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Saturday, April 19, 2025
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दो साल से आपत्ति नहीं अब क्यों…? NCERT की अंग्रेजी माध्यम की किताब के हिंदी नाम पर विवाद पर अलग-अलग राय


दो साल से आपत्ति नहीं अब क्यों...? NCERT की अंग्रेजी माध्यम की किताब के हिंदी नाम पर विवाद पर अलग-अलग राय

एनसीईआरटी बुक इंग्लिश मीडियम के हिंदी नाम पर विवाद बढ़ गया है.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों के लिए तैयार की गई नई किताबों के नाम को लेकर उठा बवाल धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है. पहले तमिलनाडु और अब केरल दक्षिण भारत के दो बड़े राज्यों में अंग्रेजी के पुस्तकों का हिन्दी नाम को लेकर विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं.

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अंग्रेजी माध्यम की अपनी कई नई पाठ्यपुस्तकों को रोमन लिपि में हिंदी नाम दे दिए हैं. इनमें अंग्रेजी की पुस्तकें भी शामिल हैं. आइए इसे उदाहरण के तौर पर समझने की कोशिश करते हैं. दरअसल कक्षा 6 की अंग्रेजी की किताब को पहले HONEYSUCKLE के नाम से जाना जाता था, अब इसका नया नाम POORVI( पूर्वी) हो गया है. पूर्वी हिंदी शब्द है, जिसका अर्थ पूर्व दिशा है. यह एक शास्त्रीय संगीत राग का भी नाम है. इसी तरह कक्षा एक और 2 की किताबों को अब मृदंग और कक्षा 3 की किताबों को संतूर नाम दिया गया है. ये दोनों भारतीय वाद्य यंत्रों के नाम हैं. गणित की किताबों के लिए भी यही पैटर्न अपनाया गया है. कक्षा 6 की गणित की किताब, जो पहले अंग्रेजी में मैथमेटिक्स और हिंदी में गणित थी, अब दोनों भाषाओं में गणित प्रकाश (GANITA PRAKASH) के नाम से हैं.

दो साल से आपत्ति क्यों नहीं?

किताबों के हिंदी नामों पर उठे विवाद के बीच एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्कूलों के लिए तैयार की गई ये किताबें वैसे तो दो साल से पढ़ाई जा रही है लेकिन तब किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई. वैसे भी इन किताबों के जो नाम हैं वह भारतीय वाद्य यंत्रों और रागों के नाम पर रखे गए हैं, जैसे संतूर, मृदंग, तबला, वीणा और पूर्वी आदि. ये शब्द देश की नई पीढ़ी को भारतीयता का अहसास कराने वाले हैं.

NEP के अनुरूप नाम

एनसीईआरटी (भारतीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने साफ किया है कि किताबों के नाम देश की नई पीढ़ी को भारतीय जड़ों से जोड़ने वाले और एनईपी की सिफारिशों के अनुरूप हैं. जो लोग इन नामों को लेकर विरोध कर रहे हैं, उनका विरोध पूरी तरह से अनुचित है. वैसे भी जिन्हें इन किताबों को पढ़ना और जिन्हें पढ़ाना है, वे सभी इन्हें बेहद पसंद कर रहे हैं.

विवाद से दूरी बनानी चाहिए

टीवी9 भारतवर्ष की टीम इसी मुद्दे पर एनसीईआरटी के पूर्व डायरेक्टर जे एस राजपूत से बात की. उन्होंने कहा कि आमतौर पर कोशिश यह की जानी चाहिए की जो भी स्थानीय भाषा है वहां के लोगों की जनभावना का ख्याल रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह से नाम बदलने को लेकर जो कुछ भी है वह एक अनावश्यक विवाद है. इससे परहेज किया जाना चाहिए.

नाम में क्या रखा है?

दिल्ली के मयूर विहार इलाके में कुछ पैरेंट्स से टीवी9 भारतवर्ष ने इस मुद्दे पर बात की. उनका कहना है कि किताब के नाम में बदलाव से उऩ्हें कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि असल मुद्दा पढाई है. नाम कुछ भी हो इससे क्या फर्क पड़ता है. वहां के स्थानीय बच्चों ने भी कहा कि उन्हें नाम में बदलाव से कोई परेशानी नहीं है.

इनपुट-शालिनी बाजपेयी





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