बॉबी देओल, संजय दत्त
बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त का अपना अंदाज है. उन्होंने फिल्मों में अच्छे रोल्स प्ले किए हैं लेकिन उनकी सबसे ज्यादा तारीफ तो उनके नेगेटिव रोल्स को ही मिली है. इसी का नतीजा है कि आज भी एक्टर को नेगेटिव शेड्स के रोल्स बहुत आसानी से मिल जाते हैं. उनके ऐसे रोल्स बेहद सक्सेसफुल भी रहे हैं. लेकिन अब ऐसे रोल्स के लिए संजय दत्त को टक्कर देने के लिए 90s के दौर का एक एक्टर भी मैदान में आ गया है. ये एक्टर कोई और नहीं है बल्कि बॉलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र के छोटे बेटे बॉबी देओल हैं. बॉबी देओल अब नेगेटिव शेड के रोल्स के लिए डायरेक्टर्स की पसंद बनते जा रहे हैं.
इस प्रोजेक्ट से बदल गया सबकुछ
बॉलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र की अपनी अलग क्लास रही है. उसी क्लास और लीग को उनके बड़े बेटे सनी देओल ने फॉलो किया है. लेकिन उनके छोटे बेटे बॉबी जब शोल्जर शोल्जर मीठी बातें बोलकर दिल चुराने लग गए तो समझ में आया कि यहां मामला थोड़ा अलग है. सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन धीरे-धीरे बॉबी देओल को वैसे प्रोजेक्ट्स मिलने कम हो गए और एक समय तो ऐसा आया जब लोगों को लगा कि बॉबी देओल का करियर अब खत्म हो गया है. लेकिन ऐसा नहीं था. अभी तो सूरज की बस किरण दिखी थी. उसका उदय होना बाकी था. प्रकाश झा एक वेब सीरीज लेकर आए. ये सीरीज देश के बाबाओं और उनके कुकर्मों को दर्शाती थी. इसमें बाबा के लीड रोल में बॉबी देओल को लिया गया. पहले तो लोग इस घटना को हल्के में लिए लेकिन ये एक ऐसी घटना थी जिसके बाद से भारतीय सिनेमा को उसका नया ‘बैड बॉय’ मिल गया. नेगेटिव रोल में बॉबी छा गए और लोगों को भा गए.
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संजय दत्त हैं टक्कर में
जहां एक तरफ बॉबी देओल फिल्मों में नेगेटिव रोल्स पा रहे हैं तो वहां उनके कॉम्पिटिशन में संजय दत्त भी हैं. वे पहले ही कांचा चीना और अधीरा जैसे रोल्स में फुल नेगेटिव रोल प्ले कर चुके हैं. और आने वाले समय में भी उनके पास ऐसे कई रोल्स हैं. लेकिन अब संजय दत्त के सामने भी बॉबी देओल एक चुनौती की तरह ही हैं. आश्रम के बाद बॉबी देओल भी एनिमल में नेगेटिव रोल प्ले कर के सुर्खियों में आए. इसके बाद अब वे साउथ की पैन इंडिया फिल्म कंगुआ में एक बेहद खतरनाक विलेन के रोल में नजर आने जा रहे हैं. ये फिल्म बॉबी देओल को आने वाले समय में डायरेक्टर्स की पसंद बना सकती है. वहीं पिछले कुछ समय में इमरान हाशिमी को भी ऐसे ही रोल्स प्ले करते हुए देखा गया है. तब तो इस बात को यूं भी कहा जा सकता है कि आने वाले समय में नायक ही खलनायक बनने की जुगात में है. जमाना बदल गया है.