पीएम मोदी ने इंटरव्यू में अपनी मां का जिक्र किया
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर अपनी मां से जुड़ा एक किस्सा सुनाया. पीएम मोदी ने अपनी मां को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. पीएम मोदी अपनी मां हीराबेन के काफी करीब हैं. पीएम ने अपनी मां के बारे में बात करते हुए बताया कि उनकी मां हमेशा कहती थी काम करो बुद्धि से, जीवन जियो शुद्धि से. पीएम ने कहा कि मेरी मां हमेशा कहती थीं- काम करो बुद्धि से, जीवन जियो शुद्धि से. दरअसल पीएम ने 31 मार्च को तमिल के एक निजी चैनल को इंटरव्यू दिया था . जिस दौरान पीएम मोदी ने इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर परिवारवाद और राजनीति के कई मुद्दों पर बात करने के साथ रामलला और अपनी मां को लेकर भावनाएं भी व्यक्त कीं.
पीएम मोदी ने कहा कि मेरी मां पढ़ी लिखी नहीं थीं, उन्होंने कभी स्कूल, किताब कुछ नहीं देखा. लेकिन उन्होंने हमेशा जिंदगी के बड़े संदेश दिये. पीएम ने बताया कि उनकी मां हमेशा उन्हें कहती थी कि देख भाई किसी का बुरा मत करना, गरीबों के लिए काम करना. पीएम ने बताया कि मां की विदाई के समय मैं नहीं चाहता था कि कोई पॉलिटीकल भीड़ जुटे जैसे होता है कि पीएम की मां थी, उनकी विदाई के समय सिर्फ मैं और मेरा परिवार था.
जीवन का संदेश
पीएम मोदी ने अपनी मां के बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए एक किस्सा सुनाया. पीएम ने बताया कि मां जब सौ साल की हुई तो मैं मां से मिलने गया, तो मैं मां से मिला तो पहला सवाल पता है मां ने क्या किया था कि क्यों भाई काम छोड़ कर आए हो क्या, कब आए, तुमको जल्दी जाना होगा. ये उनकी बातें थी. जब फिर मैंने अपनी मां से कहा मैं निकल रहा हूं , तो उन्होंने मुझे जीवन का संदेश दिया . उन्होंने कहा देखो बेटा काम करो बुद्धि से, जीवन जियो शुद्धि से. साथ ही पीएम ने बताया कि मां हमेशा एक बात कहती थी किसी का बुरा मत करना, गरीबों के लिए काम करना. हालांकि पीएम ने बताया कि मेरी मां पढ़ी – लिखी नहीं है, उनको किताब क्या होती है कुछ मालूम नहीं और जीवन भर मजदूरी करीं.
ये भी पढ़ें
मां की विदाई पर बोलें पीएम
पीएम मोदी की मां के निधन के फौरन बाद पीएम फिर जनता की सेवा और अपने कार्यक्रम में लौट गए थे. पीएम ने कहा कि मां कहती थी मेरे लिए समय मत खराब करो , इसीलिए मां की विदाई के समय भी मैं नहीं चाहता था ये सब पोलिटिकल इवेंट बने, इसीलिए मृत्य का समाचार मुझे मिला मैं सुबह 6 बजे यहां से निकला. पीएम ने बताया कि सिर्फ मेरे परिवार के लोग ही अंतिम विदाई के समय मौजूद थे और मैं फिर काम में लग गया.