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Thursday, March 27, 2025
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Kurnool Lok Sabha Constituency: कुरनूल में दो बार से जीत रही YSRCP, इस बार कांग्रेस का गढ़ बचेगा या लगेगी हैट्रिक | Kurnool Lok Sabha Seat Elections 2024 Congress Stronghold YSRCP Captures Andhra Pradesh City of Gems


Kurnool Lok Sabha Constituency: कुरनूल में दो बार से जीत रही YSRCP, इस बार कांग्रेस का गढ़ बचेगा या लगेगी हैट्रिक

कुरनूल लोकसभा सीट

कभी कांग्रेस का गढ़ रही आंध्र प्रदेश की कुरनूल लोकसभा सीट पर इस पार्टी का आधार दरकने लगा है. राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से एक कुरनूल में इस समय वाईएसआरसीपी का प्रभाव है. 2014 के बाद वाईएसआरसीपी ने 2019 के चुनावों में कांग्रेस का किला ढहाया था और 2024 में भी बढ़त की स्थिति में है. इस लोकसभा क्षेत्र में राज्य की सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. पहले यहां कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के बीच कड़ा मुकाबला रहता था, लेकिन अब बदली परिस्थिति में इन दोनों पार्टियों को वाईएसआरसीपी से फाइट दे रही है.

कुरनूल आंध्र प्रदेश का जिला है और इस जिले की सात सीटों को मिलाकर इस लोकसभा सीट का गठन किया गया है. आजादी के बाद 1953 से 1956 तक कुरनूल आंध्र राज्य की राजधानी भी रहा है. बाद में राज्य की राजधानी को हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया गया. तुंगभद्रा और हंद्री नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित इस शहर को गेटवे ऑफ रायलसीमा कहा जाता है. 12वीं शदी में आलमपुर के निर्माण के लिए ओड्डार में पत्थरों की कटाई होती थी, लेकिन इन पत्थरों की फिनिशिंग कुरनूल में किया जाता था.

आज भी है शाही महलों के अवशेष

आज भी इस शहर में 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बने विजयनगर राजाओं के शाही महलों के अवशेष देखे जा सकते हैं. यहां पारसी और अरबी भाषा में लिखे शिलालेख भी मिलते हैं. इन शिलालेखों में इस शहर के महत्व को वर्णित किया गया है. यह शहर तीसरी शताब्दी में भी अपने अस्तित्व में था. अशोक के शिलालेख में इस शहर का विवरण मिलता है. ये शिलालेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में यहां आज भी मौजूद हैं. इन्हें भारत में खोजे गए सबसे पुराने शिलालेखों में से एक माना जाता हैं.

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16वीं शदी में बसा मौजूदा शहर

रत्नों के शहर के रूप में विख्यात कुरनूल वैसे तो कई बार उजड़ा और बसा, लेकिन आखिरी बार इस शहर की बसावट 16वीं शताब्दी में कोंडा रेड्डी किले के निर्माण के साथ हुई थी. भारत सरकार द्वारा साल 2011 में कराए गए जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक इस जिले की आबादी 20 लाख 16 हजार 981 है. यहां 69.3 फीसदी आबादी ग्रामीण है. वहीं शेष 30.7 फीसदी शहरी आबादी है. जिले कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 17.5 और 1.28 फीसदी का है.

खनिज संसाधनों से संपन्न है कुरनूल

कुरनूल जिले में रोजी रोजगार के लिए यहां के खनिज तत्व बहुत मायने रखते हैं. जिले में अच्छी गुणवत्ता वाले खनिज संसाधनों का बड़ा भंडार है. इसमें खासतौर पर लौह अयस्क, डोलोमाइट, चूना पत्थर, गेरू, क्वार्ट्ज और सिलिका आदि खनिज का बड़े पैमाने पर खनन भी हो रहा है. इन खदानों में स्थानीय लोगों को तो रोजगार मिला ही है, राज्य के दूसरे जिले से बड़ी संख्या में कामगार आकर यहां रोजी रोटी कमा खा रहे हैं.

कैसे पहुंचे

आंध्र प्रदेश के प्रमुख शहर अमरावती से कुरनूल की दूरी करीब 340 किलोमीटर है. अमरावती से चलकर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से कनेक्टेड इस शहर तक पहुंचने में करीब 7 घंटे का समय लगता है. इस शहर से देश के तमाम बड़े शहरों के लिए सीधी रेल सेवा है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तमाम शहरों में आने जाने के लिए सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है. 2011 की जनगणना के अनुसार, कुरनूल आंध्र प्रदेश में पांचवां सबसे बड़ा आबादी वाला शहर है. यहां साक्षरता दर 77.37 प्रतिशत है.

कौन-कब जीता?

आंध्र प्रदेश की कुरनूल लोकसभा सीट का गठन 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से पहले हो चुका था. इसलिए इस सीट पर पहला चुनाव भी देश के बाकी लोकसभा सीटों के साथ 1952 में कराया गया. इस चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. हालांकि 1957 में हुए अगले ही चुनाव में यह सीट कांग्रेस की झोली में चली गई. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 1962 में भी यहां अपना झंडा बुलंद रखा. फिर 1967 में यहां चुनाव हुए तो स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार ने कांग्रेस का विजय रथ रोक लिया.

वाईएसआरसीपी और कांग्रेस में मुकाबला

हालांकि कांग्रेस पार्टी ने 1971 में यहां वापसी की और लगातार 1977 और 1980 का चुनाव भी जीता. फिर 1984 में टीडीपी कांग्रेस को रोका, लेकिन 1989 के चुनाव कांग्रेस ने फिर वापसी की और 1991, 1996, 1998 के चुनाव में जीतती रही. 1999 में भी इस सीट पर टीडीपी के उम्मीदवार की जीत हुई. उसके बाद 2004 और 2009 के चुनाव में वापस यह सीट कांग्रेस की झोली में गई और 2014 और 2019 के चुनाव में इस सीट से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जीते. इस बार भी वाईएसआरसीपी बढ़त पर है और मुकाबला कांग्रेस के साथ होने की संभावना है.



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