खम्मम लोकसभा सीट.
तेलंगाना की खम्मम लोकसभा सीट देश की चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां से BRS (भारत राष्ट्र समिति) तब TRS के उम्मीदवार नामा नागेश्वर राव ने जीत दर्ज की थी. नामा नागेश्वर राव ने 1,68,062 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. उन्हें 5,67,459 वोट मिले थे. नामा नागेश्वर राव ने कांग्रेस की प्रत्याशी रेणुका चौधरी को हराया था, जिन्हें 3,99,397 वोट मिले थे. खम्मम लोकसभा क्षेत्र में 2019 के चुनाव में 75.18% मतदान हुआ था.
2024 के लोकसभा चुनाव में भी यहां मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. व वे लोकतंत्र के इस पर्व में वोटों की ताकत दिखाने को तैयार हैं. 2024 लोकसभा चुनाव में खम्मम लोकसभा सीट पर BRS और BJP के बीच मुख्य मुकाबला देखने को मिल सकता है, जिसमें BRS ने अपने सांसद नामा नागेश्वर राव पर भरोसा जताया है, वहीं BJP ने तंद्रा विनोद राव को मैदान में उतारा है.
खम्मम लोकसभा सीट तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से एक है. 1952 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था. खम्मम सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है. कांग्रेस ने यहां पर 12 बार जीत हासिल की. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और YSR कांग्रेस पार्टी जैसे अन्य राजनीतिक दलों ने विभिन्न आम चुनावों में इस सीट पर जीत हासिल की. फिलहाल इस सीट पर BRS (भारत राष्ट्र समिति) की तरफ से नामा नागेश्वर राव प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 2009 और 2019 में उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की.
1952 में इस लोकसभा सीट पर हुआ था पहला चुनाव
जब इस सीट पर 1952 में पहली बार चुनाव हुआ था, तो पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (हैदराबाद) के टीबी विट्ठल राव ने जीत दर्ज की थी. 1957 में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. खम्मम लोकसभा सीट खम्मम जिले के अंतर्गत आती है. इसका पुराना नाम ‘खम्मन’ था. खम्मम तेलंगाना के ऐतिहासिक शहरों में से एक है. इसका करीब एक हजार साल पुराना इतिहास है.
पहले ‘खम्मन’ नाम से थी पहचान
यहां पर मुसुनुरि राजवंश का साम्राज्य था. यह साम्राज्य दक्षिण भारत का सबसे समृध्द राजवंश था. उन्होंने ही इस जगह को ‘खम्मन’ नाम दिया था. साथ ही यहां पर खम्मम का किला भी बनवाया था. खम्मम जिले का दक्षिणी भाग बुद्ध से जुड़ा हुआ है. जब 1947 में देश को आजादी मिली, तब यह वारंगल जिले में था. एक अक्टूबर 1953 तक यहां पर वारंगल जिले का मुख्यालय बना रहा.
खम्मम लोकसभा क्षेत्र मुन्नारु नदी के तट पर स्थित है. मुन्नारू, कृष्णा नदी की सहायक नदी है. खम्मम लोकसभा क्षेत्र में प्रसिद्ध भगवान नरसिंहस्वामी का मंदिर है. मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. स्वतंत्रता के समय जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आंदोलन में भाग लेने का आह्वाहन किया तो यहां से भी बड़ी संख्या में लोग आंदोलन में भाग लेने पहुंचे थे. यह क्षेत्र हैदराबाद से 194 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
व्यापारिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण
खम्मम जिला मध्य रेलवे पर वारंगल के दक्षिण-दक्षिणपूर्व में स्थित है. खास बात यह है कि खम्मम शहर तेलंगाना का व्यापारिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र है. इस क्षेत्र में चावल, ज्वार, मक्का और दलहन उगाए जाते हैं. कोयला, रक्तमणि, लौह अयस्क और सिलखड़ी भी यहां खूब मिलती हैं. बात अगर राजनीतिक दृष्टि से की जाए तो खम्मम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें खम्मम, पैलेर, मधिरा, वायरा, सथुपल्ली, कोठागुडम, असवरोपेटा विधानसभा सीटें शामिल हैं.
पहले वारंगल जिले का हिस्सा था ‘खम्मम’
खम्मम शहर एक अक्टूबर 1953 तक वारंगल जिले का हिस्सा था. वारंगल जिले के पांच तालुकों खम्मम, मधिरा, येल्लांडु, बर्गमपाडु और पलवांचा (अब कोठागुडेम) को अलग कर दिया गया और खम्मम को जिला प्रमुख बनाकर एक नया जिला बनाया गया. 1985 में मंडल प्रणाली की शुरुआत के बाद जिले को चार राजस्व प्रभागों खम्मम, कोठागुडेम, पलवांचा और भद्राचलम में 46 मंडलों में विभाजित किया गया.
खम्मम जिले में छह नगर पालिकाएं, 1242 गांव
खम्मम जिले में छह नगर पालिकाएं हैं, जिसमें खम्मम, कोठागुडेम, येल्लांडु, पलवांचा, सथुपल्ली और मनुगुरु नगर पालिका है. 46 मंडलों में से 29 मंडल पूरी तरह से एसटी उप-योजना क्षेत्र में हैं और दो मंडल आंशिक रूप से एसटी उप-योजना क्षेत्र में स्थित हैं. जिले में 1242 राजस्व गांव (894 अनुसूचित गांव और 348 गैर अनुसूचित गांव सहित) 128 निर्जन गांव और 771 ग्राम पंचायत (18 प्रमुख ग्राम पंचायत और 753 छोटी ग्राम पंचायत) शामिल हैं. जिले का क्षेत्रफल 16,029 वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या घनत्व 174 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. जिले में 1242 गांव मौजूद हैं, जिनमें से 1114 बसे हुए गांव हैं और शेष निर्जन गांव हैं.
खम्मम का ऐतिहासिक महत्व
ऐसा कहा जाता है कि खम्मम का नामकरण शहर में एक पहाड़ी पर बने मंदिर ‘नरसिम्हाद्रि’ से हुआ है. मंदिर को ‘स्तंभ सिखरी’ और बाद में ‘स्तंभधरी’ कहा गया. ऐसा माना जाता है कि भगवान नरसिम्हा एक पत्थर के खंभे से निकले थे और अपने बाल भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए राजा हिरण्य कश्यप को मार डाला था. नरसिंहस्वामी मंदिर के नीचे की खड़ी चट्टान को ‘कम्बा’ के नाम से जाना जाता है और पहाड़ी के नीचे स्थित शहर को कम्बामेट्टू कहा जाता था, जो धीरे-धीरे खम्मन और बाद में खम्मम में बदल गया.
खम्मम जिले से होकर बहने वाली प्रमुख नदियां
खम्मम जिले से होकर बहने वाली महत्वपूर्ण नदियों में गोदावरी, सबरी, किन्नरसानी, मुन्नरु, पलेरु, अकेरू और वायरा हैं. वारंगल जिले से निकलने वाली मुन्नेरू नदी कोठागुडेम और खम्मम राजस्व प्रभागों से होकर दक्षिण की ओर बहती है. अकेरू नदी, जो वारंगल जिले से भी निकलती है, दक्षिण-पूर्वी दिशा में बहती है और थर्डला गांव में मुनेरु में मिल जाती है. पालेरु नदी मुन्नरु के लगभग समानांतर बहती है और तिरुमलाईपालेम वायरा के काकरवई गांव से होकर दक्षिण दिशा की ओर बहती है और कृष्णा जिले में मुनेरु नदी में मिल जाती है.