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Saturday, April 19, 2025
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किशोरी के पेट में था 5 किलो का ट्यूमर, फटने के बाद डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान


डॉक्टरों को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है. डॉक्टर अपने ज्ञान और मेहनत से ऐसे मरीजों की जान बचाते हैं, जिनके बचने की कोई उम्मीद नहीं होती. ऐसा ही एक चमत्कार नई दिल्ली के जीवन अस्पताल में डॉक्टरों ने कर दिखाया. डॉक्टरों ने 16 साल की किशोरी के पेट से पांच किलो का कैंसर वाला ट्यूमर पांच घंटे की सर्जरी के बाद निकाला है. ट्यूमर पेट में फट चुका था और कई अंगों पर प्रभाव डाला था. डॉक्टरों ने सभी अंगों को ट्यूमर के प्रभाव से न केवल मुक्त किया बल्कि पेट में जहां-जहां फ्लूड था, उसे भी साफ कर दिया. फिलहाल किशोरी की हालत सामान्य है.

16 साल की किशोरी, जिसके पेट में अक्सर हल्का दर्द रहता था. परिजन उसे सामान्य दर्द मानकर घरेलू उपाय कर रहे थे. अचानक पेट में तेज दर्द होने लगा. तब परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए. अल्ट्रासाउंड जांच में पता चला कि पेट में रसोली थी, जो फट गई है. इसकी सर्जरी ही होगी लेकिन डॉक्टर यह आंकलन नहीं कर सके कि वह रसौली कैंसर वाली थी. परिजन परेशान हो गए. ऑपरेशन के लिए रुपए भी नहीं थे. किसी ने बताया कि बेटी को नई दिल्ली के जीवन अस्पताल ले जाओ. जीवन अस्पताल ले जाने पर किशोरी की जांच की गई. पता चला कि पेट में रसौली नहीं बड़ा कैंसर वाला ट्यूमर था जो फट चुका है और पेट और आसपास उसका फ्लूड फैल चुका है.

करीब पांच घंटे चली सर्जरी

सीटी स्कैन और पेट स्कैन के जरिए पता चला कि पेट में लगभग पांच किलो का ट्यूमर था. यह ट्यूमर काफी लंबे से था, लेकिन उसके कोई लक्षण नहीं उभरे थे. ट्यूमर फटने से आंतें, यूरिन ब्लैडर, यूटरेस, भी उसकी चपेट में आ चुके थे. डॉक्टरों के सामने बड़ी चुनौती थी. तुरंत ही डॉक्टरों की टीम बनाई गई. इस टीम में ऑंकोलॉजिस्ट, गायनी, जनरल सर्जन समेत कई डॉक्टरों को शामिल किया गया. लगभग पांच घंटे चली सर्जरी के बाद किशोरी की पेट से 5 किलो का ट्यूमर निकाला गया. इसके साथ ही जहां-जहां ट्यूमर फटने से फ्लूड फैला था उसे भी साफ किया गया. ट्यूमर दूसरे अंगों से भी चिपका था, जिसे हटाने में डॉक्टरों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

12 घंटे बाद वार्ड में शिफ्ट

इतने बड़े ऑपरेशन के बाद किशोरी को महज 12 घंटे के दौरान ही वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. जीवन अस्पताल के एमडी डॉ. विपेंद्र सभरवाल ने बताया कि यह सर्जरी बेहद कठिन थी. इस तरह का कैंसर इसी उम्र में होता है. जरूरत है कि पेट दर्ज को हल्के में नहीं लिया जाए. बच्ची जब बार-बार पेट दर्ज की शिकायत कर रही थी और पेट भी लगातार फूलता जा रहा था तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि बच्ची के अस्पताल में आने के कुछ ही घंटों में उसका ऑपरेशन किया गया और फिलहाल बच्ची की हालत सामान्य है.

‘धरती के भगवान हैं डॉक्टर’

किशोरी की मां नीलम शर्मा ने कहा कि उन्हें डॉक्टर के रूप में भगवान मिले हैं, जिन्होंने उनकी बेटी की जान बचा ली. जब वह बेटी को अस्पताल लाए थे तो उम्मीद ही नहीं थी कि उसे जिंदा वापस लेकर जा सकेंगे. बच्ची के पिता राजीव शर्मा ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि बेटी के पेट में रसौली है जो फट चुकी है और पेट में पानी भर गया है. उसका उपचार शुरू करवाया था, लेकिन आराम नहीं मिल रहा था. जब जीवन अस्पताल आए तब जांच हुईं. पता चला कि पेट में रसौली नहीं कैंसर का ट्यूमर था जो फट चुका है. यह पता चलने पर उन्होंने बेटी के जिंदा रहने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. डॉक्टरों ने धरती का भगवान बन कर उनकी बेटी को बचा लिया.

इनपुट- शाहनवाज





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