
प्रतीकात्मक तस्वीर
चीन को बांग्लादेश में निवेश का न्योता देने वाले यूनुस को शायद ये बात पसंद न आए. वहीं देश की 7 स्टेट पर नजर गड़ाने वाले चीन के मंसूबों पर भी पानी फेरने की तैयारी भारत ने कर ली है. ‘LAC’ और ‘चिकन नेक’ पर भारत विकास की नई कहानी लिखने जा रहा है. भारत अब पूर्वोत्तर और सीमा से सटे राज्यों और इलाकों में अमेरिका की तर्ज पर सड़क बनाने जा रहा है. भारत सरकार ने चीन और बांग्लादेश की चालबाजियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ये फैसला किया है.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि सरकार अगले दो सालों में 10 लाख करोड़ का निवेश करके देशभर के राजमार्गों को मजबूत करेगी, जिसमें विशेष ध्यान पूर्वोत्तर और सीमावर्ती क्षेत्रों पर रहेगा. इस योजना का खास फोकस पूर्वोत्तर भारत है, जहां सड़कें अब अमेरिकी मानकों के अनुरूप विकसित की जाएगी. यह केवल बुनियादी ढांचे को एडवांस बनाने भर का प्रयास नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक कदम भी है जो चीन और बांग्लादेश की सीमाओं पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा.
पूर्वोत्तर को अमेरिका जैसी सड़कों से जोड़ा जाएगा
नितिन गडकरी ने कहा कि, ‘पूर्वोत्तर भारत के लिए बुनियादी ढांचे को बदलना न केवल जरूरी है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण भी है. सरकार पूर्वोत्तर में ऐसे हाईवे बना रही है जो अमेरिका की सड़कों की बराबरी करेंगे. दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और सीमावर्ती इलाकों में स्थित यह क्षेत्र कई देश की सीमाओं से सेट हैं.’ बता दें कि पूर्वोत्तर भारत, जिसकी अलग-अलग सीमाएं चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान से लगती हैं, देश की सुरक्षा और विदेशी नीति के लिहाज़ से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
वहीं, सरकार का लक्ष्य न केवल क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि सीमा क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाना, सैनिकों, हथियार और जरूरी साजों सामान को बॉर्डर पर रफ्तार से पहुंचाना भी है. ताकि भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की तेज़ आवाजाही सुनिश्चित हो सके. चीन के बढ़ते विस्तारवादी रुख और बांग्लादेश के साथ ड्रैगन के बढ़ते आर्थिक संबंधों के बीच यह बुनियादी ढांचा भारत के लिए एक रणनीतिक ढाल का काम करेगा.
‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ पर भी फोकस
चीन के साथ सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और असम सीमा पर तेज़ और सुरक्षित संपर्क भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूती देगा. वहीं, बांग्लादेश के साथ व्यापारिक गलियारे जैसे कालादान और त्रिपुरा से होकर गुजरने वाले कॉरिडोर को एडवांस राजमार्गों से जोड़ना दोनों देशों के बीच आर्थिक आदान-प्रदान को गति देगा. यह भारत के ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को भी धरातल पर उतारने में मदद करेगा.
चिकन नेक कॉरिडोर पर बढ़ेगी पकड़
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के पास स्थित ‘चिकन नेक कॉरिडोर’, जो भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है, हमेशा से भारत की सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र रहा है. यहां मजबूत और चौड़ी सड़कें भारत की सैन्य तैयारियों को तेज़ी से बेहतर बनाएंगी. चीन और बांग्लादेश की संभावित सैन्य या अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए यह कनेक्टिविटी बेहद कारगर होगी.
गलवान हिंसा के बाद से चीन से लगती LAC पर तेज कनेक्टिविटी की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है. अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और पूर्वी लद्दाख में सड़कों का जाल सेना की मूवमेंट को तेज़, सुरक्षित और सटीक बनाएगा. यह कदम चीन की आक्रामक गतिविधियों के विरुद्ध एक रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जा रहा है.
क्या है केंद्र सरकार का मेगा प्लान? जानिए प्रमुख बिंदु
- यह एक रणनीतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में बड़ा कदम है.
- पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों को सुधारने और विस्तार देने के लिए अगले दो सालों में ₹10 लाख करोड़ खर्च होंगे.
- पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा में हाई क्वालिटी की सड़कें बनाने का लक्ष्य.
- पूर्वी भारत जैसे बिहार, झारखंड, ओडिशा, बंगाल, असम में 784 परियोजनाएं लागू की जाएगी
- पूर्वी भारत में 21,300 किलोमीटर और 784 हाईवे परियोजनाओं पर 3.73 लाख करोड़ होंगे खर्च
- चिकन नेक कॉरिडोर’ (सिलीगुड़ी के पास) को और मजबूत किया जाएगा
- त्रिपुरा, असम जैसे राज्यों को बांग्लादेश से जोड़ने वाले सड़क मार्गों को अपग्रेड किया जाएगा