Mayurbhanj Lok Sabha Seat
ओडिशा का मयूरभंज जिला अपनी खूबसूरती, हरियाली और खनिज संशाधनों के लिए जाना जाता है. मयूरभंज जिले में 7 विधानसभा सीटें आती हैं और इनमें से 6 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. ओडिशा में विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. ऐसे में यहां पर चुनाव को लेकर जोरदार माहौल बना हुआ है. मयूरभंज संसदीय सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. 2024 की जंग के लिए बीजेपी ने नाबा चरण मांझी को मैदान में उतारा है तो बीजेडी की ओर से सुदाम मारंडी मैदान में उतारे गए हैं.
मयूरभंज चारों ओर जमीन से घिरा हुआ शहर है और यह 10,418 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है. यह बारीपदा में जिला मुख्यालय के साथ राज्य की उत्तरी सीमा पर बसा हुआ है. यह जिला उत्तर-पूर्व में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले, उत्तर-पश्चिम में झारखंड के सिंहभूम जिले, दक्षिण-पूर्व में बालेश्वर जिले और दक्षिण-पश्चिम में केंदुझार से घिरा हुआ है. इस जिला में कुल क्षेत्र का 39% से अधिक हिस्सा जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. जिले में 4 सब डिवीजन, 26 ब्लॉक, 404 ग्राम पंचायतें और 3966 गांव आते हैं.
2019 के चुनाव में क्या रहा परिणाम
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मयूरभंज संसदीय सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बिशेश्वर टुडू को जीत मिली थी. बिशेश्वर टुडू को चुनाव में 483,812 वोट मिले थे तो उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी बीजू जनता दल के डॉक्टर देबाशिष मारंडी को 458,556 वोट मिले थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अंजनी सोरेन को 135,552 वोट आए थे.
कड़े मुकाबले में बिशेश्वर टुडू ने 25,256 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. चुनाव में यहां पर कुल 14,37,970 वोटर्स थे. इनमें से पुरुष वोटर्स की संख्या 7,20,721 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,17,225 थी. इसमें से कुल 11,50,357 वोटर्स ने वोट डाले. चुनाव में NOTA के पक्ष में 21,357 वोट पड़े थे.
मयूरभंज सीट का संसदीय इतिहास
मयूरभंज संसदीय सीट के संसदीय सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर पिछले 25 सालों में किसी दल का खास दबदबा नहीं रहा है. 1999 से लेकर अब तक 5 चुनाव में 4 अलग-अलग दलों को जीत मिली है. 90 के दशक के बाद 1991 के चुनाव में कांग्रेस को यहां पर जीत मिली और भाग्य गोबर्धन सांसद चुने गए. 1996 में कांग्रेस की सुशिला तिरिया को जीत मिली थी.
1998 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी सलखान मुर्मू को जीत मिली. फिर 1999 में सलखान मुर्मू ने फिर जीत हासिल की. 2004 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुदम मारंडी यहां से सांसद चुने गए. 2009 में बीजू जनता दल को यहां से पहली बार जीत मिली. तब लक्ष्मण टुडू सांसद बने. 2014 के चुनाव में बीजेडी के टिकट पर राम चंद्र हंसदाह सांसद चुने गए. 2019 में बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की और बिशेश्वर टुडू लोकसभा की दहलीज तक पहुंचने में कामयाब रहे.
वनस्पतियों और वन्य जीवों से भरपूर शहर
2011 के जनगणना के मुताबिक, मयूरभंज जिले में कुल 2,519,738 आबादी रहती है. इसमें अनुसूचित जाति की 1,84,682 तो अनुसूचित जनजाति की 1,479,576 आबादी रहती है. अनुसूचित जनजाति की बहुलता की वजह से यह सीट एसटी के लिए रिजर्व है.
लाल-लैटेराइट श्रेणी की मिट्टी बामनघाटी और पंचपीर पठार से घिरा मयूरभंज जिला अपनी हरी-भरी वनस्पतियों, विभिन्न जीवों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की वजह से अद्वितीय स्थान रखता है. जिले में प्रचुर मात्रा में खनिज पाए जाते हैं और इस क्षेत्र को सिमिलिपाल बायोस्फीयर का घर कहा जाता है. एक जनवरी, 1949 से पहले यह क्षेत्र एक रियासत हुआ करता था, लेकिन बाद में ओडिशा में शामिल हो गया.