Jagatsinghpur Lok Sabha Seat
लंबे समय से एक ही पार्टी का शासन देख रही ओडिशा में फिर से चुनावी माहौल बन गया है. यहां पर लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराए जा रहे हैं. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी इस बार राज्य में बीजू जनता दल की सत्ता पर 2 दशक से भी अधिक समय से बनी पकड़ खत्म करना चाहती है. राज्य की जगतसिंहपुर लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव में बीजेडी को जीत मिली थी. बीजेडी का यहां पर 10 सालों से कब्जा है.
जगतसिंहपुर जिला की महत्ता सांस्कृतिक विरासत, राजनीतिक विनम्रता, साहित्यिक प्रशंसा और प्रवीणता, कला, वास्तुकला और संस्कृति से भरी हुई है. जगतसिंहपुर एक मध्ययुगीन शब्दावली रही है जिसका जिक्र ओडिशा के इतिहास में भी है. ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के दौरान इसे हरिहरपुर के नाम से जाना जाता था. यह स्थान मुख्य रूप से महानदी नदी और बंगाल की खाड़ी के निकट स्थित होने के कारण पहचाना जाता है.
जगतसिंहपुर में विधानसभा में बीजेडी का कब्जा
जगतसिंहपुर जिला 1759 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. एक अप्रैल, 1993 को जगतसिंहपुर को नया जिला बनाया गया. जगतसिंहपुर के इतिहास में हिंदू, मुस्लिम, मराठा और ब्रिटिश शासन का इतिहास मिला हुआ है. ईस्ट इंडिया कंपनी ने सन 1600 में हरिहरपुर में अपने व्यापारिक शस्त्रागार स्थापित किए. मराठा प्रशासन ने इस जगह को अपने कब्जे में ले लिया और राजस्व इकट्ठा करने के लिए 1748 में जगत सिंह को नियुक्त किया. जगत सिंह लंबे समय तक निर्विवाद और निर्बाध प्रशासक बने रहे. 1786 से यह स्थान उन्हीं के नाम पर हरिहरपुर से जगतसिंहपुर कर दिया गया.
जगतसिंहपुर लोकसभा सीट को 3 जिलों के क्षेत्रों को जोड़कर बनाया गया है. इस संसदीय सीट पर जगतसिंहपुर, कटक और पुरी जिलों की विधानसभा सीटों को शामिल किया गया है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जगतसिंहपुर सीट पर विधानसभा की 7 सीटें आती हैं, जिसमें 3 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. इन सभी 7 सीटों पर बीजेडी का कब्जा है.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
2019 के चुनाव में जगतसिंहपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय रहा था. बीजू जनता दल के राजाश्री मलिक ने चुनाव में जीत हासिल कर ली. राजाश्री मलिक को 619,985 वोट मिले तो बीजेपी के बीपी तराई के खाते में 348,330 वोट आए. कांग्रेस की प्रतिमा मलिक तीसरे स्थान पर रहीं और उन्हें 239,684 वोट मिले. हालांकि राजाश्री मलिक ने आसानी से 271,655 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल कर ली.
जगतसिंहपुर संसदीय सीट का इतिहास
जगतसिंहपुर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां पर बीजेडी का कब्जा बना हुआ है. 1990 के बाद के चुनाव में कांग्रेस, बीजेडी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को जीत मिल चुकी है. 1991 में सीपीआई के लोकनाथ चौधरी को जीत मिली. 1996 और 1998 में रानजीब बिसवाल सांसद चुने गए.
1999 और 2004 में यह सीट बीजेडी के खाते में चली गई. हालांकि 2009 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने फिर से यह सीट अपने नाम कर लिया. लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेडी ने फिर से अपना कब्जा जमा लिया. 2019 के चुनाव में भी बीजेडी को जीत मिली. इस चुनाव में बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी. 2024 के चुनाव में बीजेपी ने 2009 के सांसद रहे बीपी तराई को फिर से उतारा है.