नरसरावपेट लोकसभा सीट
आंध्र प्रदेश की नरसरावपेट लोकसभा सीट कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का गढ़ रही है. इसमें युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने सेंध लगा दिया. अब इस सीट पर असल लड़ाई वाईएसआरसीपी और टीडीपी के बीच है. दोनों पार्टियां एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वाईएसआरसीपी ने टीडीपी को वोटों के एक बड़े अंतर से हराया था. इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें नरसरावपेट, सत्तेनापल्ले, पेडाकुरापाडु, चिलकलुरिपेट, विनुकोंडा, गुरजाला और माचेरला शामिल हैं.
नरसरावपेट शहर को ‘पलनाडु का प्रवेश द्वार’ भी कहते हैं. यह एक पवित्र स्थलों में से एक है. यहां नागार्जुन सागर जलवायु नहर का संचालन और रखरखाव लिंगमगुंतला सर्कल के मुख्य कार्यालय हैं. इस शहर का मूल नाम अटलुरू था, जिसे नरसरावपेट नाम के स्थानीय जमींदार राजा मलराजू नरसा राव के नाम पर बदल दिया गया था. इसे पलानाडु जिले का प्रमुख कमर्शियल ट्रेडिंग हब माना जाता है. यहां की मिट्टी हल्की लाल रंग की है और यह शहर पहाड़ियों से घिरा हुआ है. यह प्रकाशम जिले और बापटला जिले के आसपास के गांवों के लिए एक प्रमुख कमर्शियल सेंटर के रूप में कार्य करता है. यहां उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का क्षेत्रीय केंद्र है.
नरसरावपेट का फेमस शिव मंदिर
अमरावती से नरसरावपेट की दूरी करीब 93 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में करीब 2 घंटे का समय लगता है. यहां ट्रेन और आंध्र प्रदेश रोडवेज बसों के जरिए से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां घूमने के लिए कोटप्पाकोंडा पहाड़ी पर भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. महाशिवरात्रि के दिन पहाड़ी के पास एक भव्य मेला आयोजित किया जाता है. इस दौरान आसपास के क्षेत्रों के लोग कोट्टप्पाकोंडा पहाड़ी पर स्थित मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करते हैं. इसके अलावा शहर में भीम लिंगेश्वर स्वामी मंदिर और पथुरु शिवालयम भी है.
नरसरावपेट लोकसभा सीट पर कौन पार्टी कब जीती?
नरसरावपेट लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था और निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद कांग्रेस ने इसे अपना गढ़ बना लिया. वह 1967 से लेकर 1980 तक लगातार चार बार चुनाव जीती. हालांकि उसे 1984 में टीडीपी ने झटका दिया. पार्टी ने पहली बार इस सीट पर विजय पाई, लेकिन 1989 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से सीट पर कब्जा जमाया और लगातार दूसरी बार 1991 में जीत दर्ज की. टीडीपी 1996 में फिर से विजयी हुई. वहीं, 1998, 1999 में लगातार दो बार कांग्रेस जीती, लेकिन फिर टीडीपी 2004, 2009, 2014 में जीती. इसके बाद वाईएसआरसीपी ने कांग्रेस और टीडीपी को बड़ा झटका दिया. उसने 2019 के चुनाव में टीडीपी को करारी मात दी.
नरसरावपेट सीट पर किसे-कितने मिले वोट?
चुनाव आयोग के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में नरसरावपेट सीट पर मतदाताओं की संख्या 16 लाख 70 हजार 391 थी और 86.05 फीसदी वोटिंग हुई थी. वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार लवु श्री कृष्णा देवरायलू को 7 लाख 45 हजार 557 वोट मिले थे, जबकि टीडीपी के उम्मीदवार रायपति संबाशिवराव को 5 लाख 91 हजार 555 वोट मिले थे. वाईएसआरसीपी ने टीडीपी को 1 लाख, 54 हजार दो वोटों के बड़े अंतर से हराया था. कांग्रेस को मात्र 11033 वोट मिले थे. इससे ज्यादा 12527 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था.