ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराए जा रहे हैं, ऐसे में यहां पर जोरदार चुनावी माहौल बना हुआ है. राज्य के गंजम जिले में पड़ने वाली अस्का लोकसभा सीट पर सभी की नजर रहेगी क्योंकि यह क्षेत्र मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का क्षेत्र रहा है. इस सीट नवीन पटनायक के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक भी चुनाव लड़ चुके हैं. अस्का सीट पर 2019 के चुनाव में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी को जीत मिली थी.
गंजम जिला ओडिशा का एक अहम जिला है. गंजम का कुल क्षेत्रफल 8,206 वर्ग किमी है. इस जिले को तीन सब डीविजन छतरपुर, बेरहामपुर और भंजनगर में बांटा गया है. इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया, 1908 में तंजावुर और दक्षिण केनरा जिलों के साथ गंजम को भी मद्रास प्रेसीडेंसी के 3 जिलों के रूप में रखा गया था. यहां पर ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक हुआ करती थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, यह ओडिशा का सबसे अधिक आबादी वाला जिला भी है.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
गंजम जिला ओडिशा की सबसे पुरानी प्रशासनिक इकाइयों में से एक है और ब्रिटिश शासन के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. गंजम प्राचीन काल में दक्षिण कलिंग का हिस्सा हुआ करता था. मौर्य सम्राट अशोक ने अपना संदेश वर्तमान गंजम जिले में रुशिकुल्या के तट के पास जौगाड़ा में खुदवाया था. गंजम नाम को लेकर कई कहानियां कही जाती हैं. 7वीं शताब्दी के दौरान, इसे कांगोडा या कोंगोडा कहा जाता था. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह शब्द इसी प्राचीन नाम से निकला है, जबकि कुछ का कहना है कि इस क्षेत्र का नाम संभवतः फारसी शब्द ‘गंज’ से आया जिसका मतलब होता है ‘अन्न भंडार’ या ‘बाजार’. यह क्षेत्र व्यापार के मामले समृद्ध शहरों में हुआ करता था.
अस्का लोकसभा सीट गंजम जिले में आती है. यहां पर 7 विधानसभा सीटें हैं जिसमें एक सीट पर रिजर्व है. 2019 के संसदीय चुनाव में अस्का लोकसभा सीट पर बीजेडी की प्रमिला बिसोयी को जीत मिली थी. प्रमिला को चुनाव में 552,749 वोट मिले थे जबकि बीजेपी की अनिता सुभादर्शनी को 348,042 वोट आए. बेहद आसान मुकाबले में प्रमिला ने यह चुनाव 204,707 मतों के अंतर से जीत लिया.
अस्का संसदीय सीट का इतिहास
अस्का संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यह सीट हाई प्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक एक बार सांसद चुने गए थे. जबकि उनके बेटे नवीन पटनायक भी 2 बार यहां से सांसद चुने गए. शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के बीच टक्कर हुआ करता था. बाद में कांग्रेस और जनता दल के बीच मुकाबला शुरू हुआ.
1990 के बाद यहां पर पहले जनता दल फिर इससे टूट कर बनी नई पार्टी बीजू जनता दल ने जीत हासिल की. बीजू पटनायक ने 1996 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की थी. उसके बाद 1998 में नवीन पटनायक यहां से सांसद चुने गए. वह फिर 1999 में भी यहां से चुनाव जीते. साल 2000 में ओडिशा का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया.
इस बार भी नया सांसद मिलेगा
इसके बाद 2000 में यहां पर कराए गए उपचुनाव में कुमुदिनी पटनायक सांसद बनीं. यह सीट भले ही बीजेडी के पास ही रही हो. लेकिन हर बार यहां से अलग-अलग नेता ही सांसद चुने गए. पिछले 6 चुनाव में हर बार नया चेहरा ही यहां से सांसद चुना गया. 2019 के चुनाव में प्रमिला बिसोयी चुनी गई थीं.
2024 के चुनाव में एक बार फिर यहां से नया चेहरा ही सांसद चुना जाएगा. बीजेडी ने रंजीता साहू को मैदान में उतारा है जबकि बीजेपी की ओर से अनिता सुभादर्शनी फिर से चुनौती पेश करेंगी. इस तरह से इस बार भी नया चेहरा ही सांसद बनेगा.