fbpx
Saturday, September 7, 2024
spot_img

रीवा लोकसभा : कभी ‘वाइट टाइगर’ की बोलती थी तूती, अब है बीजेपी का कब्जा | Lok Sabha Election 2024 Rewa constituency seat BJP Congress BSP and SP Party vote bank stwn


वाइट टाइगर्स के लिए पूरे देश में अपनी पहचान बनाए रखने वाली रीवा लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र की अहम सीटों में से एक है. यह लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर है जिसकी वजह से यहां पर बीजेपी-कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों का वोट बैंक भी मौजूद है. इस लोकसभा सीट का गठन 1951 में ही किया गया था. तब से लेकर अब तक इस सीट पर किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा है. यह शायद पूरे प्रदेश की इकलौती ऐसी सीट है जहां से निर्दलीय उम्मीदवार, बहुजन समाज पार्टी, जनता दल, बीजेपी और कांग्रेस के बारी-बारी से सांसद चुने गए. पूरे प्रदेश में ऐसी कोई और सीट नहीं है जहां से इतनी पार्टियों के सांसद चुने गए हों.

मध्य प्रदेश की रीवा लोकसभा सीट ने ही प्रदेश को पहला बसपा सांसद दिया था. इसके अलावा यह सीट दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीती है और संसद तक का सफर तय किया है. यहां की जनता का मूड यहां की जनता ही समझती है. फिलहाल कोई पार्टी रीवा लोकसभा सीट का गणित ठीक से नहीं समझ पाए हैं. हालांकि 2014 और 2019 में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इसके पहले यहां से बसपा पार्टी से सांसद रहे हैं.

अगर इस क्षेत्र में दर्शनीय स्थलों की बात की जाए तो यह क्षेत्र सुंदर विध्य पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इन पहाड़ियों से बहते झरने इस पूरे क्षेत्र को ही बेहद सुंदर बना देते हैं. यहां के जंगलों में ही सबसे पहले सफेद शेर पाया गया था. वहीं यहां पर जंगल और नदियों से घिरे इस क्षेत्र में ही बांधवगढ़ का किला है. इस किले को देखने के लिए देश-दुनिया के हजारों सैलानी हर साल यहां पहुंचते हैं. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से बीहर और बिछिया नदी बहती हैं. इन नदियों के रास्ते में कई छोटे-बड़े सुंदर झरने बनाती हैं. इनमें पुरवा जलप्रपात, बहुत जलप्रपात, क्योटी जलप्रपात, चचाई जलप्रपात और पियावन घिनौची धाम शामिल हैं. इनके अलावा मुकुंदपुर की वाइट टाइगर सफारी भी दर्शनीय है

ये भी पढ़ें

वाइट टाइगर और राजनीति

रीवा लोकसभा का नाम पूरे देश में वाइट टाइगर की वजह से फेमस हुआ है. एक दौर था जब इस क्षेत्र की राजनीति श्री निवास तिवारी या यूं कहें मध्य प्रदेश की राजनीति के सफेद शेर के इर्द गिर्द घूमती थी. वह लगातार 10 सालों तक विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं. उनके बेटे सुंदरलाल तिवारी ने पितृसत्ता को संभाला और यहां से एक बार सांसद भी बने. हालांकि सुंदरलाल तिवारी को कांग्रेस ने ने 2009, 2014 में भी टिकट दिया लेकिन इसके बाद वह पार्टी को जीत न दिला सके.

इसके बाद कांग्रेस ने सुंदरलाल के बेटे सिद्धार्थ तिवारी को टिकट दिया लेकिन वह भी जीत दिलाने में नाकाम रहे. अगर इस लोकसभा सीट की बात की जाए तो रीवा लोकसभा में पूरे रीवा जिले को शामिल किया गया है. इस लोकसभा में भी 8 विधानसभा सीटों को शामिल किया गया है जिसमें सिरमौर, सिमरिया, त्योंथर, मउगंज, देवतालाब, मांगावन, रीवा और गुड़ शामिल है. इनमें से सिर्फ 1 को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर बीजेपी काबिज है.

पिछले चुनाव में क्या हुआ?

बीजेपी ने रीवा लोकसभा से दूसरी बार जनार्दन मिश्रा को टिकट दिया था, इस चुनाव में कांग्रेस के सामने तिवारी परिवार के अलावा कोई और बड़ा विकल्प नहीं था. सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद कांग्रेस ने सिंपेथी वोट के लिए उनके बेटे सिद्धार्थ को टिकट दिया था. इस चुनाव में विकास सिंह पटेल बीएसपी से खड़े हुए थे. जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो कांग्रेस के सारे तीर कमान में वापस चले गए. जी हां जनार्दन मिश्रा को 5.83 लाख वोट मिले, जबकि कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी को 2.70 लाख वोट से ही संतोष करना पड़ा. वहीं विकास सिंह पटेल को 91 हजार वोट्स ही मिले.

कैसा रहा 2019 का चुनाव

रीवा लोकसभा में सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, देवतालाब, मंगावन, रीवा, गुढ़ विधानसभाओं को शामिल किया गया है. वहीं अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो यहां बीजेपी की ओर जनार्दन मिश्रा मैदान में थे जबकि कांग्रेस ने इस सीट से सिद्धार्थ तिवारी को मौका दिया था. जहां जनार्दन मिश्रा को यहां से 5,83,745 वोट मिले थे, जबकि सिद्धार्थ तिवारी को 2,70,938 वोट मिले थे. दोनों के बीच करीब 3 लाख वोटों का अंतर रहा.



RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular