देश के पूर्वी क्षेत्र में बसा ओडिशा अपनी खूबसूरती और खनिज संशाधनों के लिए जाना जाता है. यहां पर भी देश के अन्य राज्यों की तरह चुनावी हलचल बनी हुई है. ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराए जा रहे हैं. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित क्योंझर संसदीय सीट पर बीजू जनता दल का कब्जा है. पार्टी इस बार लगातार जीत का चौका लगाने की योजना पर काम कर रही है.
क्योंझर को एक जनवरी, 1948 को नया जिला बनाया गया. यह जिला पूर्व में मयूरभंज और भद्रक, दक्षिण में जाजपुर, पश्चिम में ढेंकनाल जिले और सुंदरगढ़ जिलों से जबकि झारखंड राज्य के पश्चिम सिंहभूम जिले से घिरा है. यह जिला 8303 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है. 2011 की जनगणना के अनुसार, क्योंझर जिले की कुल आबादी 1,801,733 थी, जिसमें पुरुषों की संख्या 9,06,487 थी जबकि महिलाओं की संख्या 8,95,246 थी.
2019 के चुनाव में किसे मिली जीत
जिले की अनुसूचित जाति लोगों की संख्या 2,09,357 है तो अनुसूचित जनजाति के लोगों की आबादी 8,18,878 थी. प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार, क्योंझर जिले के तहत आनंदपुर, चंपुआ और क्योंझर नाम से तीन सबडिवीजन आते हैं. क्योंझर लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें 6 सीटें एससी और एसटी के लिए रिजर्व हैं. 7 में 6 सीटों पर बीजू जनता दल ने जीत हासिल की. जबकि एक सीट बीजेपी के खाते में गई.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित क्योंझर संसदीय सीट पर 2019 के चुनाव को देखें तो यहां पर बीजू जनता दल और बीजेपी के मुख्य मुकाबला हुआ था. बीजू जनता दल की चंद्राणी मुर्मू ने बीजेपी के अनंत नायक को 66,203 मतों के अंतर से हराया था. चंद्राणी मुर्मू को चुनाव में 526,359 वोट मिले तो अनंत नायक के खाते में 460,156 वोट आए. कांग्रेस के प्रत्याशी को भी एक लाख से अधिक वोट मिले थे.
क्योंझर संसदीय सीट का इतिहास
तब के चुनाव में इस सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 14,49,996 थी, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 7,34,504 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,15,389 थी. इसमें से कुल 11,76,292 वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में 19,207 वोट डाले गए.
क्योंझर लोकसभा सीट के संसदीय इतिहास को देखें तो कभी यहां पर कांग्रेस और जनता दल को जीत मिलती रही थी. लेकिन 1990 के बाद की राजनीति में बदलाव आ गया. 1989 में जनता दल के गोविंद चंद्र मुंडा को जीत मिली. वह 1991 में फिर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. 1996 के चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल बाद फिर से जीत हासिल की और माधब सरदार सांसद चुने गए.
1998 के चुनाव में बीजेपी का इस सीट से खाता खुला. बीजेपी के उपेंद्र नाथ नायक पहली बार सांसद बने. फिर 1999 में अनंत नायक बीजेपी के टिकट पर फिर से चुने गए. फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में भी अनंत नायक को जीत मिली. 2004 के बाद से बीजेपी को यहां पर जीत नहीं मिली. पिछले 3 चुनावों से लगातार बीजेडी के अलग-अलग प्रत्याशियों को जीत मिल रही है.
शहर में कई अहम उद्योग
आदिवासी बहुल क्योंझर जिला राज्य के प्रमुख खनिज उत्पादक जिलों में से एक है. यहां पर लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क, क्रोमेट, क्वार्टजाइट, बॉक्साइट, सोना, पाइरोफिलाइट और चूना पत्थर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इस जिले में इंजीनियरिंग और धातु आधारित उद्योग के साथ-साथ प्लास्टिक उद्योग और कृषि तथा समुद्री आधारित उद्योग हैं. इसके अलावा जिले में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में धान, मक्का, तिल और अरहर आदि फसलें हैं.