Kendrapara Lok Sabha Seat
ओडिशा में चुनाव को लेकर जोरदार माहौल बना हुआ है. यहां पर चुनाव को लेकर दोहरा उत्साह है क्योंकि लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराए जा रहे हैं. राज्य की केंद्रपाड़ा जिले में पड़ने वाली केंद्रपाड़ा संसदीय सीट पर बीजू जनता दल का कब्जा है. यह वह सीट है जहां पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए जीत हासिल कर पाना अब तक बड़ी चुनौती ही रही है. कांग्रेस को 1952 के बाद से यहां पर जीत नहीं मिली है.
केंद्रपाड़ा जिले का इतिहास समृद्ध विरासत से भरा हुआ है. यह धरती इष्टदेव श्री बलदेव जेव के नाम से जानी जाती है और इस जगह का नाम ‘कंदरासुर’ पर पौराणिक उपाख्यान की वजह से पड़ा. यह स्थान कई गांवों के समूह से घिरा हुआ है और विद्वानों का मानना है कि केंद्रपाड़ा गांव के बीच में होने के कारण इसका नाम केंद्रपाड़ा पड़ा.
विधानसभा में किसकी क्या स्थिति
यह शहर भगवान बलदेव के अलावा, समुद्री गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है. तत्कालीन मैपुर, जिसे वर्तमान में केंद्रपाड़ा के कनिका एस्टेट के तहत मयूरी गण के रूप में जाना जाता है, को इतिहासकार टॉलेमी ने मयुडेरा बंदरगाह करार दिया है. उनके विवरण से यह साफ होता है कि पुराने समय में कनिका में हीरा मौजूद था. साथ ही केंद्रपाड़ा का पूर्वी समुद्री तट मुख्य व्यापारिक केंद्र हुआ करते थे. 26 मई 1869 को ब्रिटिश सरकार की ओर से यहां पर एक फाल्स प्वाइंट, लाइट हाउस और एक बंदरगाह स्थापित किया गया. केंद्रपाड़ा के जंबू से सटे ओडिशा का पहला डाकघर 1961 में सरकार द्वारा स्थापित किया गया था. केंद्रपाड़ा 19वीं सदी के ओडिशा के इतिहास में एक अद्वितीय स्थान रखता है.
केंद्रपाड़ा जिले में विधानसभा की 7 सीटें आती हैं जिसमें महज एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इन सभी सीटों पर बीजू जनता दल का कब्जा बना हुआ है. केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट को 2 जिलों की विधानसभा सीटों पर जोड़कर बनाया गया है. कटक जिले की 2 सीटों को तो केंद्रपाड़ा से 5 सीटों को जोड़कर केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट बनाई गई.
2019 के चुनाव में किसे मिली जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रपाड़ा सीट पर बीजेडी को जीत मिली थी. बीजेडी के अनुभव मोहंती ने 628,939 वोट हासिल किए तो बीजेपी के बैजयंत पांडा के खाते में 4,47,456 वोट आए थे. कांग्रेस के डी नायक को 1,13,841 वोट मिले थे. बीजेडी ने यह चुनाव 1,52,584 मतों के अंतर से जीता था.
केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर शुरू से ही कांग्रेस की पकड़ कमजोर रही है. 1952 में पहली और आखिरी बार कांग्रेस को यहां से जीत मिली. फिर यहां पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, उत्कल कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता पार्टी (सेकुलर), जनता दल और फिर बीजू जनता दल को जीत मिलती रही है.
केंद्रपाड़ा सीट बीजू पटनायक का गढ़
यह सीट बीजू पटनायक का गढ़ रहा है. जनता पार्टी के टिकट पर वह 1977, 1980 और 1984 में यहां से सांसद चुने गए थे. जनता पार्टी ने 1977 में पहली बार जीत हासिल की फिर इसी पार्टी से टूटकर बनी जनता पार्टी सेकुलर को जीत मिली. 1990 के दौर में यहां से रवि राय चुने गए. वह जनता दल के टिकट पर सांसद बने.
पार्टी के गठन के बाद से ही बीजू जनता दल यहां पर चुनाव जीत रही है. 2009 के चुनाव में बीजेडी के बैजयंत पांडा को जीत मिली थी. पांडा ने 2014 के चुनाव में फिर से जीत हासिल की. हालांकि 2019 के चुनाव से पहले पांडा ने बीजेडी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया और नई पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें बीजेडी ने नए उम्मीदवार और फिल्मी सितारे अनुभव मोहंती के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा.
2024 के चुनाव में बीजेपी ने बैजयंत पांडा को इस बार फिर से मैदान में उतारा है जबकि बीजेडी ने भी अंशुमान मोहंती को यहां से टिकट दिया है. ऐसे में इस बार भी कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं.