राजमपेट लोकसभा सीट
आंध्र प्रदेश की राजमपेट लोकसभा सीट कभी कांग्रेस की सुरक्षित सीट मानी जाती थी, लेकिन तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने 1984 में उसे जोर का झटका दिया था. पार्टी ने कांग्रेस के गढ़ को ढहा दिया था. अब इस सीट पर युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (YSRCP) का कब्जा है. वाईएसआरसीपी पिछले दो लोकसभा चुनाव से जीतती आ रही है और हैट्रिक लगा सकती है. वहीं, टीडीपी वापसी करने की जुगत में जुटी हुई है. दोनों पार्टियां लगातार चुनावी मैदान में पसीना बहा रही हैं.
राजमपेट लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें राजमपेट, थम्बालापल्ले, पिलेरू, कोदुर, रायचोटी, मदनपल्ले और पुंगनूर शामिल हैं. ये लोकसभा सीट अन्नामय्या जिले के अंतर्गत आती है. राजमपेट चेयेरु नदी के तट पर स्थित रायलसीमा क्षेत्र का हिस्सा है. यहां घने जंगल हैं और इसकी सीमा पूर्व में नेल्लोर, पश्चिम में श्री सत्य साईं, उत्तर में वाईएसआर और दक्षिण में तिरुपति जिले से लगती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, राजमपेट की आबादी 20 लाख 61 हजार 30 है.
राजमपेट की अर्थव्यवस्था का मुख्य सोर्स खेती
राजमपेट की 78.35 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है और 21.65 फीसदी शहरी क्षेत्र में रहती है. वहीं, अनुसूचित जाति (एससी) का अनुपात 14.02 अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात 3.53 है. राजमपेट अमरावती से लगभग 395 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां साढ़े सात घंटे में पहुंचा जा सकता है. इस शहर के लिए ट्रेन और आंध्र प्रदेश रोडवेज बस की सेवा उपलब्ध है. साथ ही साथ शहर के अंदर घूमने के लिए ऑटो एक प्रमुख साधन है. इसके अलावा यहां फ्लाइट से भी जाया जा सकता है. इसके लिए कडप्पा और तिरुपति एयरपोर्ट तक ही सेवा मिलेगी. इसके बाद बस से यात्रा की जा सकती है.
राजमपेट की अर्थव्यवस्था का मुख्य सोर्स कृषि है. यहां धान, कपास, मूंगफली, सूरजमुखी और पान की खेती की जाती है. इसके अलावा, नींबू, मीठा संतरा, आम, पपीता और केला भी यहां की बागवानी की प्रमुख फसलें हैं. इस क्षेत्र में रायचोटी भी है, जोकि कई महापाषाण स्थल और पत्थर के घेरे हैं. एक प्रसिद्ध महापाषाण स्थल देवंदलापल्ली में है. अन्नामय्या जिले का गठन 4 अप्रैल 2022 को किया गया था.
राजमपेट लोकसभा सीट पर कौन पार्टी कब जीती?
राजमपेट लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में वोटिंग हुई, जिसमें कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. वहीं, 1962 में स्वतंत्र पार्टी ने जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया था. इसके बाद 1967, 1971, 1977, 1980 में लगातार चार बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. हालांकि कांग्रेस को 1984 में टीडीपी ने बड़ा झटका दिया और सीट अपने नाम कर ली. इसके बाद फिर से कांग्रेस ने वापस की और 1989, 1991, 1996, 1998 में उसने विजय हासिल की. 1999 में टीडीपी ने जीत दर्ज की, जबकि 2004, 2009 में कांग्रेस पुनः जीती. इस चुनाव के बाद कांग्रेस बेहद कमजोर हो गई और वाईएसआरसीपी ने 2014 में पहली बार चुनाव जीता और 2019 में भी जीत को बरकरार रखा.
राजमपेट सीट पर किसे-कितने मिले वोट?
चुनाव आयोग के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में राजमपेट सीट पर 15 लाख 46 हजार 938 वोटर थे और 79.15 फीसदी मतदान हुआ था. वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार पीवी मिधुन रेड्डी को 7 लाख 2 हजार 211 वोट मिले थे, जबकि टीडीपी के उम्मीदवार डी ए सत्या प्रभा के खाते में 4 लाख 33 हजार 927 वोट मिले थे. वाईएसआरसीपी ने टीडीपी को 2 लाख 68 हजार 284 वोटों के एक बड़े अंतर से हराया था. कांग्रेस को मात्र 21150 वोट मिले थे. वहीं, 21339 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था.