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Saturday, September 7, 2024
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Ongole Lok Sabha Constituency: कभी कांग्रेस का गढ़ था ओंगोल, क्या इस बार हैट्रिक लगा पाएगी YSRCP | Ongole Lok Sabha Seat Constituency Elections 2024 YSRCP Leader Magunta Srinivasulu Reddy Sitting MP Andhra Pradesh Congress


Ongole Lok Sabha Constituency: कभी कांग्रेस का गढ़ था ओंगोल, क्या इस बार हैट्रिक लगा पाएगी YSRCP

ओंगोल लोकसभा सीट

देश की आजादी के साथ अस्तित्व में आई आंध्र प्रदेश की ओंगोल लोकसभा सीट हालतक कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन करीब दस साल से इस सीट पर कांग्रेस में टूट के बाद बनी वाईएसआरसीपी परचम फहरा रही है. 2014 के बाद 2019 के चुनाव में लगातार दो बार इस सीट पर वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार जीतते आए हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में भी इस लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के ही बीच होने की संभावना है.

सात विधानसभा सीटों को मिलाकर गठित इस लोकसभा क्षेत्र में येरागोंडापलेम, दारसी, ओंगोल, कोंडापी, मार्कापुरम, गिद्दलुर और कनिगिरि से विधायक चुने जाते हैं. ये सभी सीटें प्रकाशम जिले की है. तंबाकू और एक विशेष नश्ल के बैलों के लिए प्रसिद्ध यह लोकसभा क्षेत्र प्रकाशम जिले का हिस्सा है. कुछ समय पहले तक इस जिले का नाम ही ओंगोल था, लेकिन बाद में जिले का नाम पूर्व मुख्यमंत्री तंगुतुरी प्रकाशम पंथुलु के नाम पर कर दिया गया.

मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी हैं सीटिंग सांसद

साल 2019 के चुनाव में इस सीट से वाईएसआरसीपी के मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी सांसद चुने गए थे. निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस लोकसभा सीट से 11 बार कांग्रेस के उम्मीदवार संसद पहुंचे हैं. वहीं एक बार सीपीआई, दो बार तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी भी सांसद चुने जा चुके हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक ओंगोल में बैलों की एक विशेष नश्ल मिलती है. इस नश्ल को ओंगोल कहा जाता है. इन स्वदेशी नश्ल के बैलों का विकास इसी क्षेत्र में हुआ.

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बैल और तंबाकू के लिए प्रसिद्ध है यह क्षेत्र

ये बैल अपनी ताकत से दूनिया को लोहा मनवा चुके हैं. अब यहां से इन बैलों का विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. खासतौर पर अमेरिका में मिलने वाले ब्राह्मण बैल मूल रूप से ओंगोल नश्ल के ही हैं, जो अमेरिका जाने के बाद नए नाम से जाने जाते हैं. साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 2022411 है. इनमें 78.18 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. वहीं करीब 21.82 फीसदी आबादी शहरी है. इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 22.47 और 3.92 फीसदी है.

कैसे पहुंचे

आंध्र प्रदेश के प्रमुख शहर अमरावती से करीब 150 किलोमीटर दूर ओंगोल में रोजी रोजगार का मुख्य साधन कृषि है. प्रकाशम जिले में खेती का काम उद्योग के रूप में किया जाता है. यहां खासतौर पर तंबाकू के उत्पादन और प्रॉसेसिंग का काम होता है. अमरावती से यहां विभिन्न परिवहन के साधनों से पहुचने में करीब ढाई घंटा लगता है. यह शहर ट्रेन और बस सेवा से कनेक्टेड हैं और देश के प्रमुख सड़क मार्ग भी यहां से होकर निकलते हैं. यहां से निकलने वाला नेशनल हाईवे 16 स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग नेटवर्क में शामिल है. इसी प्रकार एनएच 216 इस शहर को काथिपुड़ी से कनेक्ट करता है.

ओंगोल लोकसभा सीट पर कौन-कब जीता?

आजादी के बाद यहां हुए पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. यह चुनाव 1952 में कराए गए थे. हालांकि अगले चुनाव यानी 1957 में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने अपना परचम फहराया. 1962 के चुनाव में सीपीआई ने कांग्रेस को रोकने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस पार्टी 1967 पूरी ताकत के साथ लौटी और फिर 1971, 1977 और 1980 में हुए लोकसभा चुनावों में भी अपना झंडा बुलंद रखा.

2014 से वाईएसआरसीपी का कब्जा

1984 के लोकसभा चुनावों में टीडीपी के उम्मीदवार यहां से जीते. इसके बाद 1989, 1991, 1996, 1998 में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी विजयी हुई. 1999 में फिर टीडीपी की झोली में यह सीट गई, लेकिन 2004 में वापस लौटी कांग्रेस ने 2009 में अपनी जीत कायम रखी. इसके बाद 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से टूट कर अलग हुई वाईआरएस कांग्रेस पार्टी ने इस लोकसभा सीट से जीत हासिल की.



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