
Ravi Pradosh Vrat Katha 2025
Ravi Pradosh Vrat Katha 2025 In Hindi: हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि बहुत विशेष मानी जाती है. हर महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है. दोनों त्रयोदशी तिथियों (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ये व्रत भगवान शंकर को समर्पित है. जब कोई प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है, तो वो रवि प्रदोष व्रत कहलाता है.
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी प्रदोष व्रत करता है उसके जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं. साथ ही जीवन में खुशियां आती हैं. प्रदोष व्रत के दिन व्रत के साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं. प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय कथा भी अवश्य पढ़नी चाहिए. इससे जीवन में खुशहाली बनी रहती है. वहीं बिना कथा पढ़े व्रत और पूजा अधूरी मानी जाती है और इसका फल प्राप्त नहीं होता.
आज है रवि प्रदोष व्रत
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत आज यानी 9 फरवरी को शाम 7 बजकर 25 मिनट पर होगी. वहीं इस तिथि का समापन कल यानी 10 फरवरी को शाम 6 बजकर 57 मिनट पर हो जाएगा. प्रदोष व्रत में शाम की पूजा का महत्व है. इसलिए आज प्रदोष व्रत रखा जाएगा. आज रविवार है. इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है.
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रवि प्रदोष व्रत कथा
प्राचीन समय में एक गांव में ब्राह्मण पति-पत्नी रहा करते थे. ब्राह्मण बहुत ही गरीब था. उसकी पत्नि प्रदोष व्रत रखती थी. दोनों का एक पुत्र था. एक दिन गंगा स्नान के लिए जाते समय रास्ते में उनके पुत्र को चोरों ने पकड़ लिया. चोरों ने उससे कहा कि अगर वो अपने पिता के गुप्त धन के बारे में जानकारी दे देगा तो वो उसे मारेंगे नहीं. इस पर बालक ने कहा कि उसके माता-पिता गरीब हैं और उनके पास कोई गुप्त धन नहीं है. फिर चोरों ने बालक से पूछा की उसकी पोटली में क्या है. इस बालक ने कहा कि पोटली में रोटियां हैं, जो मां ने बनाई हैं. यह सुनकर चोरों ने उसे जाने दिया.
इसके बाद वो बालक चलते-चलते एक नगर में जां पहुंचा. बालक उस नगर में एक बरगद के पेड़ की छाया के नीचे विश्राम करने लगा. इसी दौरान उसे नींद आ गई और वो सो गया. उसी समय नगर के सिपाही चोरों की तलाश में निकले थे. उन्हें बरगद के पेड़ के नीचे वो बालक सोता हुआ दिखा. फिर उन्होंने बालक को ही चोर समझकर बंदी बना लिया और राजा के सामने पेश किया. राजा ने बालक को कारावास में डालने का आदेश दे दिया. उधर बालक के घर न लौटने पर माता-पिता को पुत्र की चिंता सताने लगी. अगले दिन प्रदोष व्रत था. ब्राह्मणी ने विधि-पूर्वक प्रदोष का व्रत रखा और भगावन शिव से अपने पुत्र के लिए प्रार्थना की. भगावन शिव ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया.
इसके बाद उसी रात भगवान शिव राजा के स्वप्न में आए और उसे बालक को छोड़ने का आदेश दिया. साथ ही भगवान शिव ने राजा से कहा कि अगर उसने बालक को नहीं छोड़ा तो उसके राज्य के वैभव का नाश हो जाएगा. फिर सुबह होते ही राजा ने बालाक को कारावास से मुक्त कर देने का आदेश दिया. इसके बाद बालक ने राजा को सारी बात बताई. तब राजा ने अपने सिपाहियों आदेश दिया कि वो बालक के माता-पिता को लेकर आएं. इसके बाद राजा ने ब्राह्मण को पांच गांव दान कर दिए. शिव जी की कृपा से ब्राह्मण की गरीबी दूर हो गई. फिर वो और उसका परिवार सुखी जीवन लगा.
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Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.