1 अप्रैल को क्यों बनाते हैं लोगों को मूर्ख?Image Credit source: freepik
1 अप्रैल का दिन ज्यादातर हंसी-ठहाकों के साथ बीतता है, क्योंकि इस दिन लोग एक दूसरे को फूल यानी बेवकूफ या मूर्ख बनाने का कोई मौका नहीं चूकते हैं. यहां तक कि इस दिन पर गाना भी बन चुका है. आपने भी ये गाना बचपन में जरूर सुना होगा कि ‘अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया’. 1964 में आई फिल्म का नाम भी ‘अप्रैल फूल’ था. आप भी 1 अप्रैल को सेलिब्रेट करते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई थी और आखिर क्यों लोग इस दिन एक दूसरे को बेवकूफ बनाने की रस्म अदा करते हैं.
अप्रैल फूल भारत समेत कई देशों में सेलिब्रेट किया जाता है. हंसी-मजाक से भरा ये दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए मजेदार होता है और इस दिन लोग किसी न किसी तरह से अपनी फैमिली, दोस्तों, कलीग्स का अप्रैल फूल बनाने की जुगत में लगे रहते हैं. फिलहाल जान लेते हैं कि क्यों मनाते हैं अप्रैल फूल.
कब हुई अप्रैल फूल डे की शुरुआत
दरअसल 1 अप्रैल के दिन अप्रैल फूल मनाने की शुरुआत के पीछे मिलने वाली कहानियों के मुताबिक, 16वबीं शताब्दी के दौरान फ्रांस में 1 अप्रैल के दिन नया साल सेलिब्रेट किया जाता था, लेकिन सन् 1582 में फ्रांसीसी राजा ने 1 जनवरी को न्यू ईयर सेलिब्रेट करने का निर्णय लिया, लेकिन ज्यादातर लोग इस बदलाव को समझ नहीं पाए या स्वीकार नहीं कर पाए और 1 अप्रैल को ही नया साल मनाते रहे. ऐसे लोगों को अप्रैल फूल कहा जाने लगा. इस तरह से 1 अप्रैल दुनियाभर में हंसी-मजाक के लिए एक लोकप्रिय दिन बन गया.
1 अप्रैल को बेवकूफ बनाने की परंपरा के पीछे की कहानी
यह तो पता चल ही गया कि 1 अप्रैल के दिन लोगों को फूल यानी बेवकूफ क्यों बनाया जाता है, वहीं इस दिन के पीछे एक और वजह मिलती है. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ‘1 अप्रैल डे’ रोमन फेस्टिवल ‘हिलारिया’ से संबंधित है. हिलारिया शब्द का मतलब हसमुख, या आनंदित कर देने वाला होता है. इस फेस्टिवल पर लोग हंसी-मजाक में एक दूसरे को मूर्ख बनाते थे.
भारत में अप्रैल फूल डे की शुरुआत
भारत में अप्रैल फूल डे सेलिब्रेट करने की शुरुआत की बात करें तो इसे 19वीं शताब्दी में माना जाता है, क्योंकि उस वक्त अंग्रेजों का राज था और वह अपने कल्चर को भी यहां बढ़ा रहे थे. माना जाता है कि उन परंपराओं में से अप्रैल फूल डे भी है.