
सोमवती अमावस्या कब है 2024
Somvati Amavasya kab hai 2024: हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या को बहुत विशेष माना जाता है. सोमवार और शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस साल चैत्र अमावस्या बेहद खास है क्योंकि इस दिन सोमवार होने से सोमवती अमावस्या का खास संयोग बन रहा है. ऐसे में पितरों के साथ शिव पूजा के लिए भी चैत्र अमावस्या का दिन बेहद खास होने वाला है. आइए जानते हैं कि साल 2024 की पहली सोमवती अमावस्या कब है, इस दिन पूजा और स्नान-दान का मुहूर्त क्या है.
सोमवती अमावस्या 2024 डेट (Somvati Amavasya 2024 Date)
इस साल की पहली सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल 2024 सोमवार को है. यह चैत्र महीने की अमावस्या होगी और सोमनार को पड़ने के कारण इस अमावस्या पर शिव पूजा खास मानी जाती है. ऐसे में इस दिन भक्त को दोगुना फल प्राप्त कर सकते हैं.
सोमवाती अमावस्या 2024 मुहूर्त (Somvati Amavasya 2024 Time)
इस साल चैत्र अमावस्या तिथि यानी सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल 2024, दिन सोमवार को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. सोमवती अमावस्या की तिथि इसी दिन रात 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो जाएगी.
स्नान-दान का मुहूर्त – सुबह 4:32 से लेकर सुबह 05:18 तक.
शिव पूजा का समय – सुबह 9:13 बजे से सुबह 10:48 बजे तक.
पितरों के तर्पण का समय- सुबह 11:58 से लेकर दोपहर 12:48 तक.
सोमवती अमावस्या पर कैसे करें पूजा?
सोमवती अमावस्या पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में या फिर घर पर ही गंगाजल से स्नान करें. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें. फिर व्रत का संकल्प लें और शिवजी का पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध चढ़ाकर उसकी 7 बार परिक्रमा करें. दोपहर के समय पितरों के नाम से जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा में तर्पण करें. शाम के समय पीपल के नीचे दीया लगाएं. ऐसा कहा जाता है कि इससे भोलेनाथ, मां लक्ष्मी और शनि देव प्रसन्न होते हैं.
सोमवती अमावस्या का महत्व (Somvati Amavasya Significance)
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जो भी महिलाएं इस सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर शिव जी पूजा करती हैं , उनके पति को लंबी उम्र का वरदान मिलता है. इस दिन अपने सुहाग की सलामती के लिए आटा, घी, चावल, शक्कर का दान करें. सोमवती अमावस्या के व्रत से व्रती को अखंड सौभाग्य, सुख, सफलता, खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन स्नान-दान करने के बाद शिवलिंग पर कच्चे दूध और गंगाजल से अभिषेक करें. इससे पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.