
Nabarangpur Lok sabha Seat
ओडिशा देश का पूर्वी क्षेत्र में बसा एक शांत राज्य है और अपनी हरियाली तथा खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यह राज्य खनिज संशाधनों से भी संपन्न है. यहां पर एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं. राज्य की नबरंगपुर लोकसभा सीट बीजू जनता दल का कब्जा है. यहां पर भारतीय जनता पार्टी अभी भी तीसरे नंबर की पार्टी है. इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेडी और कांग्रेस के बीच होती रही है. नबरंगपुर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है.
राज्य के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में बसा नबरंगपुर जिला एक बहुत ही शानदार जिला है. यह जिला 2 अक्टूबर 1992 में अस्तित्व में आया. पहले यह कोरापुट जिले का हिस्सा हुआ करता था. इसकी सीमा उत्तर में रायपुर और पश्चिम में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिलों तक फैली हुई है. नबरंगपुर की सीमा पूर्व की ओर कालाहांडी और रायगढ़ जिलों को छूती है तो दक्षिण में कोरापुट जिले से लगती है. इंद्रावती नदी नबरंगपुर और कोरापुट जिले के बीच की सीमा बनाती है.
नबरंगपुर में विधानसभा में किसका दबदबा
नबरंगपुर जिले का क्षेत्रफल 5294 वर्ग किमी है. जिसमें से 1583.4 वर्ग किमी का विशाल क्षेत्र वनों से भरा हुआ है. वर्तमान में नबरंगपुर जिले में एक सब डिवीजन (नबरंगपुर), 10 तहसील और 10 ब्लॉक शामिल हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार नबरंगपुर जिले की कुल आबादी 1220946 है. हिंदू देवताओं की पूजा करने वाले आदिवासियों के साथ बड़ी संख्या में हिंदू, ईसाई और मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं. मिरगानिस, संखरिस, माली और सुंधी की तरह, भूमिया और डोंब जैसी कुछ अन्य जनजातियां भी रहती हैं.
अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व नबरंगपुर लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें सभी की सभी सातों सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. यहां की 7 में से 5 सीटों पर बीजू जनता दल को जीत मिली तो 2 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. 2019 के चुनाव में नबरंगपुर सीट पर बीजेडी को जीत मिली थी.
2019 के चुनाव में किसे मिली जीत
नबरंगपुर सीट पर 2019 में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. बीजेडी के प्रत्याशी रमेश चंद्र मांझी ने 392,504 वोट हासिल किए जबकि उनके सामने मैदान में खड़े कांग्रेस के प्रदीप कुमार मांझी को 350,870 वोट मिले. बीजेपी के बालभद्र मांझी तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 342,839 वोट मिले थे. तीनों को ही 3 लाख से अधिक वोट मिले. रमेश चंद्र मांझी ने 41,634 मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया.
एसटी के लिए रिजर्व नबरंगपुर लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास को देखें तो पिछले 10 सालों से बीजेडी का यहां पर कब्जा है. यह सीट खगपति प्रधानी के नाम से जानी जाती है. वह 1967 से ही 1998 तक लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. कांग्रेस का यह मजबूत किला खगपति प्रधानी की वजह से माना जाता था. 1962 में जगन्नाथ राव ने कांग्रेस के लिए जीत हासिल की. फिर खगपति प्रधानी ने 1967 में पहला चुनाव यहां से जीता और फिर 1971, 1977, 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 तक लगातार चुनाव जीतते रहे.
बीजेपी को 20 साल से जीत का इंतजार
1999 के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ दिया. परसुराम मांझी ने यह चुनाव जीता. फिर 2004 में भी परसुराम मांझी सांसद चुने गए. कांग्रेस के टिकट पर प्रदीप कुमार मांझी ने जीत हासिल की. लेकिन 2014 में कांग्रेस ने यह सीट गंवा दी और बीजेडी के बालभद्र मांझी सांसद चुने गए. 2019 में बीजेडी के टिकट पर रमेश चंद्र मांझी सांसद चुने गए.
अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व नबरंगपुर सीट बीजेपी को आखिरी बार 2004 में जीत मिली थी. उसे 20 सालों से अपनी पहली जीत का इंतजार है. जबकि पिछले 2 चुनावों में यहां पर बीजेडी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहा है. ऐसे में 2019 की तरह 2024 के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.