सरकार ने बड़ी राहत ऐते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के गहरे समुद्र केजी-डी6 ब्लॉक जैसे कठिन क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत में मामूली कटौती की है. अब दाम 9.87 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट हो गए हैं. एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया कि मानक अंतरराष्ट्रीय गैस कीमतों में नरमी के अनुरूप यह कटौती की गई है. वहीं दूसरी ओर वाहनों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी या खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाली पीएनजी को बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली गैस की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इनके लिए मूल्य सीमा रिलायंस को भुगतान की जाने वाली बाजार दरों से 30 फीसदी कम निर्धारित की गई है.
नोटिफिकेशन में कहा गया कि पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार एक अप्रैल से शुरू होने वाली छमाही के लिए गहरे समुद्र और उच्च दबाव, उच्च तापमान (एचपीटीपी) वाले क्षेत्रों से गैस की कीमत 9.96 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 9.87 अमेरिकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दी गई है. सरकार स्थानीय रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमतें साल में दो बार तय करती है. नए फॉर्मूले के मुताबिक घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर बनी रहेगी.
क्या है फॉर्मूला
तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) जैसी सरकारी तेल कंपनियों के विरासत या पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की गई दरों को दो अलग-अलग फॉर्मूले कंट्रोल करते हैं. रेट हर साल 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को तय की जाती हैं. पिछले साल अप्रैल में, लिगेसी फील्ड को कंट्रोल करने वाले फॉर्मूले को बदल दिया गया था और मौजूदा ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत के 10 फीसदी पर इंडेक्स कार दिया गया था. हालांकि, दर 6.5 अमेरिकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर सीमित थी.
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पीपीएसी ने क्या कहा
पुराने क्षेत्रों की दरें अब मासिक आधार पर तय की जाती हैं. पीपीएसी ने कहा कि अप्रैल के लिए, कीमत 8.38 अमेरिकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू थी, लेकिन सीमा के कारण, उत्पादकों को केवल 6.5 अमेरिकी डॉलर प्रति एमएमबीटीयू मिलेगा. कठिन क्षेत्र गैस की कीमत पुराने फॉर्मूले से कंट्रोल होती हैं. 2023 में अंतर्राष्ट्रीय कीमतें गिर गई थीं और इसलिए अक्टूबर से शुरू होने वाले कठिन क्षेत्रों के लिए कीमतें कम हो जाएंगी. भारत अपने प्राइमरी एनर्जी मिक्स में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.