ओडिशा में लोकसभा चुनाव को लेकर जोरदार चुनावी माहौल बना हुआ है. यहां पर लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. राज्य में बीजू जनता दल फिर से सत्ता पर पकड़ बनाए रखने की जद्दोजहद में है तो बीजेपी यहां से कमल खिलाने की कोशिश में है. राज्य की कालाहांडी लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव में बीजेपी के बसंत कुमार पांडा को जीत मिली थी. पिछले 4 चुनाव में यहां का चुनाव परिणाम हर बार बदलता ही रहा है.
कालाहांडी शहर अपनी प्रागैतिहासिक इतिहास के लिए जाना जाता है. 1948 में ओडिशा प्रांत के साथ कई रियासतों के विलय के साथ, पूर्व राज्य पटना और सोनपुर को मिलकर कालाहांडी जिले का गठन किया गया. एक नवंबर 1949 को पटना और सोनपुर क्षेत्रों को अलग कर बेलंगीर जिला बनाया गया; पटना (बाद में बलंगीर) सोनपुर (बाद में सुबरनापुर जिला)। और कालाहांडी के पूर्व राज्य को, नुआपाड़ा सब डिवीजन के साथ, एक अप्रैल 1936 से संबलपुर जिले का एक हिस्सा बना. काशीपुर पुलिस स्टेशन वाले क्षेत्र को एक अगस्त 1962 को कालाहांडी से अलग कर दिया गया था. साथ ही नुआपाड़ा सब डिवीजन को 27 मार्च 1993 को कालाहांडी से अलग करके नुआपाड़ा के रूप में नया जिला बना दिया गया.
कालाहांडी में विधानसभा में किसकी पकड़
जिले के नाम को लेकर कई कहानियां कही जाती हैं. हालांकि इसे ओडिशा में कालाहांडी (काला बर्तन) के रूप में जाना जाता है. नाम को लेकर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. इसे पहले करोंद नाम से जाना जाता था. यह क्षेत्र 7920 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है. यह जिला ओडिशा के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित है, जिसकी सीमा उत्तर में बेलंगीर और नुआपाड़ा जिले से, दक्षिण में नबरंगपुर, कोरापुट और रायगड़ा जिले से और पूर्व में रायगड़ा, कंधमाल और बौध जिले से लगती है.
कालाहांडी लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें 2 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. यहां पर बीजू जनता दल को 5 सीटों पर जीत मिली जबकि एक-एक सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का कब्जा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कालाहांडी सीट पर बीजेपी के बसंत कुमार पांडा को जीत मिली थी.
2019 में कालाहांडी पर किसे कितना मिला वोट
चुनाव में बसंत कुमार पांडा को 433,074 वोट मिले थे जबकि उनके खिलाफ मैदान में उतरे बीजू जनता दल के पुष्पेंद्र सिंह देव को 406,260 वोट आए. कांग्रेस के भक्त चरण दास ने 319,202 वोट हासिल कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. मतगणना के दौरान अंत तक रोमांच बना रहा. लेकिन जीत बसंत कुमार पांडा के पक्ष में गई. उन्होंने 26,814 मतों के अंतर से मुकाबला जीत लिया.
तब के चुनाव में कालाहांडी लोकसभा सीट पर कुल वोटर्स 15,63,160 थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 7,93,975 थी, जबकि महिला वोटर्स की संख्या 7,69,078 थी. इसमें से 12,28,292 (79.9%) वोटर्स ने वोट डाले. चुनाव में NOTA के पक्ष में 21,199 वोट पड़े थे.
कालाहांडी लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास
कालाहांडी लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास पर गौर करें तो यहां पर अब किसी दल की मजबूत पकड़ नहीं रही है. कालाहांडी में एक समय स्वतंत्र पार्टी का दबदबा हुआ करता था. 1990 के बाद के चुनाव में देखें कांग्रेस, बीजेपी और बीजेडी के साथ 4 दलों को जीत मिली है. 1989 में जनता दल के भक्त चरण दास को जीत मिली थी. 1991 में कांग्रेस के खाते में जीत गई.
1996 के चुनाव में समाजवादी जनता पार्टी (आर) के टिकट पर भक्त चरण दास फिर से चुने गए. 1998 में बीजेपी की ओर से बिक्रम केसरी देव ने जीत का सिलसिला शुरू किया और 1999 तथा 2004 में जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई. भक्त चरण दास आगे चलकर कांग्रेस में आ गए और 2009 के चुनाव में विजयी हुए. 2014 के चुनाव में बीजेडी के अर्का केसरी देव ने बीजेपी के प्रदीप को हराया. भक्त चरण दास तीसरे स्थान पर रहे. 2019 में बीजेपी ने फिर इस सीट पर कब्जा जमाता. कांग्रेस के टिकट पर भक्त चरण दास फिर से तीसरे स्थान पर रहे. बीजेडी दूसरे स्थान पर रही.
कालाहांडी जिले में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था मुख्य है. यहां का धरमगढ़ सब डिवीजन ऐतिहासिक रूप से ओडिशा में चावल उत्पादन के लिए जाना जाता था. यहां पर महुआ, केंदू-पत्ता, लकड़ी, इमारती लकड़ी और बांस जैसे वन आधारित उत्पाद भी बड़े पैमाने पर स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं. साथ ही कालाहांडी पड़ोस के रायगड़ा जिले में पेपर मिलों को पर्याप्त कच्चे माल की आपूर्ति भी करता है.