देश की संसद में सनातनी धर्माचार्यों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का मामला प्रयागराज महाकुंभ में भी तूल पकड़ने लगा है. प्रयागराज पहुंचे कथा वाचक देवकीनंदन ने कहा कि देश की संसद में 50 सीटें सनातनी धर्माचार्यों के लिए आरक्षित होनी चाहिए. वहीं देवकी नंदन के इस प्रस्ताव को लेकर संत समाज में असहमति के सुर उठने लगे हैं. माना जा रहा है कि धर्म संसद में अब इस मामले में निर्णय हो सकता है.
पहले से ही आरक्षण के विवाद में उलझी देश की राजनीति में अब सनातनी धर्माचार्यों को भी आरक्षण देने का मामला गरमाने लगा है. महाकुंभ पहुंचे कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने एक बार फिर दोहराया है कि संसद में भी 50 सीटों पर सनातनी धर्माचार्यों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. वहीं उनकी इस मांग को लेकर जहां एक ओर असहमति जताई जाने लगी है तो वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे को धर्म संसद में उठाने की बात कही गई है.
कमल वेद वेदांती ने जताई असहमति
वहीं कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर की इस मांग को लेकर कथावाचक समुदाय ने ही अपनी असहमति जतानी शुरू कर दी है. कथावाचक और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे राम कमल वेद वेदांती ने कहा है कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. जिसका जो कार्य है उसे वही करना चाहिए. संत समाज से जुड़े लोग पहले ही अपनी क्षमता और लोक प्रियता से संसद में हैं.
10 फीसदी आरक्षण पर संसद में होगी चर्चा
इस मुद्दे को लेकर अखाड़ों की प्रतिनिधि सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि इस विषय को धर्म संसद में उठाया जाएगा. इसके उपरांत ही इस पर फैसला लिया जाएगा. कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर का कहना है कि देश में स्वच्छ और मूल्य परक राजनीति के लिए आवश्यक है कि संसद में भी धर्म और नीति के मर्मज्ञ धर्माचार्यों का प्रतिनिधित्व हो. इसीलिए संसद में धर्माचार्यों का आरक्षण आवश्यक है. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने धर्माचार्यों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का मामला उठाया हो.