तिरुपति लोकसभा सीट
आंध्र प्रदेश की तिरुपति लोकसभा सीट पर 11 बार चुनाव जीत चुकी कांग्रेस पार्टी का जनाधार अब खिसक चुका है. लगातार तीन चुनावों से इस सीट पर वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं और इस बार भी यह पार्टी अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस और तेलगू देशम पार्टी के सापेक्ष बढ़त के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी है. भगवान वैंकटेश्वर के लिए प्रसिद्ध यह नगर जिला मुख्यालय होने के साथ ही राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से एक है. इस लोकसभा सीट का गठन जिले की सात विधानसभा सीटों को मिलाकर किया गया है.
निर्वाचन विभाग के रिकार्ड के मुताबिक इस लोकसभा पर शुरू से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि बीच बची में तेलगू देशम पार्टी और बीजेपी के भी उम्मीदवार यहां से जीतते रहे हैं, लेकिन बीते तीन चुनावों से यह लोकसभा सीट बड़े अंतर के साथ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की झोली में गिरती रही है. दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस से टूट कर अलग हुई वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने मूल कांग्रेस पार्टी का किला ध्वस्त कर दिया है. इस समय वाईएसआरसीपी की मदिला गुरुमूर्ति यहां से सांसद हैं.
तिरुपति मंदिर से ही इस क्षेत्र की पहचान
तिरुपति में विश्व प्रसिद्ध तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर तो है ही, यहां कई अन्य ऐतिहासिक मंदिर भी हैं. यह विष्णु को समर्पित आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों में से एक है. द्रविड़ भाषा में तिरु का अर्थ पवित्र, सम्माननीय या लक्ष्मी के रूप में लिया गया है. इसी प्रकार पति शब्द का अर्थ निवास या पति के रूप में लिया जाता है. आचार्य-हृदयम् ग्रंथ में तिरुपति (तिरुमाला) को पुष्प-मंडप के रूप में संबोधित किया गया है. चेन्नई से करीब 150 किमी और बेंगलुरु से करीब 250 किमी की दूरी पर स्थित इस शहर की आबादी साल 2011 की जनगणना के मुताबिक21 लाख 31 हजार 623 है.
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त्रिवेंगदम भी है एक नाम
तमिल के कुछ साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम के नाम से संबोधित किया गया है. हालांकि इस शहर के इतिहास को लेकर इतिहासकार एक राय नहीं हैं. हालांकि विभिन्न शिलालेख व अन्य दस्तावेजों में पुख्ता प्रमाण मिलता है कि यह शहर 5वीं शताब्दी के पूर्व ही अपने अस्तित्व में था और उस समय भी यह एक गौरवशाली अध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र था. ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि तिरुपति मंदिर को चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं ने दिल खोल कर दान दिया.
तिरुपति मंदिर पर निर्भर है पूरी अर्थव्यवस्था
इसमें 67.8 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. वहीं शेष 32.2 फीसदी लोग शहरी हैं.इस आबादी में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की हिस्सेदारी क्रमशः 25.17 और 9.57 फीसदी है. तिरुपति जिले की पूरी अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तिरुपति मंदिर पर निर्भर है. इस मंदिर की व्यवस्था तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) करती है. यह एक स्वतंत्र ट्रस्ट है और इस ट्रस्ट के द्वारा तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर के अलावा तिरुपति व दुनिया भर में कई अन्य मंदिरों का प्रबंधन किया जाता है.
अमरावती से 8 घंटे की दूरी पर है यह शहर
चूंकि इस मंदिर में देश विदेश से भक्तों और श्रद्धालुओं को पूरे साल आना जाना लगा रहता है, इसलिए यहां दर्जनों की संख्या में 3 स्टार और 4 स्टार होटल एवं गेस्टहाउस भी संचालित हो रहे हैं. यहां रोजी रोजगार के साधन के रूप में भी तिरुपति एक अहम साधन है. आंध्र प्रदेश के प्रमुख शहर अमरावती से तिरुपति की दूरी करीब 408 किलोमीटर है. इन दोनों शहरों के बीच आवागमन में करीब 8 घंटे का वक्त लगता हैं. तिरुपति की यात्रा ट्रेन, बस और हवाई जहाज से किया जा सकता है. इन तीनों ही माध्यमों के जरिए यह शहर समूचे भारत से कनेक्ट है.
तिरुपति सीट पर कौन-कब जीता?
देश की आजादी के साथ अस्तित्व में आई तिरुपति लोकसभा सीट पर लोकसभा का पहला चुनाव 1952 में हुआ था. उस समय यहां से कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल किया था. इसके बाद 1962, 1967, 1971, 1977 और 1980 में हुआ लोकसभा चुनाव भी कांग्रेस के पक्ष में गया. वहीं पहली बार तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) इस लोकसभा सीट से 1984 में जीती. हालांकि कांग्रेस ने यहां से दोबारा वापसी करते हुए 1989, 1991, 1996, 1998 का चुनाव जीता. 1999 में पहली बार इस सीट से बीजेपी जीती. इसके बाद 2004 और 2009 में इस सीट से कांग्रेस और 2014, 2019, 2021 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जीती.