महबूबाबाद लोकसभा सीट.
महबूबाबाद लोकसभा सीट तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से एक है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ. तब कांग्रेस के बलराम नाइक ने इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में BRS (भारत राष्ट्र समिति) उम्मीदवार प्रोफेसर अजमीरा सीताराम नाइक ने ये सीट बलराम नाइक से छीन ली. वहीं 2019 में BRS ने सीताराम नाइक की जगह कविता मालोथू को मैदान में उतारा, उन्होंने भी इस सीट पर जीद दर्ज की.
महबूबाबाद तेलंगाना राज्य का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है और महबूबाबाद जिले के ही अंतर्गत आता है. यह लोकसत्रा क्षेत्र कृष्णा नदी की सहायक नदी मुन्नारू के तट पर बसा है. यह अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित, क्योंकि इस लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति की आबादी सर्वाधिक है. 2011 में महबूबाबाद को पहली बार नगर पालिका का दर्जा मिला. इस क्षेत्र की दुर्गम पहाड़ियों पर प्राचीन काल के चित्र मिलते हैं. यहां कई प्राचीन मंदिर भी हैं, जहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. राजधानी हैदराबाद से महबूबाबाद की दूरी 192 किलोमीटर है.
2019 के चुनाव में BRS प्रत्याशी ने दर्ज की जीत
महबूबाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आते हैं, जिसमें दोर्नाकल, महबूबाबाद, नरसमपेट, मुलुग, पिनापाका, येल्लान्दु और भद्राचलम विधानसभा सीटें शामिल हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 15 लाख के आसपास है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 9 लाख 83 हजार 535 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जिनमें से कुल पुरुष मतदाता 4,85,104 और महिला मतदाता 4,97,622 थीं. BRS की विजयी प्रत्याशी कविता मालोथू को 462,109 वोट मिले थे.
8 साल पहले बनाया गया नया जिला
महबूबाबाद जिला 2016 में पूर्ववर्ती वारंगल जिले से काटकर बनाया गया है. इसकी सीमाएं तेलंगाना के छह जिलों से लगती हैं, जिसमें भद्राद्रि कोठागुडेम, खम्मम, सूर्यापेट, जंगोअन, वारंगल और जयशंकर भूपालपल्ली जिले हैं. महबूबाबाद जिले में 16 मंडल और दो राजस्व मंडल महबुबाबाद और थोरूर शामिल हैं. इसका जिला मुख्यालय महबूबाबाद कस्बे में स्थित है.
मुन्नारू नदी किनारे बसा है यह शहर
महबूबाबाद जिले में अधिकांश गांवों और बस्तियों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) वर्ग के लोग रहते हैं. यहां अधिक संख्या में आदिवासी समुदाय लंबाडी है. महबूबाबाद जिला मुन्नारू नदी के किनारे बसा हुआ है. मुन्नारू नदी कृष्णा नदी की सहायक नदी है. महबूबाबाद का प्रचीन नाम ‘मनुकोटा’ था. यह अपने ऐतिहासिक और पारंपरिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. महबूबाबाद बय्याराम की खदानों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां लौह अयस्क की खूब खदानें हैं.
महबूबाबाद में कौन सी भाषा बोली जाती है?
महबूबाबाद शहर सहित अधिकांश गांव और बस्तियों में 75 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियां निवास करती हैं. यहां का आदिवासी समुदाय लंबाडी है. इस प्रकार शहर और गांव के अधिकांश लोग विशेष आदिवासी भाषा लंबाडीयाबंजारा में आपस में बातचीत करते हैं. यह भाषा भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त बोलियों में से एक है. हालांकि इस भाषा की कोई लिपि नहीं है और यह बोले गए शब्दों पर ही टिकी है.
महबूबाबाद का नाम पहले क्या था?
महबूबाबाद जिले का इतिहास भव्य है. इसका पहले नाम मनकोटा था, जिसका तेलगु में मतलब था वृक्ष का किला. एक बार जब निजाम यहां रुका तो उसने यहां का नाम बदल कर महबूबाबाद कर दिया था. महबुबाबाद जिले के उत्तर में जय शंकर जिला है, पूर्व में भद्राद्री कोठागुडेम जिला है, दक्षिण पूर्व में खम्मम जिला है, दक्षिण सूर्यापेट जिला है, पश्चिम में जनगांव जिला है, उत्तर पश्चिम में वारंगल ग्रामीण जिला है.
महबुबाबाद जिले में दो उपमंडल हैं, जो की महबूबाबाद और थरूर हैं. यहां पर लगभग 16 तहसीलें हैं, जिनके नाम महाबूबाबा, कुरवी, क्षेत्रमुद्रम, दोर्णकल, गुडुर, कोठागुड़ा, गंगाराम, बाइयराम, गर्ला, चिनागूदुर, दंतलापल्ली, थोरूर, नेलिकुदुर, मारिपेडा, नरसिमुलपेट और पेदवंगारा हैं.