भारत का उच्चतम न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराते हुए, इसकी सभी जानकारी को सार्वजनिक करने का आदेश सुनाया था. इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चुनावी माहौल के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी डिटेल चुनाव आयोग को सौंपनी पड़ी और चुनाव आयोग ने इसे पब्लिक के बीच जारी कर दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने 8,350 करोड़ रुपए का नुकसान भी कराया है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताने वाला आदेश 15 फरवरी को सुनाया. जबकि इससे ठीक 3 दिन पहले ही वित्त मंत्रालय ने 10,000 नए इलेक्टोरल बॉन्ड छापने को हरी झंडी दिखाई थी. ये सभी बॉन्ड 1-1 करोड़ रुपए के थे.
ये बात जानने लायक है कि जिस तरह इलेक्टोरल बॉन्ड को जारी करने का अधिकार सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास था, वहीं इन्हें छापने की जिम्मेदारी सिर्फ सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL) की ही है.
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लगाई गई छपाई पर रोक
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद वित्त मंत्रालय ने 28 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की छपाई रोकने के निर्देश दिए. वहीं एसबीआई को भी ऐसे बांड जारी करने से रोक दिया गया. वित्त मंत्रालय ने एसबीआई से इस पूरी प्रक्रिया को तत्काल रोकने के लिए कहा.
ये जानकारी वित्त मंत्रालय और एसबीआई के बीच ईमेल और फाइल नोटेशंस के माध्यम से सामने आई है. इसके लिए बाकायदा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत एक अर्जी दाखिल की गई.
फिर कैसे हुआ 8,350 करोड़ रुपए का नुकसान?
इस पूरे मामले में एसपीएमसीआईएल की ओर से कहा गया है कि सरकार के आदेश का पालन करते हुए उसने 10,000 में से 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड छापकर पहले ही एसबीआई को भेज दिए थे. इस बारे में एसबीआई की ओर से भी पुष्टि की गई है कि उसे एसपीएमसीआईएल से चार बॉक्स में करीब 8,350 बॉन्ड मिल चुके हैं.
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अपने बाकी बचे 1,650 इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रिंटिंग को रोक दिया है, जिसके लिए पहले वित्त मंत्रालय से मंजूरी दी जा चुकी है. अब जब सुप्रीम कोर्ट इन बॉन्ड को बैन कर चुका है, ऐसे में कागज के रूप में ही सही, प्रत्येक बॉन्ड की कीमत 1 करोड़ रुपए होने के चलते कुल 8,350 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. ये नुकसान मुख्य तौर पर राजनीतिक दलों के चंदे का नुकसान है.