सरगुजा लोकसभा सीट
Sarguja Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ की सरगुजा लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीट है. यह सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी. यहां से मौजूदा सासंद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की रेणुका सिंह हैं. वहीं, इस बार बीजेपी ने सरगुजा से रेणुका सिंह का टिकट काटकर चिंतामणि महाराज को प्रत्याशी बनाया है. उधर, कांग्रेस ने शशि सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. सरगुजा सीट पर पिछले 20 साल से बीजेपी का कब्जा है.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की रेणुका सिंह ने कांग्रेस के खेलसाय सिंह को हराया था. वहीं, 2014 में बीजेपी के कमलभान सिंह मराबी यहां से चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के रामदेव तिर्की को शिकस्त दी थी. बता दें कि सरगुजा लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. इन सीटों में प्रेमनगर, भटगांव, प्रतापपुर, रामानुजगंज, सामरी, लुंड्रा, अंबिकापुर और सीतापुर शामिल हैं.
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की रेणुका सिंह ने कांग्रेस के खेलसाय सिंह को 1,57,873 वोटों से हराया था. रेणुका सिंह को 663,711 लाख यानी 52 फीसदी वोट मिले थे जबकि खेलसाय को 505,838 लाख यानी 40 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, तीसरे नंबर पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की आशा देवी पोया रही थीं. आशा देवी को 24,463 हजार वोट मिले थे.
2014 लोकसभा चुनाव का रिजल्ट
2014 में बीजेपी के कमलभान सिंह मराबी यहां से चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के रामदेव तिर्की को 1,47,236 लाख वोटों से शिकस्त दी थी. कमलभान सिंह मराबी को 585,336 लाख वोट तो वहीं रामदेव तिर्की को 438,100 लाख वोट मिले थे. वहीं, तीसरे नंबर पर बहुजन समाजवादी पार्टी के धर्मजीत सिंह मरकाम रहे थे. धर्मजीत को 21,633 हजार वोट मिले थे.
इस सीट पर 2004 से BJP का कब्जा
1952 में सरगुजा लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद यहां कुछ वर्षों तक कांग्रेस का कब्जा रहा. 1952 से 1971 तक सरगुजा लोकसभा सीट पर लगातार कांग्रेस की जीत हुई. 1977 में जनता पार्टी से सांसद चुने गए. इसके बाद कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी इस सीट से जीत दर्ज करती गई. 2004 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.
सरगुजा का संक्षिप्त इतिहास
सरगुजा का बहुत ही प्राचीन इतिहास है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण सहित यहां वनवास के कुछ दिन काटे थे. वहीं यह भी कहा जाता है कि सरगुजा की धरती पर महाकवि कालीदास ने अपने सुप्रसिध महाकाव्य ‘मेघदुत’ की रचना की थी. वहीं, यह भी सरगुजा पर राजा महराजाओं का शासन रहा है. मौर्य वंश के आने से पहले यह इलाका नंदा वंश के राज्य में था.
1882 में महाराजा रघुनाथ शरण सिंह देव सरगुजा राज्य को अपने नियंत्रण में ले लिया था. सरगुजा में प्राचिन महामाया देवी का मंदिर है. महामाया मंदिर में महामाया देवी का धड़ स्थित है जबकि इनका सिर बिलासपुर के रतनपुर के महामाया मन्दिर में है. इस मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर रघुनाथ शरण सिहं देव ने कराया था.