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Saturday, October 5, 2024
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Puri Lok Sabha Seat: पुरी लोकसभा सीट पर 2019 में हुई थी कांटेदार जंग, क्या इस बार BJD से हार का बदला ले पाएगी BJP | Puri Lok Sabha constituency Profile Biju janata dal BJP Congress india elections 2024


ओडिशा की धार्मिक नगरी के रूप में दुनियाभर में विख्यात पुरी जिले में भी राजनीतिक हलचल बनी हुई है. देश के इस पूर्वी राज्य में ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. धार्मिक नगरी पुरी में 2019 के चुनाव में कड़ा मुकाबला हुआ था और कड़े संघर्ष के बाद जीत बीजू जनता दल के खाते में चली गई थी. पुरी जिला ओडिशा के पूर्वी भाग पर एक तटीय जिला है.

पुरी जिले का नाम इसके मुख्यालय पुरी के नाम पर ही रखा गया है. इस शहर को महाप्रभु श्री विष्णु, जिन्हें महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नाम से सबसे अधिक जाना जाता है. इतिहासकार कनिंघम के अनुसार, इस शहर का प्राचीन नाम चरित्र था, जिसका उल्लेख चीनी तीर्थयात्री ह्वेनत्सांग ने चे-ली-ता-लो के रूप में किया था. वैष्णव धर्म की पीठ के रूप में इस शहर का महत्व तब बढ़ गया जब चोडगंगा देव ने पुरुषोत्तम जगन्नाथ के मंदिर का निर्माण किया. आगे चलकर यह पुरुषोत्तम के निवास के रूप में प्रसिद्ध हो गया और लोकप्रिय रूप से इसे पुरुषोत्तम क्षेत्र कहा जाने लगा. योगिनीतंत्र और कालिकापुराण में भी इस शहर को पुरुषोत्तम कहा गया है. पुरी क्षेत्र को उत्कल के नाम से भी जाना जाता था.

विधानसभा में किसकी कितनी पकड़

23 अक्टूबर 1828 को, प्रांत को 3 जिलों, बालासोर, कटक और जगन्नाथ में बांट दिया गया, जिसे बाद में पुरी के नाम से जाना गया. आगे चलकर 1912 में, बिहार और ओडिशा नया प्रांत बनाया गया और बाद में 1936 में ओडिशा एक अलग प्रांत बन गया. एक जनवरी 1948 को ओडिशा के एकीकरण के बाद, खंडपारा नयागढ़, दासपल्ला, और राणापुर के सामंती राज्यों का एरिया 3941 वर्ग किलोमीटर था. इन पूर्व राज्यों को मिलाकर एक अलग सब डिविजन पुरी जिले में जोड़ा गया, जिसका मुख्यालय नयागढ़ में था. साल 1995 तक पुरी जिले को 3 जिलों में विभाजित कर दिया गया.

पुरी जिले की संसदीय सीट को बनाने के लिए 3 जिलों के क्षेत्रों को शामिल किया गया है. पुरी संसदीय सीट के तहत 7 सीटें आती हैं जिसमें पुरी जिले की 4, खोरधा की 2 और नयागढ़ की भी 2 सीटों को रखा गया है. यहां की 7 सीटों में से 2 सीटों पर बीजेपी को तो बाकी 5 सीटों पर बीजेडी को जीत मिली थी.

2019 के चुनाव में किसे मिली यहां जीत

2019 के संसदीय चुनाव में पुरी लोकसभा सीट पर कांटेदार मुकाबला हुआ था. बीजेडी ने पिनाकी मिसरा ने बीजेपी के संबित पात्रा को कड़े संघर्ष में हरा दिया था. पिनाकी मिसरा को 538,321 वोट मिले तो बीजेपी के दिग्गज नेता संबित पात्रा के खाते में 5,26,607 वोट आए थे. कड़े संघर्ष के बाद पिनाकी मिसरा को 11,714 मतों के अंतर से जीत मिली.

पुरी लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास को देखें तो यहां पर बीजू जनता दल का कब्जा बना हुआ है. इस सीट पर बीजेडी 1998 से ही लगातार जीत हासिल करती जा रही है. पुरी सीट पर पहले ब्रज किशोर त्रिपाठी ने 1998, 1999 और 2004 में जीत हासिल कर जीत की हैट्रिक लगाई तो 2009, 2014 और 2019 में जीत हासिल कर पिनाकी मिसरा ने भी हैट्रिक लगाई.

क्या संबित पात्रा को मिलेगी इस बार जीत

2011 की जनगणना के मुताबिक, पुरी जिले की आबादी 16,98,730 थी जिसमें ग्रामीण आबादी 14,33,800 और शहरी आबादी 2,64,930 थी. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी 3,25,133 रही जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 4,482 थी. यहां की मुख्य फसलें हैं धान, गेहूं, मूंग, बीरी, कुल्थी और मूंगफली.

अब देखना होगा कि 2019 में बीजेपी पुरी लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के करीब पहुंच गई थी, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी ने फिर से संबित पात्रा को यहां पर उतार दिया है जबकि उनके सामने बीजेडी ने अरुप पटनायक को मौका दिया है.



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