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Friday, March 28, 2025
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शिवलिंग पर शाम के समय क्यों नहीं चढ़ाया जाता है जल? जानें क्या है पूजा का विधान | Should water be offered to Shivling in the evening or not


शिवलिंग पर शाम के समय क्यों नहीं चढ़ाया जाता है जल? जानें क्या है पूजा का विधान

शिवलिंग पर शाम के समय जल चढ़ाएं या नहीं

हिन्दू धर्म में सभी श्रद्धालु हर सोमवार को भगवान शंकर की विशेष तरीके से पूजा-अर्चना करते हैं. सोमवार के दिन देश की सभी शिव मंदिरों में भी पूजा-अर्चना के लिए भीड़ लगी रहती है. सभी मंदिरों में भगवान शिव का जल और दूध से विशेष अभिषेक किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि शाम के समय शिवलिंग पर चढ़ाने से क्या होता है और ऐसा करना शुभ माना जाता है या अशुभ. आज इसके बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं. भगवान शिव की पूजा में शाम के समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है और शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही नियम क्या है. आइए जानते हैं.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के दौरान अगर कोई भी भूल-चूक या फिर कोई गलती हो जाती है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है. हर सोमवार को देवों के देव महादेव की पूजा करने से लोगों की मनोकामनाओं की पूर्ति के द्वार खुल जाते हैं. शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कभी भी गलत दिशा में खड़े नहीं होना चाहिए. दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल चढ़ाना अशुभ माना जाता है. शिव भक्तों के लिए हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही शिवलिंग पर जल अर्पण करना शुभ माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि उत्तर दिशा भगवान भोलेनाथ का बायां अंग है, जहां माता पार्वती विराजमान हैं.

शिवलिंग पर खड़े होकर न चढ़ाएं जल

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भी आप शाम के समय शिवलिंग पर जल अर्पित करें तो आराम से बैठकर मंत्रोच्चार के साथ जल अर्पित करें. यदि आप खड़े होकर जल अर्पित करते हैं तो इसका फल प्राप्त नहीं होता है. इसलिए शिवलिंग पर हमेशा तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना अच्छा माना जाता है. कभी भी ऐसे बर्तनों से शिवलिंग पर जल अर्पित न करें, जिसमें लोहे का इस्तेमाल किया गया हो. पूजा के लिए तांबे के पात्र को सबसे अधिक शुभ माना जाता है.

शाम के समय न चढ़ाएं जल

शिव पुराण के अनुसार, भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर शाम के समय जल अर्पित करना अशुभ माना जाता है. शिवलिंग पर सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच जल अर्पित करना शुभ होता है. जब भी शिव जी का जलाभिषेक करें तो जल में अन्य कोई भी सामग्री न मिलाएं. ऐसा करने से लोगों को पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है.

शंख से कभी न चढ़ाएं जल

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार शंखचूड़ राक्षस का वध किया था और शंख उसी राक्षस की हड्डियों से बना होता है. इसके अलावा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जलधारा न टूटे और एक साथ ही जल अर्पित करना अच्छा माना जाता है. क्योंकि जलाभिषेक के दौरान अगर जल की धारा टूट जाए तो इस पूजा का लोगों को पूर्ण फल नहीं मिलता है.



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