नरसापुरम लोकसभा सीट
आंध्र प्रदेश की नरसापुरम लोकसभा सीट पर युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के बीच मुकाबला है. यहां दोनों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. यहां आजादी के बाद पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था, जिसमें सीपीआई ने जीत दर्ज की थी. यह सीट आंध्र प्रदेश के पच्चीस लोकसभा क्षेत्रों में से एक है और पश्चिम गोदावरी जिले के अंतर्गत आती है. इस लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा की सीटें हैं, जिसमें अचंता, पलाकोल, नरसापुरम, भीमावरम, उंडी, तनुकु और ताडेपल्लीगुडेम शामिल हैं.
इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा बना रहा है, लेकिन यहां बीजेपी और टीडीपी भी जीत दर्ज कर चुके हैं. इसके अलावा YSRCP ने भी अपना दमखम दिखा दिया है. नरसापुरम शहर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और इसे नृसिंहपुरी के नाम से भी जाना जाता है. नरसापुरम शहर में हर बारह साल में गोदावरी पुष्करम मनाया जाता है, जिसमें वसिस्ता गोदावरी नदी में पवित्र स्नान किया जाता है. कहा गया है कि इस नदी को हिंदू पौराणिक कथाओं के सात महान ऋषियों में से एक प्रसिद्ध महर्षि वशिष्ठ द्वारा लाया गया था. इस धार्मिक नगरी में आदिकेशव एम्बेरुमानर मंदिर के साथ ही एक 300 साल पुराना वैष्णव मंदिर भी है. यह स्थान साल भर दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करता है.
नरसापुरम में मत्स्य पालन मुख्य व्यवसायों में से एक
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या से अधिक है और 1000 पुरुषों के मुकाबले 961 महिलाएं हैं. यहां की साक्षरता दर 86.24 फीसदी है. इस शहर की अमरावती से 164 किलोमीटर दूरी है और यहां पहुंचने के लिए करीब चार घंटे का वक्त लगता है. नरसापुरम पहुंचने के लिए ट्रेन और आंध्र प्रदेश रोडवेज बसों की सुविधा उपलब्ध है. लोगों को शहर के अंदर आने-जाने में किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है. शहर की अर्थव्यवस्था कृषि और उद्योगों पर टिकी हुई है. यहां हस्तनिर्मित क्रोशिया लेस-वर्क का बड़ा उद्योग है. वहीं, मत्स्य पालन मुख्य व्यवसायों में से एक है जो मछुआरों के लिए अच्छी मात्रा में राजस्व उत्पन्न करता है. इसमें पुलासा नामक तमाम प्रकार की मुहाना मछली मिलती है.
नरसापुरम लोकसभा सीट पर कौन पार्टी कब जीती?
नरसापुरम लोकसभा सीट पर आजादी के बाद पहली बार 1957 में चुनाव करवाए गए थे, जिसमें सीपीआई ने अपना खाता खोला था. इसके बाद 1962 से लेकर 1980 तक लगातार पांच चुनाव कांग्रेस ने जीते, लेकिन 1984 में तेलुगु टीडीपी ने कांग्रेस को करारा झटका दिया और सीट अपने नाम कर ली. इसके बाद 1989, 1991, 1996 तक टीडीपी ने यहां विजय हासिल की. हालांकि, 1998 में फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया, लेकिन 1999 में बीजेपी ने उसे हराया. 2004 में कांग्रेस वापसी की और उसने 2009 के चुनाव में भी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. वहीं, 2014 में आई मोदी लहर में कांग्रेस अपने आपको संभाल नहीं सकी और उसे बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अगले ही चुनाव 2019 में बीजेपी को वाईएसआरसीपी ने मात दे दी.
2019 में नरसापुरम सीट पर किसे-कितने मिले वोट?
चुनाव आयोग के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरसापुरम सीट पर वोटरों की संख्या 14 लाख 39 हजार 691 थी. इस सीट पर 81.8 फीसदी वोटिंग हुई थी. वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार कनुमुरु रघु राम कृष्ण राजू को 4 लाख 49 हजार 234 वोट मिले थे, जबकि टीडीपी के उम्मीदवार वीवी शिव रामा राजू ने 4 लाख 16 हजार 558 वोट हासिल किए थे. वाईएसआरसीपी ने टीडीपी को 32 हजार 676 वोटों के अंतर से हराया था. तीसरे नंबर की पार्टी जेएनपी रही थी, जिसे 2 लाख 50 हजार 802 वोट मिले थे. कांग्रेस 13941 वोटों पर सिमट गई थी.