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Saturday, April 19, 2025
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कैसे डूब गया कभी न डूबने वाला टाइटैनिक जहाज? क्या है 113 साल पहले हुए हादसे की कहानी


कैसे डूब गया कभी न डूबने वाला टाइटैनिक जहाज? क्या है 113 साल पहले हुए हादसे की कहानी

टाइटैनिक. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

113 साल पहले की वो ऐतिहासिक और दुखद घटना, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था, जिसे सबसे बड़ा समुद्री हादसा माना जाता है. 15 अप्रैल 1912 को उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराकर टाइटैनिक जहाज डूब गया था, उस वक्त ज्यादातर यात्री नींद के आगोश में थे. इस हादसे में 1500 से अधिक लोगों की जान गई थी. टाइटैनिक ने अपनी पहली यात्रा 10 अप्रैल 1912 को साउथम्पैटन से न्यूयॉर्क के लिए शुरू की थी.

14 अप्रैल 1912 की रात को टाइटैनिक एक हिमखंड से टकरा गया था. इसकी वजह से जहाज में बड़ी दरारें आ गईं और पानी अंदर भरने लगा था. जिसके बाद लगभग 2 घंटे और 40 मिनट बाद, 15 अप्रैल 1912 की सुबह 2:20 बजे टाइटैनिक पूरी तरह से डूब गया. वैसे, आज ही के दिन यानी 15 अप्रैल को टाइटैनिक की 113वीं बरसी है.

टाइटैनिक की 113वीं बरसी

टाइटैनिक की 113वीं बरसी पर उन लोगों को याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी जान गंवाई. यह घटना न केवल एक बड़ी समुद्री दुर्घटना थी, बल्कि जहाज निर्माण और सुरक्षा नियमों में भी बड़े बदलाव की वजह बनी. इस दिन को याद करने के लिए कई कार्यक्रम अलग-अलग स्मारकों पर आयोजित किए जाते हैं, जो इस त्रासदी के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हैं.

1517 लोगों की मौत

टाइटैनिक जहाज को ‘अजेय’ माना जाता था. लेकिन विश्व का सबसे बड़ा ब्रिटिश जहाज टाइटैनिक अटलांटिक महासागर में 14 अप्रैल को डूब गया था. यह भाप का जहाज था, इसके डूबने से तकरीबन 1517 लोगों की मौत हुई थी, जो सबसे बड़ी समुद्री आपदाओं में शामिल है. इसके बारे में ये कहा गया था कि ये जहाज कभी नहीं डूब सकता, लेकिन इतिहास से हम सब वाकिफ है.

कितना बड़ा था टाइटैनिक जहाज?

आयरलैंड के बेलफास्ट की हार्लैंड एंड वूल्फ नाम की कंपनी ने इस जहाज को बनाया था. इसकी लंबाई 269 मीटर, चौड़ाई 28 मीटर और ऊंचाई 53 मीटर थी. जहाज में तीन इंजन थे. साथ ही भट्टियों में 600 टन तक कोयले की खपत होती थी. उस वक्त इसे बनाने का खर्च 15 लाख पाउंड था और इसे तैयार होने में तीन साल का समय लगा था.
इस जहाज में 3300 लोग एक साथ सवार हो सकते थे.

जानकारी के मुताबिक जब पहली बार ये सफर पर निकला तो 1300 यात्री और 900 चालक दल के लोग इस जहाज पर सवार थे. उस वक्त के लिहाज से इसकी टिकट काफी महंगी थी. फर्स्ट क्लास की टिकट का दाम 30 पाउंड, सेकंड क्लास का 13 पाउंड और थर्ड क्लास का 7 पाउंड था.

कहां मिला था मलबा?

टाइटैनिक जहाज का मलबा साल 1985 में समुद्रतल से 2600 फीट नीचे अटलांटिक सागर में मिल था. इस काम को अमेरिका और फ्रांस ने किया था, जिसमें यूएस नेवी ने अहम भूमिका निभाई. जहां मलबा मिला, वो कनाडा के सेंट जॉन्स के साउथ में 700 किलोमीटर दूर और अमेरिका के हैलिफोक्स से 595 किलोमीटर साउथ ईस्ट में है. टाइटैनिक दो टुकड़ों में मिला था और दोनों एक दूसरे से 800 मीटर दूर थे.

मलबा देखने गए लोगों की मौत

आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक, इसने कई कहानियों, कई फिल्मों और संगीत को प्रेरित किया और यह बहुत सारे विद्वानों और वैज्ञानिक अटकलों का विषय बना. आज भी इस जहाज का काफी मलबा समुद्र की गहराई में है. अमेरिकी कंपनी ओशन ने हाल ही में टाइटैनिक टूरिज्म भी शुरू किया था. इसे देखने गई पनडुब्बी डूबने से पांच लोगों की मौत हो गई थी.





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