अनंतपुर लोकसभा सीट
पूर्व राष्ट्रपति और आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी के गृह जिले अनंतपुर में पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत हुई थी. आजादी के तत्कालबाद हुए परिसीमन में राज्य की सात विधानसभा सीटों को मिलाकर इस लोकसभा सीट का गठन हुआ था. शुरू से ही कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट पर पहले टीडीपी ने अपना प्रभुत्व दिखाया और युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने कांग्रेस को दुर्ग को पूरी तरह से ढहा दिया.
साल 1799 में दत्त मंडलम का मुख्यालय रहे अनंतपुर का साल 2022 में विभाजन हुआ और इसमें से काटकर एक नए जिले श्री सत्य साईं का गठन किया गया. यह शहर एक समय में आंध्र प्रदेश के रायलसीमा और कर्नाटक के बेल्लारी जिले का मुख्यालय हुआ करता था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के लिए इस शहर का रणनीतिक महत्व था. इस शहर ने राजनीति और फिल्म उद्योग के लिए कई दिग्गज पैदा किए हैं. इनमें राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का नाम अहम है.
बड़े स्तर पर होता है रेशम का कारोबार
करीब 19,130 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला यह आंध्र प्रदेश का पश्चिमतम जिला है. इसके उत्तर में कुरनूल तो पूर्व में कुड्डपा और चित्तूर तथा दक्षिण और पश्चिम में कर्नाटक राज्य हैं. यहां आज भी ऐतिहासिक दुर्ग, तीर्थस्थान मौजूद हैं. इस जिले में रेशम का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है. इसके अलावा पर्यटन से भी जिले को अच्छी खासी आय होती है. हर साल लिपाक्षी मंदिर और पेनुगोंडा किला देखने के लिए हजारों की तादात में देशी विदेशी पर्यटक यहां आते हैं. कुडुपा पहाड़ियों के पूर्वी भाग में बसा यह शहर 1800 ई. तक ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रमुख केन्द्र था.
ये भी पढ़ें
यहां क्या खास
अनंतपुर के खास स्थानों में लिपाक्षी मंदिर का नाम सबसे ऊपर आता है. दरअसल लिपाक्षी एक छोटा सा गांव है. इस गांव में 16वीं शदी में बने विजयनगर शैली के कई कलात्मक मंदिर हैं. लिपाक्षी मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र के तीन मंदिर हैं. इसी प्रकार पेनुकोंडा किला विजयनगर राजाओं के दूसरी राजधानी था. पहाड़ की चोटी पर बने इस किले से नगर का खूबसूरत दृश्य नजर आता है. किले का निर्माण इस तरह से किया गया है कि कोई शत्रु आसानी से नहीं पहुंच सकता. किले के वास्तुशिल्प में हिदु और मुस्लिम शैली का संगम देखने को मिलता है.
कैसे पहुंचे
अनंतपुर सड़क रेल और हवाई मार्ग से कनेक्टेड है. यहां से निकटतम हवाई अड्डा बंगलुरु करीब 200 किलोमीटर दूर है तो पुट्टापुर्थी 70 किमी की दूरी पर है. बंगलुरु हवाई अड्डा तो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है, लेकिन पुट्टापुर्थी से कुछ ही शहरों के लिए उड़ान उपलब्ध है. इसी प्रकार रेल मार्ग के जरिए यहां से हैदराबाद, बंगलुरु, मुंबई, नई दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, भुवनेश्वर, पुणे, विशाखापटनम समेत अन्य प्रमुख शहरों के लिए कई ट्रेनें उपलब्ध हैं. इस शहर से एनएच 7 और 205 निकलते हैं. इसलिए यहां से आंध्र प्रदेश के अंदर और बाहर जाने के लिए भी किसी तरह की दिक्कत नहीं है.
सामाजिक तानाबाना
साल 2011 में भारत सरकार द्वारा कराई गई जनगणना के मुताबिक इस जिले की कुल आबादी 20 लाख 71 हजार 353 है. इसमें 65.82 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, वहीं शेष 34.18 फीसदी आबादी शहरी हैं. कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 14.85 और 2.97 है.
अनंतपुर लोकसभा सीट पर कब-कौन जीता?
अनंतपुर लोकसभा सीट पर 1952 में पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. सीपीआई ने 1957 में विजय पाई. इसके बाद 1962, 1967, 1971, 1977,1980 में कांग्रेस, 1984 में टीडीपी, 1989, 1991, 1996, 1998 में कांग्रेस, 1999 में टीडीपी, 2004, 2009 में कांग्रेस, 2014 में टीडीपी ने जीत हासिल की. हालांकि 2019 में वाईएसआर कांग्रेस ने टीडीपी और कांग्रेस के जीत के सपने को चकनाचूर कर दिया. पार्टी ने अनंतपुर सीट पर पहली बार जीत दर्ज की.