पीएम मोदी (फोटो-पीटीआई)
अमेरिका के बाद अब भारत के पड़ोसी मुल्क मॉरीशस में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है. यहां पर हुए संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के गठबंधन एल अलायंस लेपेप को हार का सामना करना पड़ा है. अलायंस ऑफ चेंज गठबंधन के नेता नवीन रामगुलाम (77) हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह के अगले नेता बनने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन रामगुलाम से बात कर उन्हें संसदीय चुनावों में जीत पर बधाई दी और कहा कि वह दोनों देशों के बीच ‘विशेष एवं अनूठी साझेदारी’ को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ करीबी तौर पर काम करने को लेकर आशान्वित हैं.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, मेरे मित्र नवीन रामगुलाम से गर्मजोशी से बातचीत हुई और उन्हें चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी. मैंने मॉरीशस का नेतृत्व करने में उनकी सफलता की कामना की और भारत आने का निमंत्रण दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा, हमारी विशेष और अनूठी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करने को लेकर आशान्वित हूं.
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Had a warm conversation with my friend @Ramgoolam_Dr, congratulating him on his historic electoral victory. I wished him great success in leading Mauritius and extended an invitation to visit India. Look forward to working closely together to strengthen our special and unique
— Narendra Modi (@narendramodi) November 11, 2024
रामगुलाम तीसरी बार बने प्रधानमंत्री
प्रविंद जगन्नाथ 2017 से देश के प्रधानमंत्री थे. वहीं जीत के बाद नवीन रामगुलाम तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. मॉरीशस की जनता ने संसद की 62 सीटों के लिए रविवार को वोटिंग की थी. यहां पर मुकाबला 68 राजनीतिक पार्टियां और 5 गठबंधन के बीच था. संसद में आधी से अधिक सीटें हासिल करने वाली पार्टी या गठबंधन को प्रधानमंत्री मिलता है.
जनन्नाथ और रामगुलाम को सियासत विरासत के तौर पर मिली है. दोनों ही परिवारों के नेताओं ने लंबे समय तक मॉरीशस की सत्ता पर राज किया है. 77 वर्षीय रामगुलाम सिवसागर रामगुलाम के बेटे हैं. मॉरीशस को आजादी दिलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.
उन्होंने 1995 से 2000 के बीच और फिर 2005 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया.
भारत के लिए क्या मायने?
मॉरीशस से भारत के संबंध घनिष्ठ और दीर्घकालिक रहे हैं. वहां की 1.2 मिलियन की आबादी में लगभग 70% भारतीय मूल के लोग हैं. मॉरीशस ने 1968 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की. भारत से मॉरीशस पहुंचने वाले लोगों में सबसे पहले पुडुचेरी के लोग थे.
मॉरीशस उन महत्वपूर्ण देशों में से एक रहा है जिसके साथ भारत ने मॉरीशस की आजादी से पहले ही 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. 1948 और 1968 के बीच ब्रिटिश शासित मॉरीशस में भारत का प्रतिनिधित्व एक भारतीय आयुक्त द्वारा किया गया और उसके बाद 1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद एक उच्चायुक्त द्वारा किया गया.
संकट के समय में भारत मॉरीशस को मदद पहुंचाने वाले देशों में सबसे आगे रहा है. कोविड-19 और वाकाशियो तेल रिसाव संकट में दुनिया ने इसे देखा भी. मॉरीशस के अनुरोध पर भारत ने अप्रैल-मई 2020 में कोविड से निपटने में मदद के लिए 13 टन दवाएं, 10 टन आयुर्वेदिक दवाएं और एक भारतीय रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीम की आपूर्ति की. भारत मुफ्त कोविशील्ड टीकों की 1 लाख खुराक की आपूर्ति करने वाला पहला देश भी था.
भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक
2005 से भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है. वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए मॉरीशस को भारतीय निर्यात 462.69 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. वहीं भारत को मॉरीशस का निर्यात 91.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और कुल व्यापार 554.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. पिछले 17 वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में 132% की वृद्धि हुई है.
निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने कई ऐसे फैसले लिए थे जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए थे. इस साल जनवरी में अयोध्या मंदिर के उद्घाटन के दौरान मॉरीशस ने धार्मिक कार्यों में भाग लेने के लिए हिंदुओं को दो घंटे की छुट्टी भी दी थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस साल जुलाई में मॉरीशस का दौरा किया था और रामगुलाम और बेरेन्जर सहित शीर्ष विपक्षी मॉरीशस राजनेताओं से मुलाकात की थी. ऐसे में भले ही विपक्षी गठबंधन चुनाव जीत गया, नई दिल्ली को भारत के प्रति पोर्ट लुइस की नीतियों में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है.