कभी कांग्रेस का गढ़ था महासमुंदImage Credit source: tv9 भारतवर्ष
देश के 543 और छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक महासमुंद लोकसभा सीट है. महासमुंद छत्तीसगढ़ की राजनीति का एक बड़ा केंद्र रहा है. यहां से विद्याचरण शुक्ल 6 बार सांसद चुने गए. वो एक बार यहां से जनता दल की टिकट पर भी संसद पहुंचे हैं. विद्याचरण शुक्ल के भाई एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल भी यहां से एक बार सांसद चुने गए हैं. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पहले सीएम रहे अजीत जोगी भी महासमुंद के सांसद रहे हैं. महासमुंद में 19 बार हुए लोकसभा चुनाव (उपचुनाव समेत) में कांग्रेस पार्टी ने 12 बार जीत दर्ज की है. कभी कांग्रेस का किला कहे जाने वाले महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में पिछले तीन बार से बीजेपी का कब्जा है. वर्त्तमान में यहां से चुन्नी लाल साहू सांसद हैं.
चुन्नी लाल साहू ने कांग्रेस पार्टी के धनेन्द्र साहू को हराया है. चुन्नी लाल साहू को जहां 50.44 प्रतिशत वोट मिले वहीं कांग्रेस के धनेन्द्र साहू को 43 प्रतिशत. यहां तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय देवेन्द्र सिंह ठाकुर को 1.27 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि चौथे स्थान पर रहे बीएसपी के धनसिंह कोसरिया को 0.92 प्रतिशत वोट ही मिले.
2019 में बीजेपी की तीसरी जीत
बीजेपी के चुन्नी लाल साहू ने कांग्रेस पार्टी के धनेन्द्र साहू को 90,511 वोटों से हराया था. चुन्नी लाल साहू को जहां 616,580 वोट मिले वहीं कांग्रेस के धनेन्द्र साहू को 5,26,069 वोट, तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय देवेन्द्र सिंह ठाकुर को 43.06 प्रतिशत मत मिले थे. जबकि चौथे स्थान पर रहे बीएसपी प्रत्याशी धनसिंह कोसरिया को 11245 वोट मिले. तीसरे और चौथे स्थान पर रहे प्रत्याशी को नोटा 21241 से भी कम वोट मिले थे.
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2014 में भी जीती थी बीजेपी
इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां चंदूलाल साहू ने कांग्रेस पार्टी के अजीत जोगी को एक कड़े मुकाबले में 1,217 वोटों से हराया था. यहां तीसरे चौथे और पांचवे स्थान पर भी चंदूलाल साहू नाम के उम्मीदवार थे. तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय चंदूलाल साहू को 20255, चौथे स्थान के चंदूलाल साहू को 12308 और पांचवे स्थान पर रहे चंदूलाल साहू को 10979 वोट मिले थे. दरअसल 2014 में बीजेपी के चंदूलाल साहू के साथ यहां 11 चंदूलाल साहू ने नामांकन किया था. कहा जाता है कि अजीत जोगी ने सभी निर्दलीय चंदूलाल साहू को बीजेपी के चंदूलाल साहू को हराने के लिए मैदान में उतारा था.
महासमुंद का चुनावी इतिहास
महासमुंद में हुए पहले 6 चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी. यहां 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के श्योदास डागा ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1957 में मगनलाल राधाकिशन बागड़ी, 1962, 1964 और 1967 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी के विद्याचरण शुक्ल सांसद बने. 1971 में कांग्रेस के कृष्णा अग्रवाल, 1977 में जनता पार्टी के बृज लाल वर्मा, 1980, 1984 और 1989 में विद्याचरण शुक्ल ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की. 1980 और 1984 में शुक्ला ने कांग्रेस जबकि 1989 में विद्याचरण शुक्ल ने जनता दल की टिकट पर जीत दर्ज की थी. 1991 और 1996 में बीजेपी के पवन दीवान ने जीत दर्ज की. 1998 में बीजेपी के चन्द्रशेखर साहू, 1999 में कांग्रेस के श्यामाचरण शुक्ल. 2004 में कांग्रेस के अजीत जोगी, 2009 में बीजेपी के चंदूलाल साहू यहां के सांसद बने.
महासमुंद का वोट गणित
महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा-धमतरी, खल्लारी,सरायपाली कुरूद, बसना, धमतरी, राजिम और महासमुंद सीट है. महासमुंध लोकसभा तीन जिले- धमतरी ,गरियाबंद और महासमुंद में विस्तारित है. यहां कुल 16,37,951 मतदाता हैं जिनमें पुरुष मतदाता की संख्या-8,24,241 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 8,13,688 थर्ड जेंडर निर्वाचक 22 हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो महासमुंद में कुर्मी, अघरिया , यादव , कोलता वोटर की बहुलता है. यहां अनुसूचित जनजाति लगभग 20% , अनुसूचित जाति लगभग 11% है. इस लोकसभा क्षेत्र में 51% प्रतिशत मततदाता अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं. बीजेपी ने 2024 में यहां रूप कुमारी चौधरी को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस पार्टी की तरफ से ताम्रध्वज साहू मैदान में हैं.
कुंड श्वेत गंगा बेहद लोकप्रिय स्थान
महानदी तट पर बसे महासमुंद संसदीय क्षेत्र की विशेष पहचान अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल सिरपुर और गंगरेल बांध है. दक्षिण कौशल की राजधानी रहे श्रीपुर सिरपुर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की मांग लगातार होती रही है. यहां के मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के कारण लोगों को आकर्षित करते हैं. बम्हनी गांव में निरंतर प्रवाह होने वाली कुंड श्वेत गंगा लोकप्रिय स्थान है.