मैसूर लोकसभा सीट.
मैसूर भारत के कर्नाटक राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है. यह कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी है और प्रदेश की राजधानी बंगलुरू से लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण में केरल की सीमा पर स्थित है. यहां के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 पर कांग्रेस, दो पर जनता दल एस और एक भाजपा के पास है. इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रताप सिम्हा ने लगातार दूसरी बार जीत का परचम लहराया था. हालांकि इस बार बीजेपी ने यादुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने एम. लक्ष्मण पर भरोसा जताया है.
बता दें कि मैसूर लोकसभा सीट में लिंगायत, ओबीसी और सामान्य वर्ग के वोटरों का प्रभाव है. 2019 के मुकाबले 2024 में भी इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकता है. हालांकि इससे पहले जनता दल एस भी बीच-बीच में टक्कर देती रही है.
मैसूर सीट का सियासी इतिहास
दरअसल मैसूर लोकसभा सीट का अस्तित्व 1951 में आया था. 1951 से 1971 तक मैसूर स्टेट के तौर पर यहां चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस ने लगातार जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1977 से यहां कर्नाटक स्टेट के तौर पर चुनाव हो रहे हैं. 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस के एचडी तुलसीदास ने बीएलडी के एमएस गुरुपदस्वामी को हराकर जीत दर्ज किया था.
इस 1977 से 2014 तक (1998, 2004 को छोड़ दें तो) इस सीट पर कांग्रेस का राज रहा है. कांग्रेस के श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार 1984, 1989, 1996, 1999 में लगातार चार बार में सांसद चुने गए. जबकि भाजपा के सीएच विजयशंकर 1998, 2004 में दो बार सांसद चुने गए. 2014 आम चुनाव में भाजपा के प्रताप सिम्हा ने कांग्रेस के अडागुरू एच विश्वनाथ को महज 31 हजार वोटों के अंतर से हराकर कब्जा जमाया था. प्रताप सिम्हा को 503,908 और अडागुरू एच विश्वनाथ को 472,300 वोट मिले थे.
बता दें कि मैसूर लोकसभा सीट के अंतर्गत तीन जिले आते हैं, जिसमें चामराजनगर, कोडगु और मैसूर शामिल है. साथ ही इस सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. इसमें मदिकेरी, विराजपेट, हुनसूर, पिरियापटना, चामुंडेश्वरी, कृष्णराज, चामराजा और नरसिम्हराजा सीटें शामिल हैं.
मतदाता और सामाजिक तानाबाना
2019 के डाटा के मुताबिक कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 13 लाख 18 हजार 041 है. कुल आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 22 लाख 82 हजार 687 है. यहां की लगभग 49.06 फीसदी आबादी गावों में रहती है, वहीं 50.94 फीसदी आबादी शहर में रहती है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर एससी समुदाय की आबादी 13.91 प्रतिशत है और एसटी समुदाय की आबादी 9.22 प्रतिशत है.
2019 चुनाव का परिणाम
- विजेता – प्रताप सिम्हा (बीजेपी)
- वोट मिले – 688,974
- वोट (%) – 52.27
- उपविजेता – सीएच विजयशंकर (कांग्रेस)
- वोट मिले – 5,50,327
- वोट (%) – 41.75
- अंतर 1,38,647
2014 चुनाव का परिणाम
- विजेता – प्रताप सिम्हा (बीजेपी )
- वोट मिले – 5,03,908
- वोट (%) – 43.45
- उपविजेता – सीएच विजयशंकर (कांग्रेस)
- वोट मिले – 5,50,327
- वोट (%) – 41.75
- अंतर 31,608
कब किसने मारी बाजी
- 1952 – एमएस गुरुपदस्वामी – किसान मजदूर प्रजा पार्टी
- 1957 – एम. शंकरैया – कांग्रेस
- 1962 – एम. शंकरैया – कांग्रेस
- 1967 – तुलसीदास दासप्पा – कांग्रेस
- 1971 – तुलसीदास दासप्पा – कांग्रेस
- 1977 – तुलसीदास दासप्पा – कांग्रेस
- 1980 – एम. राजशेखर मूर्ति – कांग्रेस
- 1984 – श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार – कांग्रेस
- 1989 – श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार – कांग्रेस
- 1991 – चंद्रप्रभा उर्स – कांग्रेस
- 1996 – श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार – कांग्रेस
- 1998 – सीएच विजयशंकर – भाजपा
- 1999 – श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार – कांग्रेस
- 2004 – सीएच विजयशंकर – भाजपा
- 2009 – अडगुर एच. विश्वनाथ – कांग्रेस
- 2014 – प्रताप सिम्हा – भाजपा
- 2019 – प्रताप सिम्हा – भाजपा