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Sunday, October 6, 2024
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ईरान ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलें ही क्यों दागी? यह था पूरा मास्टर प्लान


ईरान ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलें ही क्यों दागी? यह था पूरा मास्टर प्लान

ईरान के पास करीब 3 हजार बैलिस्टिक मिसाइल हैं.

ईरान ने इजराइल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दी हैं. तस्वीरों में ईरानी मिसाइलें गिरती नजर आ रही हैं. दावा किया गया है कि ईरान की 90 फीसदी मिसाइलों अपने सटीक निशाने को हिट किया है. इसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें यह नजारा साफ देखा जा सकता है. ईरान उन देशों में है जो हथियार बनाता भी है और खरीदता भी है. चीन और रूस ईरान को कई तरह के हथियार और मिसाइल सप्लाई करते हैं.ईरान ने फतेह-110, ज़ोल्फ़ाग़र और कियाम-1 जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई हैं.

मंगलवार रात को ईरान ने ताबड़तोड़ बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं. पिछली बार ईरान ने हमलों के लिए ड्रोन और क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया था, लेकिन इस बार बैलिस्टिक मिसाइल दागी हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या होती हैं बैलिस्टिक मिसाइलें, ईरान ने हमले के लिए इन्हीं मिसाइलों का इस्तेमाल क्यों किया?

क्या होती है बैलिस्टिक मिसाइल, ईरान ने इसे क्यों चुना?

इजराइल को जवाब देने के लिए ईरान ने यूं ही नहीं बैलिस्टिक मिसाइलों को चुना. इसके पीछे सोची-समझी रणनीति है. इस रणनीति को समझने के लिए पहले बैलिस्टिक मिसाइल को समझना जरूरी है. ये वो मिसाइल होती हैं जिनके जरिए हाई एक्सप्लोसिव के साथ केमिकल, बायोलॉजिकल और न्यक्लियर हथियार तक छोड़े जा सकते हैं. यह तेजी से हमला करती हैं.

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बैलिस्टिक मिसाइलों की पावर होती है रॉकेट. आसान भाषा में समझें तो इसमें रॉकेट का समूह होता है जो उसे तय लक्ष्य तक गिराने में मदद करता है. यह मिसाइल दूसरे आर्टिलरी रॉकेट के मुकाबले अधिक ऊंचाई तक जाती है और जमीन पर बहुत तेज स्पीड से गिरती है.

अलग-अलग बैलिस्टिक मिसाइल की क्षमता भी अलग-अलग होती है. एक मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल 1000 से 3 हजार किलोमीटर तक हमला करती है. इंटरमीडिएट बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज 3000 से 5 हजार किलोमीटर तक होती है. इसके अलावा शॉर्ट रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल 1 हजार किलोमीटर और इंटरकॉन्टिनेंट बैलिस्टिक मिसाइल 5500 किलोमीटर की दूरी तक तबाही मचाने में सक्षम होती हैं.

बैलिस्टक मिसाइल ईरान की ताकत है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के पास करीब 3 हजार बैलिस्टिक मिसाइल हैं. ईरान अपनी इसी ताकत का इस्तेमाल इजराइल को तबाह करने में कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,मिसाइलों की तीव्र गति के कारण इसे रोकना दुश्मन के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है. यही वजह है कि ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

ईरान की मिसाइलों के विशेषज्ञ फैबियन हिंज कहते हैं, सोशल मीडिया पर जो ईरान के हमले से जुड़ी फोटो और वीडियाे पोस्ट हुई हैं उससे साफ है कि ये वो मिसाइलें हैं जो ठोस और तरल ईधन से चलाई जाती हैं. इनकी गिनती सबसे बेहतरीन मिसाइल में की जाती हैं जो 90 डिग्री पर रॉकेट लॉन्चर से छोड़ी जाती हैं. मंगलवार को ईरान ने जो मिसाइलें छोड़ीं उसमें ठोस ईधन वाली ‘हज कासेम’, ‘खीबर शेकन’ और ‘फतह 1’ हो सकती हैं. इसके अलावा इसमें लिक्विड ईधन वाली मिसाइल ‘इमाद’, ‘बद्र’ और ‘खोर्रमशहर’ हो सकती हैं.

ईरान पहले भी कह चुका है कि उसकी बैलिस्टिक मिसाइलों में अमेरिका, इज़राइल और अन्य संभावित क्षेत्रीय लक्ष्यों को भेदने के साथ जवाबी कार्रवाई करने की पावर है. हमें परमाणु हथियार की जरूरत नहीं.

जून 2023 में, ईरान ने अपनी पहली हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल पेश की. IRNA न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से कम से कम पांच गुना तेजी से उड़ती हैं, जिससे इन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है. आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन का कहना है कि ईरान का मिसाइल प्रोग्राम काफी हद तक उत्तर कोरियाई और रूसी प्रोग्राम परजैसा है. इसे चीन से कई तरह की मदद मिली हैं. ईरान के पास क्रूज मिसाइलें भी हैं, जो 3,000 किमी (1,860 मील) तक की रेंज में तबाही मचाने में सक्षम है.

यह भी पढ़ें: ईरान और इजराइल में किसकी सेना मजबूत, किसके पास कितने हथियार?



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