ओडिशा में लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से माहौल बन गया है. खास बात यह है कि ओडिशा उन चंद राज्यों में शामिल है जहां पर लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. कंधमाल जिला मध्य ओडिशा में स्थित है. बीजू जनता दल (बीजेडी) का गढ़ कहे जाने वाली कंधमाल लोकसभा सीट पर भी बीजेडी का ही कब्जा है. यहां पर पिछले 10 सालों में बीजेपी और बीजेडी के बीच ही मुकाबला होता रहा है.
फूलबनी क्षेत्र नए जिले के रूप में ओडिशा के कंधमाल और बौध जिले को विभाजित किए जाने के बाद एक जनवरी, 1994 को अस्तित्व में आया. यह जिला 7654 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है. कंधमाल उत्तर में बौध जिला, दक्षिण में रायगढ़ा और गजपति जिलों, पूर्व में गंजम तथा नयागढ़ जिलों और पश्चिम में कालाहांडी जिले से घिरा हुआ है. यह जिला अपने डोकरा, टेरा-कोटा, बेंत और बांस का काम जैसे हस्तशिल्प के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यह क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
कंधमाल लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं और इन सीटों को 4 जिलों के क्षेत्रों को शामिल करके बनाया गया है. कंधमाल जिले की 4, बौध जिले की 2 और नयागढ़ तथा गंजम जिले से एक-एक सीटों को शामिल किया गया है. यहां पर 7 में से 4 सीटें रिजर्व हैं. सभी सातों विधानसभा सीटों पर बीजेडी का कब्जा बना हुआ है.
2019 के लोकसभा चुनाव में कंधमाल लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय रहा. बीजू जनता दल के अच्युतानंद सामंता ने चुनाव में जीत हासिल की थी. अच्युतानंद सामंता को चुनाव में 461,679 वोट मिले तो बीजेपी के महामेघबहन ऐरा खरबेला स्वैन को 312,463 वोट आए. जबकि तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज कुमार आचार्य को 138,993 वोट मिले थे. अच्युतानंद सामंता को 149,216 मतों के अंतर से जीत मिली थी.
कंधमाल सीट का संसदीय इतिहास
कंधमाल लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2009 में यह सीट अस्तित्व में आई. अस्तित्व में आने के बाद से ही कंधमाल सीट पर बीजेडी का कब्जा बना हुआ है. 2009 में बीजेडी के रुद्र माधव राय सांसद चुने गए थे.
2014 के आम चुनाव में बीजेडी ने हेमेंद्र चंद्र सिंह को मैदान में उतारा और वह विजयी भी रहे. बाद उनके पार्टी छोड़ने की वजह से अक्टूबर 2014 में उपचुनाव कराया गया और बीजेडी फिर से यहां पर विजयी हुई. तब प्रत्युष राजेश्वरी सिंह चुनाव जीते थे. 2019 के चुनाव में अच्युतानंद सामंता ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. पिछले 2 चुनावों में यहां पर बीजेडी और बीजेपी के बीच ही मुकाबला रहा है. ऐसे में इस बार भी दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना बड़ी चुनौती होगी.
कंधमाल प्रकृति की सुंदरता से भरपूर है. यहां के वन्य जीवन, प्राकृतिक सुंदरता, स्वस्थ जलवायु पर्यटकों को लुभाने के लिए पर्याप्त हैं. जिले का करीब 66 फीसदी हिस्सा घने जंगलों और 2000 फीट से 3000 फीट की ऊंचाई पर हरे-हरे घास के मैदानों से समृद्ध ऊंचे पहाड़ों से ढका हुआ है.