भारतीय रिजर्व बैंक में स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी.
एक आम इंसान के जेहन में भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की छवि ऐसे केंद्रीय बैंक की है जो करंसी को जारी करता है. इससे जुड़े नियमों को बताता है. मॉनिटरी पॉलिसी जारी करता है और गिरानी रखता है. RBI का कार्यक्षेत्र बस इतना ही नहीं है. पिछले 90 सालों RBI की जिम्मेदारियां और काम करने का तरीका बदला है. भारतीय रिजर्व बैंक अपनी 90वीं एनिवर्सिरी मना रहा है. आइए इसी बहाने जान लेते हैं इसका काम करने का तरीका.
बाजार में जो भी करंसी चल रही है RBI उसे कंट्रोल करता है. कौन से नोट चलेंगे और कौन से नहीं, यह फैसला यही केंद्रीय बैंक करता है. जैसे- होली के रंगों के कारण नोटों का कलर बदल जाता है तो ऐसे नोट्स मार्केट में चलेंगे या नहीं, यह आरबीआई तय करता है.
नोट जारी करने से लेकर विदेशी करंसी तक
भारत में करंसी को छापने से लेकर उसे जारी करने की जिम्मेदारी एकमात्र केंद्रीय बैंक आरबीआई की है. मार्केट में कितने नोट 100 के उपलब्ध होंगे और कितने 50 के, यह सबकुछ आरबीआई ही तय करता है. भारतीय रिजर्व बैंक ने करंसी को जारी करने के लिए मिनियम रिजर्व सिस्टम अपनाया हुआ है. यह सिस्टम 1957 में अपनाया गया था. जिसका मतलब है RBI केवल 200 करोड़ तक का गोल्ड और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व अपने पास रखेगा. इसमें से 115 करोड़ का गोल्ड होगा बाकि रिजर्व विदेशी करंसी में होगा.
सरकार का बैंकर और एडवाइजर
भारतीय रिजर्व बैंक केंद्र और राज्य सरकार के बैंकर, एजेंट और एडवाइजर की भूमिका भी निभाता है. यह सरकार के लिए बैंकिंग से जुड़े काम भी करता है. इतना ही नहीं RBI केंद्र और राज्य सरकार को यह सलाह भी देता है कि कैसे अर्थव्यवस्था को बेहतर बना सकते हैं. इसके अलवा मॉनिटरिंग पॉलिसी भी जारी करता है. इसके अलावा सरकार पर जो आम जनता के कर्ज का बोझ होता है, उसकी मुश्किलों को हल करने का काम भी भारतीय रिजर्व बैंक करता है.
इसलिए कहते हैं बैंकों का बैंक
देश में जितने भी बैंक हैं, RBI उनका बैंक है. इसलिए इसे बैंकों का बैंक कहते हैं. देशभर के बैंक लोगों को कर्ज बांटते हैं, लेकिन आरबीआई देश के कॉमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है. भारतीय रिजर्व बैंक कॉमर्शियल बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले ऋण को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी लेता है. अर्थव्यवस्था में करंसी के फ्लो की जिम्मेदारी भी इसी की होती है.
जब आरबीआई देखता है कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त धन आपूर्ति है और इससे देश में मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो सकती है तो वह अपनी मॉनेटरी पॉलिसी के जरिए धन आपूर्ति को कम कर देता है.
विदेशी मुद्रा भंडार की जिम्मेदारी
विदेशी मुद्रा दरों को स्थिर रखने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक इनकी खरीद और बिक्री करता है और देश की विदेशी मुद्रा निधि की सुरक्षा भी करता है. यह विदेशी मुद्रा को तब बेचता है जब अर्थव्यवस्था में इसकी आपूर्ति कम हो जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में, भारत के पास लगभग 487 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है.
इसके अलावा कृषि के लिए ऋण की व्यवस्था करना, जिसे नाबार्ड को हस्तांतरित कर दिया गया हो, आर्थिक डेटा इकट्ठा करना और प्रकाशित करना भी इस बैंक की जिम्मेदारी का हिस्सा है. यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है और भारत की सदस्यता का प्रतिनिधित्व करता है.
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