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Sunday, February 9, 2025
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बालाघाट लोकसभा सीट: पहले कांग्रेस के पक्ष में रही, अब बीजेपी को कर रही ‘सपोर्ट’ | Lok Sabha Election 2024 Balaghat constituency seat BJP Congress BSP stwn


मध्य प्रदेश के खनिज भंडार के रूप में पहचानी जाने वाली बालाघाट लोकसभा सीट पूरे प्रदेश में अपने संस्कृति और प्राकृतिक खजानों के लिए प्रसिद्ध हैं. इस लोकसभा सीट पर ज्यादातर आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं जो कि अपने संस्कृति के प्रति बेहद जागरुक हैं. इस जिले की सीमाएं एक ओर छत्तीसगढ़ से जुड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र से इसलिए इस लोकसभा सीट पर इन दोनों ही राज्यों की राजनीति का असर देखने को मिलता है. यहां के बोलचाल और रहन-सहन पर भी इन दोनों पड़ोसी राज्यों के कल्चर का असर बखूबी देखने को मिलता है.

कान्हा टाइगर रिजर्व भी इसी लोकसभा का अहम हिस्सा है. यहां पर 2023 में टाइगर की जनगणना की गई थी जिसमें इनकी संख्या 129 पाई गई थी. यह किसी और टाइगर रिजर्व की तुलवा में काफी अच्छी है. एक ओर जंगल और टाइगर रिजर्व बालाघाट की शान बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी ओर यहां पर प्राकृतिक खजाना भी भरपूर मात्रा में है. यहां पर मैग्नीज, तांबा, बॉक्साइट, कानाइट, संगमरमर, डोलोमाइट और चूना पत्थर की कई खदानें हैं जो कि बेहद महत्वपूर्ण हैं. यहीं खदाने मध्य प्रदेश को इन सभी चीजों के क्षेत्र में बाकी प्रदेशो से आगे करती हैं.

बालाघाट जिला का ज्यादातर हिस्सा जंगलों से भरा हुआ है, यह शह बैनगंगा नदी के किनारे पर बसा हुआ है. इस नदी से यहां की ज्यादातर कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है. यहां पर काफी उन्नत कृषि होती है. जिसमें ज्यादातर धान और बांस की खेती की जाती है. इस शहर के नाम के पीछे भी बहुत रोचक कहानी है. दरअसल इस शहर का नाम शुरुआत में 12 घाट हुआ करता था. इसके पीछे की वजह बताई जाती है कि यहां पर बारह घाट के बीच यह शहर बसा हुआ था. जब शहरों के नाम लिखे जा रहे थे उस वक्त यहां से फाइल कोलकाता गई. वहां पर 12 घाट को बालाघाट बोला गया जो कि बाद में लिखा भी गया. बस यहीं से इस शहर का नाम बालाघाट पड़ गया. यह अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुआ था.

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राजनीतिक ताना-बाना

बालाघाटा लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें भी 8 विधानसभाओं को शामिल किया गया है. जिनमें बैहर, लांजी, पारसवाड़ा, बालाघाट, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट, सिवनी शामिल हैं. इस लोकसभा को पूरे बालाघाट जिले और सिवनी जिले के कुछ हिस्सों से मिलाकर बनाया गया है. यहां पर चार सीटों पर कांग्रेस और चार पर बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. इस लोकसभा सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भी जीत दर्ज कर चुके हैं, वहीं एक बार निर्दलीय उम्मीदवार को भी यहां की जनता ने अपने जनप्रतिनिधि चुना था. हालांकि ज्यादातर यहां पर कांग्रेस ने ही जीत हासिल की है. लेकिन, 1998 में यहां से पहली बार गौरीशंकर बिसेन ने बीजेपी को जीत दिलाई. इसके बाद से यह सीट तो जैसे बीजेपी के नाम ही हो गई. यहां से गौरीशंकर बिसेन के बाद प्रह्लाद पटेल ने चुनाव और लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद फिर गौरीशंकर बिसेन आए. फिलहाल 2019 में यहां से बीजेपी के ढाल सिंह बिसेन ने चुनाव जीता था.

2019 के चुनाव में क्या रहा?

पिछले चुनाव की बात की जाए तो इस लोकसभा सीट पर बीजेपी ने ढाल सिंह बिसेन को टिकट दिया था. उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में कांग्रेस ने मधु भगत को चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी ने कांकर मुंजारे को टिकट दिया था. तीनों ही उम्मीदवारों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन, जीत का सेहरा बीजेपी के सिर ही बंधा. चुनाव में बीजेपी के ढाल सिंह बिसेन को 6.96 लाख वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की मधु को 4.54 लाख वोट मिले. बीएसपी के उम्मीदवार मुंजारे को 85 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा.



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