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Sunday, February 9, 2025
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Bhubaneswar Lok Sabha Seat: भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर BJP ने तोड़ा BJD का गढ़, क्या फिर मिलेगी जीत | Bhubaneswar Lok Sabha constituency Profile Biju janata dal BJP Congress india elections 2024


Bhubaneswar Lok Sabha Seat: भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर BJP ने तोड़ा BJD का गढ़, क्या फिर मिलेगी जीत

Bhubaneswar Lok Sabha Seat,

ओडिशा में लोकसभा चुनाव को लेकर जोरदार माहौल बना हुआ है. लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी भुवनेश्वर में भी चुनावी माहौल जोर पकड़ता जा रहा है. खोरधा जिले में पड़ने वाली भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर सभी की नजर है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अपराजिता सारंगी को जीत मिली थी. जबकि इससे पहले यहां पर बीजू जनता दल का दबदबा हुआ करता था.

खोरधा को एक अप्रैल 1993 को पुरी जिले से अलग करके नए जिले के रूप में बनाया गया. पुरी को 3 जिलों पुरी, खोरधा और नयागढ़ में बांट दिया गया. खोरधा और भुवनेश्वर सब डिविजन को मिलाकर खोरधा जिला बनाया गया. साल 2000 में जिले का नाम खुर्दा से बदलकर खोरधा कर दिया गया. खोरधा जिला दो जिला सब डिविजन में बंटा हुआ है, जिसमें एक डेल्टाई जलोढ़ सब-रीजन है जिसमें 3 ब्लॉक बलियानता, बालीपटना और चिल्का शामिल हैं तो बाणपुर, बेगुनिया, भुवनेश्वर, बोलागढ़, जटनी, खोरधा और टांगी लैटेरिटिक सब-रीजन से संबंधित हैं.

2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम

भुवनेश्वर लोकसभा सीट के तहत खोरधा जिले में आने वाली 7 विधानसभा सीटों को शामिल किया गया है. 2019 में यहां पर हुए विधानसभा चुनाव में 7 सीटों में से 6 सीटों पर बीजेडी को जीत मिली थी जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. 2019 के ही संसदीय चुनाव में भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी.

बीजेपी की अपराजिता सारंगी ने चुनाव में 486,991 वोट हासिल किए थे जबकि बीजू जनता दल के अरुण मोहन पटनायक को 463,152 वोट मिले थे. अपराजिता सारंगी ने कड़े मुकाबले में 23,839 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

भुवनेश्वर संसदीय सीट का इतिहास

भुवनेश्वर लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास को देखें तो कभी यह सीट बीजू जनता दल के कब्जे में रहा करती थी, लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सेंध लगाते हुए इस सीट पर कब्जा जमा लिया और अपना खाता भी खोल लिया. बीजेडी का यहां पर 1998 से ही कब्जा रहा था. पार्टी के टिकट पर प्रसन्ना कुना पतासानी 1998 से ही चुनाव जीतते आ रहे थे. लेकिन उनकी पार्टी की जीत का सिलसिला 2019 में टूट गया. कांग्रेस को आखिरी बार यहां पर 1996 में जीत मिली थी.

खुर्दा शब्द (जैसा कि पहले कहा जाता था) की उत्पत्ति के बारे में दावा किया जाता है कि यह उड़िया भाषा के दो शब्दों “खुरा” और “धारा” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है उस्तरा और धार, संभवतः खुर्दा के सैनिक उतने ही तेज और छुरे की धार के समान भयानक हुआ करते थे. हालांकि, इस दावे को प्रामाणिक रूप से सही नहीं माना जा सकता.

एक बार फिर कांटेदार जंग की आस

मराठा और मुस्लिम घुड़सवार सेना के बार-बार के हमलों के बावजूद, यह क्षेत्र 1803 तक अपने शाही किले की आजादी को बनाए रखने में कामयाब रहा. बाद में यहां ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन हो गया. 1827 में खोरधा पूरी तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे में आ गया. खोरधा हथकरघा उद्योग का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां पर लुंगी, गमछा और साड़ियां बनाई जाती हैं. यह राज्य के विकसित जिलों में से एक है और राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में है. यह जिला उत्तर में कटक जिले, दक्षिण में गंजम जिले, पूर्व में पुरी और पश्चिम में नयागढ़ जिले से घिरा हुआ है.

2024 के आम चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी सांसद अपराजिता सारंगी को फिर से मैदान में उतारा है. वहीं बीजेडी ने उनके सामने मनमथ राउटरे को उतारा है.



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