भारत और मालदीव के बीच बढ़ती दोस्ती को चीन हजम नहीं कर पा रहा है. इसी के तहत चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अचानक मालदीव का दौरा किया. वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. वांग यी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पॉलितब्यूरो के सदस्य हैं, अपनी एक यात्रा से लौटते हुए शुक्रवार को माले (मालदीव की राजधानी) पहुंचे. यह दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद गासन मौमून भारत यात्रा पर हैं.
पिछले साल राष्ट्रपति बनने के कुछ महीनों बाद मुइज्जू ने चीन का दौरा किया था. उसके बाद यह पहली बार है जब किसी बड़े चीनी अधिकारी ने मालदीव का दौरा किया हो. मुइज्जू की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी तक बढ़ाया था और कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. वांग यी का यह दौरा इन समझौतों को लेकर चीन की गंभीरता को दिखाता है.
वांग यी और मुइज्जू की चर्चा
मालदीव के मीडिया के अनुसार, वांग यी के साथ बैठक में राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन के साथ हुए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य समझौतों को तेजी से लागू करने पर जोर दिया. वांग ने मुइज्जू की चीन यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया. हालांकि, मुइज्जू ने अपने शुरुआती कार्यकाल में चीन से नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास किया था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने भारत के साथ भी संबंधों को संतुलित करने की दिशा में कदम बढ़ाए, क्योंकि रिश्ते खराब होने के बावजूद मालदीव की मुसीबतों में भारत उसके साथ खड़ा रहा है.
भारत-मालदीव के संबंधों में सुधार
मालदीव में चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू ने भारत से संचालित डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान और दो हेलीकॉप्टर के संचालन को नागरिकों के हाथ में सौंपने की मांग की थी. इससे भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव आ गया था. हालांकि, अक्टूबर में मुइज्जू की भारत यात्रा के बाद संबंधों में सुधार हुआ. इस यात्रा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. भारत ने मालदीव को विदेशी मुद्रा संकट से उबारने के लिए वित्तीय सहायता भी बढ़ाई है.
चीन की चिंता और भारत की कूटनीति
भारत और मालदीव के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. मालदीव के रक्षा मंत्री मौमून की नई दिल्ली यात्रा और वांग यी की माले यात्रा से स्पष्ट है कि दोनों देश मालदीव के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए सक्रिय हैं. भारत ने मालदीव के रक्षा और आर्थिक संकट में मदद कर अपने संबंधों को मजबूत किया है, जबकि चीन अपनी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने में जुटा है.
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