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Saturday, February 15, 2025
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सीधी लोकसभा सीट: पूर्व मुख्यमंत्री का गढ़ रही, फिर बीजेपी ने जमाया कब्जा | Lok Sabha election 2024 Sidhi constituency seat Arjun singh BJP Congress stwn


कई खूबसूरत नजारों से भरी सीधी संसदीय सीट की राजनीति बहुत ही अजीबोगरीब रही है. यहां के राजपरिवार के झगड़े की वजह से इस क्षेत्र में कई बार अजीब राजनीतिक समीकरण बनते देखे गए हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और उनके छोटे भाई रणबहादुर सिंह का विवाद आज भी कई लोग याद करते हैं. जब रणबहादुर सिंह ने अपने बड़े भाई की मर्जी के खिलाफ इस संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी तो अर्जुन सिंह इस सीट को आरक्षित करवाने के लिए पीछे पड़ गए थे. 1952 में अस्तित्व में आने के बाद से ही सीधी लोकसभा सीट लंबे वक्त तक कांग्रेस का गढ़ रही है, हालांकि फिलहाल 1998 से सिर्फ एक उपचुनाव को छोड़कर हर चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी है.

कैमूर पहाड़ियों के बीच बसे इस क्षेत्र में कई सुंदर दर्शनीय स्थल भी हैं. यहां पर संजय डुबरी टाइगर रिजर्व भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है, वहीं यह क्षेत्र घड़ियालों के लिए बेहद विख्यात है. यहां पर घड़ियालों के लिए वाइल्ड लाइफ सेंटर बनाया गया है. इसके नाम जोगदहा सन घड़ियाल वाइल्ड लाइफ सेंटर रखा गया है. इनके अलावा इस क्षेत्र में मडा की गुफाएं भी प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं.

वहीं भंवरसेन ब्रिज की खूबसूरती के क्या ही कहने. इन प्रसिद्ध स्थानों के अलावा यहां पर धार्मिक स्थलों की बात की जाए तो चंद्रेह शैव मंदिर मठ लोगों की विशेष आस्था का केंद्र है. वहीं घोघरा देवी मंदिर भी यहां का प्रमुख दर्शनीय और धार्मिक स्थल है. बताया जाता है कि अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल का जन्म भी इसी क्षेत्र में हुआ था. सोन नदी के किनारे इस क्षेत्र को और भी मनोरम बना देते हैं. इन क्षेत्रों में हर साल कई श्रद्धालु और सैलानी आते हैं.

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राजनीतिक ताना-बाना

इस लोकसभा सीट को भी 8 विधानसभाओं से मिलाकर बनाया गया है. इनमें सीधी जिले की चुरहट, सीधी, धौहनी और सिहावल, सिंगरौली जिले की चितरंगी, सिंगरौली और देवसार, शहडोल जिले की ब्योहारी विधानसभा सीट शामिल है. इन विधानसभाओं की बात की जाए तो सिर्फ चुरहट को छोड़कर सभी जगहों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर शुरुआती चुनाव के दौरान सोशलिस्टों का कब्जा रहा जिसमें 1952 में किसान मजदूर प्रजा पार्टी फिर सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की.

इसके बाद 1962 में आनंद चंद्र जोशी ने यह सीट कांग्रेस के हिस्से में डाली. 1971 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के छोटे भाई निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए. 1977 में यहां पर जनता पार्टी की एंट्री हुई. यह सीट बारी-बारी कांग्रेस बीजेपी के पास रही है, आखिर कार 1998 में जगन्नाथ सिंह के साथ यहां बीजेपी को एकाधिकार मिला. जिसके बाद सिर्फ एक उपचुनाव छोड़कर यहां से लगातार बीजेपी को जीत मिल रही है.

पिछले चुनाव में क्या रहा?

इस लोकसभा सीट पर अगर हम पिछले चुनावों की बात करें तो यहां से बीजेपी ने रिती पाठक को टिकट दिया था. जबकि कांग्रेस ने अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह उर्फ राहुल भैया को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में रिती पाठक को 6.98 लाख वोट्स मिले थे जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल भैया को 4.11 लाख वोटों से ही संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में बीएसपी ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. बीएसपी के रामलाल पानिका को 26 हजार वोट्स ही मिले थे. इस चुनाव में रिती पाठक ने शानदार जीत दर्ज की थी.



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